भाजपा बनाएगी सरकार,गर्दन पर होगी विपक्ष की तलवार

खुलकर अब सामने आ सकती है मोदी-अडानी की डीलिंग

रेवाड़ी, 05 जून ( पवन कुमार I- 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम आ चुके है I भाजपा का 400 पार का नारा 2004 के भाजपा के चुनावी नारे शाइनिंग इंडिया कि तरह नाकाम रहा I भाजपा इस लोकसभा चुनाव में 300 पार भी नहीं कर पाई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके कद के अनुसार अपने प्रतिद्वंदी से मात्र 152513 वोटों से वाराणसी से जीत पाए I जहां भाजपा मोदी के नाम पार चुनाव लड़ रही थी,उसी नरेन्द्र मोदी उम्मीद से कम अंतर से जीत उनके कद को कहीं ना कहीं कम करता है,अगर इंडिया गठबंधन को अंदाजा होता कि वाराणसी में मोदी कि शाख हवा फायर है तो नरेंद्र मोदी को हराने में अपनी पूरी ताक़त झोक देती I

नरेंद्र मोदी का मात्र डेढ़ लाख वोटों से जीतना,सीधा असर उनकी छवि और भविष्य कि राजनीति पर असर डालता हैI हो सकता है भाजपा को बचाने के लिए नरेंद्र मोदी को बैकफुट आना ही पड़ेगा I राहुल गाँधी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कह दिया, कि नैतिकता के आधार पार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस्तीफा दे देना चाहिए I अब भाजपा को अपने आपको बचाना है, किसी और को प्रधानमंत्री के लिए चुनना चाहिए अन्यथा नरेन्द्र मोदी भाजपा के लिए भस्मासुर ही साबित होंगे और अगर अगला लोकसभा चुनाव नरेन्द मोदी के नाम पर भाजपा ने लड़ा तो भाजपा का सफाया निश्चित है I जैसा कि हमने सोचा था कि लोकसभा चुनाव में एन डी ए 275 आएगी और इंडिया गठबंधन 250 के आस-पास रहेगी बाकी अन्य रहेंगे और सरकार तो भाजपा ही बनाएगी,उसके सर पार विपक्ष कि तलवार अवश्य लटकती रहेगी I जब भाजपा ने आंदोलन पर बैठे किसानों के साथ दुराचार किया, अग्निपथ योजना को लागू कर बेरोजगारों से खिलवाड़ किया I इसके साथ ही सविधान को बदलने कि बात कह कर भाजपा सरकार ने अपने पैर पर कुलाहड़ी मार ली, इसका परिणाम यह निकला कि,दलित और पिछड़ा वर्ग भाजपा के सविधान बदलने के मुद्दे को लेकर भाजपा से दूर हो गया और परिणाम यह निकला कि उस वर्ग ने भाजपा के खिलाफ वोटिंग की, जिसका परिणाम यह निकला वह 300 के अंदर सिमट गये I

अब केंद्र में सरकार बनाने जा रही भाजपा के सामने बीस ही नहीं उनीस ही सही एक मजबूत विपक्ष है, जो भाजपा को मनमानी नहीं करने देंगा और अब प्रधान मंत्री को भी जनता के सवालों का जवाब देना पड़ेगा,प्रधान मंत्री को भी प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ेगी I हो सकता है कि भाजपा भी गुट बंदी का शिकार हो जाये, जो एक प्रकार से नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के लिए निकट भविष्य में परेशानी खड़ी कर सकती है I इस बार अमित-मोदी की जोड़ी को अनेक परेशानियों से जूझना पड़ेगा और अडानी,अम्बानी और अन्य पूँजीपतियों से छुपी डीलिंग भी बाहर आएगी और बेशक़ काला धन बाहर ना आये पर नारंगी रंग अवश्य बाहर आएगा I हो सकता पक्ष-विपक्ष के बराबर होने के कारण सरकार ढाई साल ही चले और मध्यवर्ती चुनाव के आसार पैदा हो जाये I

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