-कमलेश भारतीय

लोकसभा चुनाव में अब यही स्थिति आ गयी है -इक सवाल तुम करो, इक सवाल हम करें ! ये सवाल जवाब का सिलसिला बड़ा मज़ेदार मोड़ लेता जा रहा है । किसान सवाल पूछ रहे हैं भाजपा-जजपा नेताओं से कि दिल्ली तक का हमारा रास्ता क्यों रोका था तो अब हम आपका दिल्ली तक जाने का रास्ता रोकेंगे ! हमें ‘बीमारी’ बताते थे, अब हमारा इलाज भी देखो ! अब जब तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होगा तब तक हम आपकी बात नहीं सुनेंगे ! खराब फसलों का मुआवजा लेने के लिए लघु सचिवालय के सामने धरने लगाने की नौबत क्यों आई? खाद लेने के लिए लम्बी लम्बी कतारों में क्यों खड़ा होना पड़ा और फसल बेचने के लिए अनाज मंडियों में खुले आसमान के नीचे क्यों सोना पड़ा?

इधर कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश मनाने गये उचाना में चौ बीरेंद्र सिंह व बृजेन्द्र सिंह को तो समर्थकों ने सवाल किया मज़ेदार कि वोट हमसे मांगते हो और मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बनवाते हो ! जवाब और भी बढ़िया कि यह तो दो भाइयों के बीच का मामला सै, मेरी इतनी ब्योंत कहां कि किसी को मुख्यमंत्री बना या बनवा सकूं ! यह भी कहा कि बृजेन्द्र की टिकट काट सकूं, यह ब्योंत नहीं मेरी ! जयप्रकाश के साथ जुड़ा ‘ग्रीन ब्रिगेड’ का टैग हर चुनाव में कैश किया जाता है और भाजपा प्रत्याशी इसे कैश करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे ! दूसरी ओर कुलदीप बिश्नोई ने नयी बात कही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को कि मेरे पिता चौ भजनलाल ने बाइपास जयप्रकाश के लिए ही बनवाया तकि वह हिसार से बाहर ही बाहर निकल जाये ! और फतेहाबाद जाकर और भी मज़ेदार बात कही कि मैं कोई उनकी लुगाई थोड़े हूँ, जो मुझे मनायेंगे? मुख्यमंत्री हिसार आये थे तो लोकसभा साथ प्रदेश के विकास व लोकसभा चुनाव को लेकर बातचीत हुई थी न कि किसी तरह का मान मनोबल !

इधर एक नया मोड़ आया सिरसा लोकसभा चुनाव के प्रचार में जब भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर के चुनाव प्रचार में जर्मनी से सांसद राहुल कम्बोज और उनके साथ कुछ विदेशी महिलायें प्रचार के लिए पहुंचीं । अब कोई नहीं कहेगा कि प्रचार में ‘विदेशी हाथ’ है ! एक समय हर बात के लिए कांग्रेस पर दोष मढ़ने के लिए ‘विदेशी हाथ’ की दुहाई दी जाती थी। अब यह मुहावरा पुराने जमाने की बात हो गयी !

इधर ईडी परेशान है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत क्यों दे दी‌ ! ईडी का कहना है कि केजरीवाल जेल जाने के नाम पर वोट मांग रहे हैं ! सुप्रीम कोर्ट का दो टूक जवाब कि वे ऐसा कर सकते हैं, इस पर हम कुछ नहीं कहेंगे !

हम भी कुछ नहीं कहे़ंगे
हम बोलेगा तो बोलेंगे कि बोलता है!
हम कुछ नहीं बोलेगा!
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी. 9416047075