सरकार को पीपीपी व प्रॉपर्टी आईडी पोर्टल तुरंत बंद करने चाहिए, समाधान शिविरों से जनता को राहत नहीं
भारत सारथी/ कौशिक
नारनौल। पूर्व सत्र न्यायाधीश एवं नारनौल विधानसभा से कांग्रेस टिकट के दावेदार राकेश यादव ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार अब सत्ता से बेदखल होने के डर से हर रोज यू-टर्न लेने में लगी है। यू-टर्न का रिकार्ड बनाने के बाद भी अब इनका सत्ता में बने रहना नामुमकिन है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में प्रशासनिक स्तर पर लग रहे समाधान शिविर एक ड्रामा बनकर रह गए हैं। इन समाधान शिविर में अधिकतर नागरिक निराश होकर लौटते हैं। परिवार पहचान पत्र और प्रॉपर्टी आईडी आम जनता के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। अब हरियाणा में 11 जुलाई से 15 जुलाई तक परिवार पहचान पत्र की त्रुटियां ठीक करने के लिए शहरी और ग्रामीण स्तर पर फिर ड्रामें बाजी की जाएगी। कांग्रेस की यह मांग है कि इन पोर्टलों को तुरंत बंद किया जाए क्योंकि यह जन हितैषी नहीं है।
श्री यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी अपनी ही सरकार के द्वारा खोदे गए गड्डों को भरने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन प्रदेश की जनता सब जानती है। भाजपाइयों को साढ़े नौ साल के शासन के दौरान किए गए कृत्यों के लिए हर प्रदेशवासी से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।
सरपंचों को साधने की कोशिश नहीं होगी सफल- यादव
मीडिया को जारी बयान में कांग्रेस नेता राकेश यादव ने कहा कि सरपंचों को साधने की मुख्यमंत्री की कोशिश अब कतई सफल नहीं हो सकती। प्रदेश के सरपंचों पर जिस तरीके से पंचकूला में पुलिसिया बल प्रयोग किया गया, उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता।
पूर्व सत्र न्यायाधीश ने कहा कि केंद्र सरकार ने ओबीसी की क्रीमी लेयर आठ लाख तय की हुई है, लेकिन पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने इसे घटाकर छह लाख कर दिया था। बार-बार इसके खिलाफ आवाज उठने और हाई कोर्ट में जाने के बावजूद एक बार भी प्रदेश सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला।
अब उसी भाजपा की नायब सरकार ने इसे फिर से आठ लाख भले ही कर दिया हो, लेकिन राज्य सरकार के फैसले से इतने साल तक प्रभावित रहे हजारों परिवार व उनके बच्चे कभी भी उनके साथ हुए धोखे को भूल नहीं पाएंगे।
सत्ता छिनने के डर से रेवड़ियां बांटने की कोशिश- राकेश यादव
श्री यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने पहले खेतों में ट्यूबवेल को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए सोलर पंप की शर्त लगा दी थी। अब भाजपा के ही नायब सैनी ने इस शर्त को हटा दिया है, लेकिन किसानों को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई कौन करेगा। कच्चे कर्मचारियों और सफाई कर्मियों के वेतन में बढ़ोतरी की मांग लंबे अरसे से चली आ रही थी। कितनी ही बार धरने-प्रदर्शन के लिए हजारों कर्मचारी एकजुट होकर आवाज उठा चुके हैं। मगर सत्ता छिनने के डर से प्रदेश सरकार अब रेवड़ियां बांटने की कोशिश में जुटी है।