कांग्रेस क्या बनाने जा रही है रिकॉर्ड?, जेजेपी-ईनेलो किसको पहुंचाएगी नुकसान 

अशोक कुमार कौशिक

 लोकसभा चुनावों का दंगल छठे दौर में पहुंच रहा है. 25 मई को छठे फेज की वोटिंग होनी है। ‘दंगल’ शब्द का ज़िक्र हो, तो हरियाणा खुद ब खुद ज़हन में आ जाता है। चुनावों के लिहाज से हरियाणा बेलवेदर स्टेट कहलाता है, क्योंकि 1999 से हरियाणा जीतने वाली पार्टी केंद्र की सत्ता में काबिज़ होती आई है। 2019 में बीजेपी ने इन सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2024 के इलेक्शन से ठीक पहले हरियाणा में बड़ा सियासी उलटफेर देखा गया। सियासी घटनाक्रम के बीच बीजेपी -जेजेपी के रास्ते जुदा हो गए। बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया, जिससे दुष्यंत चौटाला से पार्टी का गठबंधन खत्म हो गया। अब बीजेपी राज्य में अकेले चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी भी मैदान में हैं। हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन है। आइए समझते हैं कि हरियाणा में बीजेपी क्या 2019 की तरह 10 का दम दिखा पाएगी? या कांग्रेस के ‘हाथ’ मौजूदा सियासी हालात बदलने में कामयाब होंगे।

10 सीटों पर 223 उम्मीदवार आजमा रहे किस्मत

हरियाणा में बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। बीजेपी, कांग्रेस, जेजेपी और इनेलो ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं। विपक्षी दलों के INDIA अलायंस से ‘आप’ कुरूक्षेत्र संसदीय सीट से चुनाव लड़ रही है। 10 लोकसभा सीटों पर कुल 16 महिलाओं सहित 223 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

कौन कहां से दे रहा टक्कर?

1. हिसार सीट: रणजीत चौटाला (बीजेपी), नैना चौटाला (जेजेपी), सुनैना चौटाला (ईनेलो), जयप्रकाश (कांग्रेस)।

2. सोनीपत सीट: सतपाल ब्रह्मचारी (कांग्रेस) और मोहन लाल बडौली (बीजेपी)।

3. सिरसा सीट : कुमारी सैलजा (कांग्रेस) और अशोक तंवर (बीजेपी)।

4. गुरुग्राम सीट: राव इंद्रजीत (बीजेपी) और राज बब्बर (कांग्रेस)

5.फरीदाबाद सीट: कृष्णपाल गुर्जर (बीजेपी) और महेंद्र प्रताप सिंह (कांग्रेस)।

6. रोहतक सीट: दीपेंद्र सिंह हुड्डा (कांग्रेस) और अरविंद शर्मा (बीजेपी)। हमसे

7.करनाल: मनोहरलाल खट्टर (बीजेपी) और दिव्यांशु बुद्धिराजा (कांग्रेस)।

8.कुरुक्षेत्र : नवीन जिंदल (बीजेपी), डॉ. सुशील गुप्ता (आप),अभय चौटाला (ईनेलो)।

9.अंबाला: बंतो कटारिया (बीजेपी) और वरुण मुलाना (कांग्रेस)।

10.भिवानी-महेंद्रगढ़ : राव दान सिंह (कांग्रेस) और चौधरी धर्मबीर सिंह (बीजेपी)।

2024 में हर सीट पर कांग्रेस से मिल रही टक्कर

पिछले चुनाव में 10 की 10 सीटें बीजेपी की झोली में गई थीं। रोहतक को छोड़ कहीं और कड़ा मुकाबला भी नहीं दिखा था। इस बार कहानी बदली हुई है। लगभग हर सीट पर कांग्रेस बीजेपी को टक्कर दे रही है। रोहतक, सिरसा और सोनीपत में बीजेपी नेताओं को ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है। करनाल, गुरुग्राम और फरीदाबाद सीट कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई हैं। अंबाला, हिसार, भिवानी-महेंद्रगढ़ और कुरुक्षेत्र में भी कड़ा मुकाबला है।

2019 में बीजेपी ने दिखाया 10 का दम

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीटें जीत ली थी। बीजेपी का वोट शेयर 58% रहा था। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर 28% रहा। इनेलो का वोट शेयर 0% था, जबकि जेजेपी को 5% वोट मिले थे।

2014 में बीजेपी ने दिखाए दांव-पेंच

2014 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। बीजेपी ने 10 में से 7 सीटें जीती। वोट शेयर 35% रहा। कांग्रेस ने एक सीट जीती और वोट शेयर 23% रहा। जबकि ईनेलो को 2 सीटें मिली थी और उसका वोट शेयर 24% रहा था।

2009 में कांग्रेस ने दिखाया था करिश्मा

वहीं, 2009 के इलेक्शन में कांग्रेस ने हरियाणा में 9 सीटें जीती थी। वोट शेयर 42% था। जबकि हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) को एक सीट मिली थी। बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन उसका वोट शेयर 12% था। इनेलो का वोट शेयर 16% रहा।

2019 में किसको किस जाति का मिला वोट?

CSDS लोकनीति के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 के इलेक्शन में ग़ैर जाट अगड़ी जातियों का 74% वोट बीजेपी को गया। कांग्रेस को 18% वोट मिले। 50% जाट ने बीजेपी और 33% ने कांग्रेस के लिए वोट किया। ओबीसी समुदाय का 73% वोट बीजेपी को गया और 22% ने कांग्रेस को चुना। एससी समुदाय का 58% वोट बीजेपी और 28% कांग्रेस को मिला। मुस्लिम वोटों की बात करें, तो इस समुदाय का 14% वोट बीजेपी और 86% वोट कांग्रेस को गया था।

कांग्रेस के लिए क्या हरियाणा का दंगल मुश्किल?

2019 में बीजेपी ने ज़्यादातर सीटें भारी अंतर से जीती थीं। ऐसे में कांग्रेस को बीजेपी के वोट में काफी सेंध लगानी पड़ेगी। पिछली बार बीजेपी की जीत का मार्जिन इतना बड़ा था कि अगर 15% तक भी उनके वोट बैंक में सेंध लगाए, तब भी 5 सीटें ही जीत पाएगी। 

मौजूदा सियासी हालात में तीन संभावनाएं बन रही हैं:-

-अगर बीजेपी के 5% वोट कांग्रेस+ झटक ले, तो इस केस में बीजेपी को 9 सीटें मिलेंगी। कांग्रेस+ के पास एक सीट चली जाएगी।

 -अगर बीजेपी के 10% वोट कांग्रेस+ झटक ले, तो इस केस में बीजेपी को 10 में से 8 सीटें मिलेंगी। कांग्रेस+ के पास 2 सीटें हो जाएंगी।

– अगर बीजेपी के 15% वोट कांग्रेस+ झटक ले, तो बीजेपी को 5 सीटें ही मिलेंगी। कांग्रेस+ को भी 5 सीटें मिलेंगी।

जेजेपी और इनेलो किसे पहुंचाएंगे नुकसान?

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, “हरियाणा एक ऐसा राज्य है, जहां 2014 के पहले भाजपा की स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी। 2014 के बाद ही भाजपा हरियाणा के विधानसभा और लोकसभा सीटों पर मजबूत स्थिति में आई है। सरकार की 10 साल की इंकमबेंसी होगी। प्रो इंकमबेंसी भी हो सकती है और एंटी इंकमबेंसी भी हो सकती है। क्योंकि बीच में बहुत सारी ऐसी घटनाएं हुई हैं, जैसे किसान आंदोलन… इसका असर चुनाव में दिखेगा। जाहिर तौर पर जेजेपी और इनेलो इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगी। अब भाजपा को कितना नुकसान पहुंचाएगी, ये देखने वाली बात होगी।”

जातियों के अखाड़े में कौन जीतेगा?

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, “इस बार का चुनाव कई मायनों में बदला हुआ है। किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना का असर साफतौर पर दिख रहा है, जिससे कांग्रेस को फायदा हुआ है। अग्निवीर से भी भाजपा की अग्निपरीक्षा होनी है। कांग्रेस युवाओं की नाराजगी को वोटों में बदलना चाह रही है। हालांकि, असरदार फैक्टर पीएम मोदी का ही चेहरा सामने है जो पहले की तरह करिश्माई दिखाई नहीं देता। मोदी चेहरे को मनोहर लाल खट्टर की नीतियों ने भी पलीता लगा दिया।” प्रदेश की जनता पोर्टल और प्रॉपर्टी आईडी के नाम पर बहुत खफा है। बेरोजगारी- महंगाई के साथ स्थानीय मुद्दे की हावी है। 

क्या मुख्यमंत्री बदलने से भाजपा को होगा फायदा?

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, “हरियाणा में भाजपा मजबूत पोजिशन में नहीं हैं। भले ही बीजेपी ने चुनाव से पहले सीएम बदल दिया। बीजेपी ने हरियाणा में ओबीसी वर्ग से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर पिछड़े वर्ग के नेताओं को एकजुट करने का प्रयास किया है। इससे सीधे तौर पर ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है।” इसका निर्णय 4 जून को तय होगा।

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