पिछले एक दशक से ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहा यह मामला डबल इंजन की सरकार बना रहा दृढ़ इच्छा शक्ति का अभाव बड़ा सवाल चुनाव के समय ही हाई कोर्ट का मामला हुआ गरम फतह सिंह उजाला गुरुग्राम । इलेक्शन पार्लियामेंट के हो या फिर स्टेट असेंबली के, 5 वर्ष में ही होते हैं और इलेक्शन के समय ही ऐसे ऐसे मुद्दे भी सामने निकल कर आते हैं। जिनको कभी पहले बोलकर या तो भुला दिया जाता है या फिर बर्फ में लगा दिया जाता है। एक दिन पहले ही केंद्र और भाजपा की डबल इंजन सरकार के मंत्री और भाजपा के उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा कहा गया कि गुड़गांव में हरियाणा का अलग से हाई कोर्ट बनवाया जाएगा। हाई कोर्ट की सुविधा लोगों को तथा एडवोकेट्स को मिलनी भी चाहिए, करीब एक दशक पहले दक्षिणी हरियाणा में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की बेंच स्थापित किए जाने का मामला सुर्खियों मे बना रहा। लेकिन समय के करवट लेने के साथ ही यह मामला भी बर्फ में दब गया या फिर ठंडे बस्ते में चला गया। यह कहना है वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री श्रीमती पर्ल चौधरी का । आम जनता को अपने निकटतम न्याय मिलने के इस महत्वपूर्ण मुद्दे और सवाल पर सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा हाई कोर्ट की बेंच अथवा पीठ चंडीगढ़ से बाहर दिल्ली के नजदीक दक्षिणी हरियाणा क्षेत्र में स्थापित नहीं होना डबल इंजन सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति का अभाव ही है। उन्होंने विश्वास पूर्वक कहा 2024 में गुड़गांव से कांग्रेस के राज बब्बर के सांसद चुने जाने और हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने पर चंडीगढ़ से बाहर विशेष रूप से दक्षिणी हरियाणा में ही अलग से हरियाणा हाई कोर्ट बेंच अथवा पीठ बनवाने का ऐतिहासिक कार्य किया जाएगा। इसी प्रकार से कहीं ना कहीं हरियाणा प्रदेश की अलग से राजधानी बनाया जाना अब समय की जरूरत है । उन्होंने कहा जिला अदालतों के बाद अक्सर लोगों को और एडवोकेट्स को न्याय के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ आना-जाना पड़ रहा है। यह सुविधा उपलब्ध होने पर लोगों का समय और धन दोनों की बचत हो सकेगी। गौरतलब है कि वर्ष 2015 में केंद्र और हरियाणा में संपूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार बनने पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के द्वारा हाई कोर्ट की बेंच अथवा पीठ का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया । इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के द्वारा पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के पास आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजा गया। अलग पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की अलग बेंच के लिए वरिष्ठ न्यायाधीश की एक समिति का गठन किया गया। इस समिति के द्वारा जांच के बाद अलग से हाई कोर्ट की पीठ या बेंच के लिए असहमति प्रकट की गई । यह बात भी महत्वपूर्ण है कि सीएम रहते हुए मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी इस मामले को लेकर अपनी अपनी मुहिम चलते रहे । 2015 में ही विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बैठक में भी इस मामले को उठाया गया था। समय बीतने के साथ-साथ यह मामला एक तरफ सरका दिया गया । अब चुनाव के समय एक बार फिर से हरियाणा का अलग हाई कोर्ट बनाए जाने का मामला मुद्दा बना दिया गया। अब यह तो भविष्य के गर्भ में है की किया गया वादा पूरा होगा या फिर सुर्खियां बनकर रह जाएगा। Post navigation बाबा साहेब आंबेडकर को भारत रत्न मोदी ने दिया : राव इंद्रजीत जिन्हें विकास नहीं दिख रहा , उन्हें दिल्ली – मुंबई एक्सप्रेस वे दिखाकर 25 मई को वापस मुंबई भेजेंगे : आरती राव