-समाज कल्याण अधिकारी अमित शर्मा को किया रिसीवर नियुक्त

– अपीलीय न्यायालय ने भी पाई सुनवाई के दौरान वित्तीय व चांदी की अनियमितताएं

– कुछ संसोधन के साथ अधिनस्थ न्यायालय के फैसले को रखा बरकरार

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। नगर के प्रसिद्ध एवं प्राचीन चामुण्डा देवी मंदिर के भंग ट्रस्ट के ट्रस्टी एवं प्रधान सूरज बौहरा वगैरा की अपील को अपीलीय न्यायालय ने खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि माँ चामुण्डा देवी मंदिर में वित्तीय व चांदी की अनियमितताओं के संबंध में ट्रस्टी नरेन्द्र सोनी उर्फ टीटू व सुरेश सैनी ने वर्ष 2014 में सिविल न्यायालय में एक प्रतिनिधि वाद दायर किया था। उक्त वाद की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सिविल जज (वरिष्ठ खण्ड) ने वर्ष 2020 में मंदिर के ट्रस्ट को भंग कर दिया था। उस समय मंदिर के ट्रस्ट में सूरज बौहरा प्रधान, सुभाष चौधरी उप प्रधान, चेतन प्रकाश चौधरी सचिव, विनोद गुप्ता कौषाध्यक्ष तथा विनोद महता स्टोर कीपर थे तथा 11 अन्य ट्रस्टी भी थे।

मूर्ती माँ चामुण्डा देवी के अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ एडवोकेट ने बताया कि नरेन्द्र सोनी पुत्र मुसद्दी लाल सोनी व सुरेश सैनी पुत्र श्री हरलाल सैनी वासी ढाणी कोजिन्दा ने वर्ष 2014 में मंदिर के ट्रस्टीयों द्वारा दान में प्राप्त चंादी व धनराशि में घोटाला करने तथा मंदिर की देखरेख तथा उचित प्रबंध ना करने का आरोप लगा कर मूर्ती चामुण्डा देवी वगैरा बनाम सूरज बौहरा वगैरा, एक प्रतिनिधि वाद दायर किया था। उक्त मुकदमें का फैसला वर्ष 2020 में माननीय अतिरिक्त सिविल जज वरिष्ठ खण्ड प्रवेश सिंगला के न्यायालय द्वारा मंजूर करते हुए, उस ट्रस्ट को भंग कर दिया था। नरेन्द्र सोनी को रिसीवर नियुक्त किया था।

अधिवक्ता श्री वशिष्ठ ने बताया कि इस प्राचीन मंदिर की देखरेख करने के लिए शहर के प्रतिष्ठित लोगों ने वर्ष 1986 में एक ट्रस्ट का निर्माण करके, एक ट्रस्ट डीड को सब रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजिकृत करवाया था। अधिकांश ट्रस्टीयों की मृत्यू हो जाने के बाद वर्ष 2011 में दुबारा से ट्रस्ट का पुनर्गठन किया गया था। वर्ष 1986 में निर्मित ट्रस्ट की ट्रस्ट डीड के अनुसार ट्रस्टियों को ट्रस्ट का कार्यवाही रजिस्टर, रोकड़ बही खाता तथा आमदनी व व्यय का हिसाब किताब रखना आवश्यक था। ट्रस्ट का किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता खोल कर धनराशि उसमें जमा करवानी अनिवार्य थी तथा बही खातों का प्रत्येक वर्ष किसी अधिकृत व्यक्ति से ऑडिट करवाना अनिवार्य था। उन्होंने बताया कि वर्तमान ट्रस्टियों का चुनाव वर्ष 2011 में हुआ था, लेकिन उसके बाद भी वर्ष 2013 तक ट्रस्ट कोई लेखा जोखा नहीं रखा। वर्ष 2013 बाद के उनके पेश किए गए लेखा जोखा में भी भारी वित्तीय अनियमितताएं थी तथा दान में प्राप्त चांदी का कोई हिसाब किताब नहीं था। ट्रस्ट का कभी कोई बैंक खाता खुलवाया ही नहीं गया तथा लाखों रुपए की धनराशि ट्रस्टीयों ने अपने पास ही रखी हुई थी। अतिरिक्त सिविल जज (वरिष्ठ खण्ड) ने गंभीर मानते हुए वर्ष 2020 में वाद को डिक्री कर दिया था।

उक्त आदेश के विरूद्ध भंग ट्रस्ट के प्रधान सूरज बौहरा, सचिव चेतन चौधरी, कौषाध्यक्ष विनोद गुप्ता, रतन लाल गोयल, रूडमल चौधरी, देवेन्द्र दीवान व पुरषोत्तम लाल सोनी, विनोद महता व कैलाश शुक्ला ने दो अपीलें दायर की थी। उक्त अपील की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान अपीलीय न्यायालय ने नरेन्द्र सोनी की जगह तहसीलदार नारनौल को रिसीवर नियुक्त कर दिया था। उक्त अपील की अंतिम सुनवाई करते हुए माननीय दयानन्द भारद्वाज, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने दोनों अपीलों की एक आदेश से खारिज कर दिया। अपीलीय न्यायालय ने अपने फैसले में जिला समाज कल्याण अधिकारी अमित शर्मा को अग्र लिखित निर्देशों के साथ मंदिर का रिसीवर बनाया है।

 रिसीवर 15 दिनों के भीतर ट्रस्टीयों से मंदिर की सम्पत्तियों को प्राप्त करेगा तथा अपीलार्थियों से 40 किलो चांदी प्राप्ती की नरेन्द्र सोनी की दरखास्त पर कार्यवाही करेगा।

 तहसीलदार, नए रिसीवर को सम्पूर्ण चार्ज देगा।

 रिसीवर 15 दिनों के भीतर बैंक खाता खुलवाएगा व ट्रस्ट के नाम से बैंक लॉकर लेगा।

 रिसीवर आमद, खर्च, दान आदि का पूरा खाता तैयार करेगा।

 रिसीवर मंदिर में कोई बडा निर्माण नहीं करेगा। यदि ऐसे निर्माण की स्थिति आती है, तो उसके लिए लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियन्ता से मंजूरी प्राप्त करेगा। छोटी मरम्मत वह करवा सकता है।

 दान या राशि के लिए रसीद दी जाएगी। दान के पश्चात रसीद प्राप्त करने बारे मंदिर के मुख्य द्वार व अन्य जगह पर बोर्ड लगाने होंगे।

 दान पात्र के उपर कैमरे लगाने होंगे तथा 15 दिनों में सिीवर की मौजूदगी में दान पात्र खोता जाएगा, जिसकी रिकॉर्डिंग सीसीटीवी कैमरा में की जाएगी।

 दान में प्राप्त सोना चांदी व नकदी को आगामी कार्य दिवस में बैंक के लॉकर व खाते में जमा करवाएगा।

 भंग ट्रस्ट के ट्रस्टी, रिसीवर के आदेश के बिना ट्रस्ट के कार्यालय में नहीं जा सकेंगे तथा ना ही वे मंदिर के प्रबंधन में दखल कर सकेंगे। भंग ट्रस्ट का ट्रस्टी सत्यनारायण निर्मल, जो मंदिर का पुजारी के रूप में कार्य कर सकेगा, किन्तु व मंदिर किसी अन्य गतिविधि में भाग नहीं ले सकेगा।

 रिसीवर 6 महिनों के भीतर निष्ठावान, कर्तव्य निष्ठ छवि वाले व्यक्तियों को शामिल करके नए ट्रस्ट का गठन करेगा, किन्तु उस ट्रस्ट में भंग ट्रस्ट के किसी भी ट्रस्टी को शामिल नहीं किया जाएगा।

 रिसीवर दैनिक कार्यों के लिए, आम जनता में से अच्छी छवि वाले दो लोगों को नियुक्त कर सकता है।

 अपीलीय न्यायालय ने अपने आदेश में अपीलों को खारिज करते हुए, समाज कल्याण अधिकारी अमित शर्मा को रिसीवर नियुक्त किया है तथा उन्हें 6 माह में नया ट्रस्ट गठन करने के आदेश दिए हैं, जिसमें पहले के किसी भी ट्रस्टी को शामिल नहीं किया जाएगा।

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