हरियाणा में सामाजिक आर्थिक आधार पर आरक्षण रद्द

नंबर बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी नायब सरकार, सीएम बोले वंचितों को न्याय दिलाने की लड़ाई जारी रहेगी

पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर बोले अन्त्योदय के संकल्प को पूरा करने की लड़ाई जारी रहेगी

अशोक कुमार कौशिक 

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार की नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर कुछ वर्गों के कैंडिडेटों को अतिरिक्त अंक देने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित समाजिक आर्थिक मानदंडो को असंवैधानिक करार दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से हरियाणा सरकार को बड़ा झटका लगा है। अब इस पर प्रदेश के सीएम नायाब सैनी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी।

वंचितों को न्याय दिलाने की लड़ाई जारी रहेगी

प्रदेश के सीएम नायब सैनी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि समाज के गरीब, कमजोर और वंचित वर्ग को आगे लाने के लिए अतरिक्त 5 नंबर देने कि एक महत्वकांक्षी योजना हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई थी। जिसके विरुद्ध हाई कोर्ट ने निर्णय दिया और इसे निरस्त कर दिया गया। हरियाणा सरकार के नाते हम संवैधानिक और कानूनी परक्रियाओं के तहत इस लड़ाई को जारी रखेंगे और माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। गरीबों, कमजोर और वंचितों को न्याय दिलाने की यह लडाई हरियाणा सरकार अंतिम विकल्प तक लड़ती रहेगी। 

सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंको का प्रावधान

बता दें कि हरियाणा सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों में सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अंक देने का प्रावधान किया था। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में बताया गया था कि प्रदेश सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है। इस आरक्षण के तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर न हो और परिवार की आमदनी कम हो तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंकों का लाभ देने का प्रावधान किया गया था। 

हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी याचिका

हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुरूप सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि सामाजिक आर्थिक आधार पर आरक्षण का फैसला संविधान के खिलाफ है। अब हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी।

– अब हाई कोर्ट के इस फैसले पर प्रदेश के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर की प्रतिक्रिया सामने आई 

पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर ट्वीट कर कहा कि “हम अंत्योदय के संकल्प को लेकर चले थें और इस संकल्प को पूरा करने के लिए ही समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े और कमज़ोर वर्ग को अतिरिक्त 5 अंक दिए जाने की योजना बनाई गई थी, जिसे हाई कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया है।”

उन्होंने आगे कहा कि “कानून की अपनी प्रक्रिया और मर्यादाएं हैं पर अन्त्योदय के इस संकल्प को पूरा करने की यह लड़ाई जारी रहेगी। मैं हरियाणा परिवार के अपने उन सभी गरीब, कमजोर और विधवा माताओं-बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि जिन्हें इस योजना का लाभ मिला था, उन्हें न्याय दिलाने के लिए हम हमेशा उनके साथ खड़े हैं और खड़े रहेंगे।”

क्या है योजना?

दरअसल, हाई कोर्ट में सरकार के सामाजिक-आर्थिक आरक्षण के विरोध में दाखिल याचिका में बताया गया था कि प्रदेश सरकार ने संविधान के खिलाफ जाकर सामाजिक-आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया है। हरियाणा सरकार की ओर से इस आरक्षण के तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर न हो और परिवार की आमदनी कम हो, तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त नंबर का लाभ देने का प्रावधान किया गया था।

वहीं हाई कोर्ट ने सामाजिक और आर्थिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। अब याचिका के निपटारे के बाद प्रदेश में हजारों रुकी नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है।

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