जेजेपी की भी दुर्गति निर्दलीयों से भी खराब प्रदर्शन !

भारत सारथी/ कौशिक 

हरियाणा में नतीजे उसी अनुरूप सामने आ रहे हैं, जैसा की चुनाव प्रचार के दौरान देखने को मिल रहा था. एग्जिट पोल के अनुमान के उलट यहां बीजेपी उतना अच्‍छा प्रदर्शन करती नहीं दिख रही हैं. खबर लिखे जाने तक हरियाणा में बीजेपी महज 4 सीटों पर बढ़त में दिख रही है, जबकि कांग्रेस अच्‍छा प्रदर्शन करती दिख रही है. उधर, कभी राज्‍य में कभी भाजपा के साथ सरकार में रही जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बुरे हाल में है. काउंटिंग में उसके प्रत्‍याशी अच्‍छी कंडीशन में नहीं दिख रहे. कई जगह तो वे बेहद पीछे चल रहे हैं.

हरियाणा लोकसभा चुनाव के नतीजे जैसे सोचे जा रहे थे, रुझान उसका वैसा ही संकेत दे रहे हैं. यहां कभी 10 की 10 लोकसभा सीटों पर जहां बीजेपी का कब्‍जा था, उसे नुकसान होता दिख रहा है. सुबह 11 बजे तक के रुझान कह रहे थे कि कांग्रेस जहां 6 सीटों पर आगे चल रही थी, वहीं बीजेपी महज 4 सीटों पर बढ़त बनाए हुए थी, यानि 6 सीट पीछे.

वहीं, दुष्‍यंत चौटाला और उनके पिता अजय चौटाला के नेतृत्‍व में लोकसभा चुनाव मैदान में उतरी जेजेपी को भारी नुकसान दिख रहा है. उसके प्रत्‍याशी दूर दूर तक नहीं दिख रहे. चुनाव आयोग के सुबह सवा 11 बजे के आंकड़े कहते हैं कि अंबाला सीट पर जेजेपी की किरण पुनिया सिर्फ 1533 वोट पाकर छठे नंबर पर थीं. भिवानी महेंद्रगढ़ में जेजेपी के बहादुर सिंह तीसरे नंबर पर थे. उनके पास केवल 5000 वोट थे. फरीदाबाद में नलीन हुड्डा महज 1129 वोटों के साथ पांचवें नंबर पर थे. गुरुग्राम में राहुल फैजलपुरिया सिर्फ 3100 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

खुद हिसार सीट की बात करें तो दुष्‍यंत की माता नैना चौटाला भी केवल 4676 वोट हासिल कर पाई थीं. वह चौथे नंबर पर थीं. करनाल में जेजेपी के देवेंद्र कादयान 3624 वोट पाकर पांचवें नंबर पर थे. कुरुक्षेत्र में उसके पालाराम सैनी 1108 वोट के साथ छठे नंबर पर थे. रोहतक में 1083 वोट पाकर रविंद्र तीसरे तो सिरसा में रमेश खटक 5132 वोटों के साथ चौथे नंबर पर थे. सोनीपत में भी कमोबेश पार्टी का यही हाल था. उसके भूपेंद्र सिंह मलिक 2165 वोटों के साथ पांचवें नंबर पर रहे.

चौटाला फैमिली, जिसकी कभी राज्‍य में धमक थी, यानि केवल चौटाला नाम पर ही वोट डलता था, वह मटियामेट होता दिख रहा है. इनेलो की तरह ही जेजेपी बुरे प्रदर्शन की ओर है.

राजनीतिक विश्‍लेषकों के अनुसार, राज्‍य में सरकार में रहते हुए किसान आंदोलन, जाटों की अनदेखी, अग्निवीर योजना, महिला पहलवान जैसे मुद्दों पर जेजेपी की चुप्‍पी उसके लिए नुकसान का सबसे बड़ा कारण बनी है. खुद चुनाव प्रचार के दौरान दुष्‍यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला, पिता अजय चौटाला और प्रत्‍याशियों को लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी.

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