अभय जैन एडवोकेट ने इसकी शिकायत हरियाणा के मुख्यमंत्री से की रेरा नियमों के अनुसार ऐसा करना है गंभीर दंडनीय अपराध प्री-बुकिंग के नाम पर बुकिंंग राशि नहीं ले सकती डेवेलपर, बिल्डर फतह सिंह उजाला गुरुग्राम। फ्लैट्स की प्री-बुकिंग की नाम से तीन बिल्डर द्वारा रेरा के नियमों का उल्लंघन किया है। नियमों में साफ दिया गया है कि किसी प्रोजेक्ट के रेरा पंजीकरण के बिना कोई भी डेवेलपर नए प्रोजेक्ट के लिए प्री-बुकिंग नहीं कर सकता। रेरा एक्सपर्ट एवं मानव आवाज संस्था के संयोजक अभय जैन एडवोकेट ने इसकी शिकायत हरियाणा के मुख्यमंत्री से की है। अभय जैन के अनुसार हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण से अनिवार्य रेरा पंजीकरण प्रमाण-पत्र प्राप्त किए बिना डेवलपर्स अपनी प्रोजेक्ट से फ्लैट बुकिंग कर रहे हें। यह रियल एस्टेट अधिनियम, 2016 की धारा 3 का घोर उल्लंघन है। ऐसी हजारों घटनाएं हैं, जहां भोले-भाले खरीदारों को डेवलपर्स की आगामी परियोजनाओं के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) की आड़ में अच्छी रकम देने का लालच दिया गया। पहले इसे प्री-बुकिंग कहकर प्रोजेक्ट बेचे जाते थे, लेकिन अब ईओआई कहा जाने लगा है। अधिनियम, 2016 की धारा 3 में स्पष्ट कहा गया है कि डेवेलपर अपने प्रोजेक्ट को संबंधित प्राधिकरण से पंजीकृत कराए बिना एक पैसा भी एकत्र नहीं कर सकता है। कोई भी प्रमोटर किसी भी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट या उसके हिस्से में, जैसा भी मामला हो, किसी प्लॉट, अपार्टमेंट या इमारत का विज्ञापन, विपणन, पुस्तक, बिक्री या बिक्री की पेशकश नहीं करेगा। इसके अलावा किसी भी तरीके से व्यक्तियों को खरीदने के लिए आमंत्रित नहीं करेगा। इस अधिनियम के तहत स्थापित रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण के साथ रियल एस्टेट परियोजना को पंजीकृत किए बिना कोई भी योजना सिरे नहीं चढ़ाई जा सकती। अभय जैन के मुताबिक, कुछ खरीदारों से पता चला है कि प्रमुख डेवलपर्स जैसे वाटिका वन इंडिया नेक्स्ट प्राइवेट लिमिटेड अपने आगामी प्रोजेक्ट वाटिका क्रॉसओवर के लिए सेक्टर-82ए, सिग्नेचर ग्लोबल डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड अपने आगामी लक्जरी अपार्टमेंट प्रोजेक्ट सिग्नेचर ग्लोबल सिटी, सेक्टर-37डी गुरुग्राम और एडोर प्रॉपमार्ट एलएलपी ने सेक्टर-77 मानेसर में अपने आगामी प्रोजेक्ट द सेलेक्ट प्रीमिया के लिए बड़ी संख्या में अपनी इकाइयां बेची थीं। उन्होंने कहा कि रेरा के नियमों के अनुसार हर प्रोजेक्ट के लिए अलग से बैंक खाता होना चाहिए और घर खरीदारों द्वारा जमा कराई जाने वाले रकम उसी खाते में जमा हो। प्रोजेक्ट में अगर डेवेलपर देरी करता है तो उस खाते को फ्रीज किया जाना चाहिए, ताकि उस पैसे का किसी दूसरे काम में उपयोग ना हो। अभय जैन एडवोकेट ने कहा कि वर्ष 2005 से 2015 तक के वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में डेवलपर्स ने अपनी सेंकड़ों आगामी परियोजनाएं खरीदारों को बेचकर नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, हरियाणा से आवश्यक अनिवार्य लाइसेंस के बिना खरीदारों से भारी राशि एकत्र की थी। उन्होंने कहा कि एक मई 2017 को रेरा का गठन हुआ था। रेरा के इस नियम को पूरा तरह से माना जाता था, लेकिन अब पिछले कुछ समय से रेरा के इस पंजीकरण वाले नियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां ऐसे डेवलपर्स ने ऐसे खरीदारों से एकत्र की गई बड़ी राशि का दुरुपयोग या हेराफेरी की है। इस प्रकार परियोजनाएं अभी भी पूरी नहीं हुई हैं। यही कारण है कि ऐसे डेवलपर्स को भारी रकम चुकाने के बावजूद हजारों खरीदार अभी भी अपनी आवासीय इकाइयां पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ डेवलपर्स अभी भी आगामी परियोजनाओं की अपनी प्रस्तावित इकाइयों को बेच रहे हैं। उनका अनुरोध है कि ऐसे डेवलपर्स के खिलाफ रेरा को कार्रवाई करने का निर्देश दें, जो अभी भी अपनी प्रस्तावित इकाइयों को बेच रहे हैं। अभय जैन एडवोकेट के अनुसार रेरा के चेयरमैन अरुण कुमार ने उन्हें आश्वस्त किया है कि इस तरह के मामलों की जांच करके दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। Post navigation चार बार राजा जी को अपना सांसद चुनकर भेजा, उन्होंने इस क्षेत्र का कोई विकास नहीं किया : राज बब्बर क्या भाजपा आश्वस्त है दसों सीटें जीतने को ?