पीएम मोदी के मित्र, राव इंद्रजीत क्यों नहीं बन सके केंद्र सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर ! 

केंद्र में कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने से राव के समर्थकों में बनी मायूसी

समर्थकों को उम्मीद थी राव इंद्रजीत को बनाया जाएगा केंद्र में कैबिनेट मंत्री

राव इंद्रजीत कैबिनेट मंत्री क्यों नहीं  इसको लेकर लोगों में बनी चर्चा

रेवाड़ी। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह दक्षिण हरियाणा की राजनीति के सिरमौर रहे हैं। राव पहले कांग्रेस में थे। 2014 में उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा का दामन थाम लिया । राव बेहद साफ छवि के ईमानदार नेता हैं , इसमें किसी को कोई संशय नहीं है। मगर इस बार बहुत कम मतों से विजयी हो पाए। दक्षिण हरियाणा की जनता को उम्मीद थी कि राव को इस बार भाजपा की केंद्र में मोदी नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी  मिलेगी ।  रेवाड़ी जिले में एम्स के उद्घाटन समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी ने राव को अपना मित्र बताया व कहा कि राव जो कहते हैं वो करते हैं। मगर इस शपथ समारोह में राव को फिर से पहले की तरह केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। इस से राव के कार्यकर्ताओं में थोड़ी सी मायूसी है।

राव को मोदी कैबिनेट ने जगह क्यों नहीं मिली व इसका जिम्मेदार कौन है?  राजनैतिक पंडितों की माने तो इसके लिए कोई और नहीं राव स्वयं जिम्मेदार है।  राजनैतिक पंडितो ने इसके दो-तीन मुख्य कारण बताए है। राजनैतिक पंडितो का मानना है कि राव आज भी अपने अति आत्मविश्वास से भरपूर  हैं  । अपने कार्यकर्ताओं को ही अहमियत देते हैं , बजाय भाजपा कार्यकर्ताओं के इसलिए हाईकमान आज तक उन पर पूरा भरोसा नहीं जता पाया है। दूसरा कारण जब राव कांग्रेस में थे तब भी और जब राव भाजपा में आए तब भी उनकी पूर्व मुख्यमंत्रों क्रमशः भूपेंद्र सिंह हुड्डा व मनोहरलाल खट्टर से नहीं बन पाई । जिसकी रिपोर्ट हाईकमान के पास थी। हालांकि राव मीडिया को कई बार बता चुके हैं कि वे इलाके की भलाई के लिए मुख्यमंत्रियों से भिड़ जाते थे। 

तीसरा कारण राव का बार बार सांसद की जगह हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने बात कहते हुए दावा किया जाना भी है। वे हर समय यही चाहते हैं कि हरियाणा की बागडोर उनके हाथ मे आ जाए। राजनीति के जानकारी और सूत्रों के मुताबिक राव की व उनके कार्यकर्ताओं की जो फीड बैक भाजपा आलाकमान के पास है वो यही है कि वे भाजपा को कम व अपनी समर्थकों की ताकत को ज्यादा मानते है। इसलिए राव को ज्यादा ताकत नहीं दी जा सकी। मनोहरलाल खट्टर जो पहली बार सांसद बने वे सीधे कैबिनेट मंत्री बनाए गए । यह भी उसी रणनीति का भाग है। राजनैतिक पंडितो का मानना है कि इस बार जैसे पीएम मोदी ने बड़बोले बोल बोल कर अपनी जीत का मार्जिन घटवाया , बलिक पार्टी को भी नुकसान हुआ । ठीक उसी प्रकार राव के बोल भी उनके कैबिनेट मंत्री बनने में रोड़ा बन गए। अब देखना है कि राव क्या चाल चलते हैं? क्या वो अभी भी सीएम पद की लालसा  रखेंगे या फिर चुपचाप पार्टी के दिए हुए सम्मान को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री बने रहेंगे।

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