विज बोले- मैं आज आपको कुछ दे नहीं सकता, मेरे पास जो ताकत थी वह ले ली गई

शर्मा बोले जब छांव में बैठने का वक्त आया तो कहते हैं समय नहीं है

कम नहीं है कैप्टन व धनखड़ की भी ‘पीड़ा’

संघ व धुरंधरों की नाराजगी हरियाणा में खिलाएगी ‘गुल’

राजस्थान – उत्तर प्रदेश के पहले चरण के लोकसभा चुनाव के बाद संघ की नाराजगी हरियाणा में भी रहेगी कायम?

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में लोकसभा चुनाव का शोर अब खूब सुनाई देने लगा है। प्रदेश की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने में सबसे आगे रही भाजपा के प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। एकतरफ जहां भाजपा प्रत्याशियों का जगह-जगह विरोध हो रहा है वही चुनावी प्रचार की बजाय भाजपा के धुरंधर नेता अपनी उपेक्षा, पीड़ा और दर्द को लेकर अब सार्वजनिक रूप से अपनी सरकार के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। अनुभवी लोगों की ‘अनदेखी’ कर ‘नए लोगों को प्रोत्साहन’ देने पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामबिलास शर्मा, पूर्व गृहमंत्री अनिल विज, पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ को ‘उम्मीद’ के मुताबिक ‘महत्व’ नहीं मिला, जबकि 2014 से पूर्व इन्हें पार्टी का मजबूत ‘स्तंभ’ माना जाता था। यही स्थिति विधानसभा स्तर पर भी है जहां पुराने कार्यकर्ता अपने आप को ‘उपेक्षित’ महसूस कर रहे हैं। हरियाणा में संघ के लोग भी चुप्पी साधे बैठे हैं। 

हरियाणा में भाजपा-जजपा का गठबंधन टूटने और नायब सैनी सरकार बनाते समय हुई अनदेखी से नाराज पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल विज अभी शांत नहीं हुए हैं। मंगलवार को फिर उनका अंबाला कैंट के महावीर जैन स्कूल के कार्यक्रम में ‘दर्द छलक उठा’। यहां संबोधित करते हुए अनिल विज ने कहा कि मैं आज आपको कुछ दे नहीं सकता,क्योंकि मेरे पास जो ‘देने वाली ताकत’ थी वह ‘मेरे से ले ली गई’ है। विज ने कहा कि मैं पहले जब भी स्कूल आया कुछ न कुछ देकर अवश्य गया हूं। मगर आज भी मैं कुछ देकर ही जाऊंगा और आज मैं स्कूल को अपनी शुभकामनाएं देता हूं और आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं आपकी हर लड़ाई में आपके साथ खड़ा हूं।

सरकार बनाते हुए विज को अंधेरे में रखा

विदित हो कि हरियाणा में भाजपा और जजपा का गठबंधन टूटने के बाद से पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल विज की नाराजगी बढ़ी हुई है। अनिल विज कई बार साफ कह चुके हैं कि नायब सरकार का गठन करते हुए उन्हे ‘अंधेरे’ में रखा गया। पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कई बार पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को भी ‘निशाने’ पर लिया। हालांकि, अनिल विज की नाराजगी दूर करने के लिए पूर्व सीएम मनोहर लाल महीने भीतर 2 बार अंबाला कैंट का दौरा कर चुके हैं। इनके अलावा सीएम नायब सिंह सैनी, परिवहन मंत्री असीम गोयल व राज्य मंत्री महीपाल ढांडा भी आशीर्वाद लेने पहुंचे थे।

विज का मानना- गलत बात हो तो नाराज होना भी चाहिए

पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल विज का मानना है कि अगर कोई गलत बात हो तो नाराज भी होना चाहिए। दरअसल, पूर्व सीएम मनोहर लाल ने बयान दिया था कि अनिल विज नाराज होते रहते हैं। विज का कहना है कि मैं अपनी बात कह देता हूं, उसे कोई नाराजगी माने तो माने।

अनिल विज व भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया।

पूर्व मंत्री कैंट विधानसभा क्षेत्र से बाहर नहीं कर रहे प्रचार

पूर्व मंत्री अनिल विज अपनी विधानसभा क्षेत्र अंबाला कैंट से बाहर प्रचार नहीं कर रहे। वे साफ कह चुके हैं कि मैं छोटा सा कार्यकर्ता हूं। अपने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित रहूंगा। यहीं की सेवा करूंगा। अंबाला लोकसभा सीट से भी भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया अंबाला, पंचकूला और यमुनानगर जिले में प्रचार-प्रसार कर रही है।

खुद सीएम नायब सिंह सैनी, परिवहन मंत्री असीम गोयल उनके लिए विजय संकल्प रैली आयोजित करा वोट मांग रहे हैं, लेकिन पूर्व मंत्री अनिल विज अपने विधानसभा क्षेत्र में ही बंतो कटारिया का प्रचार कर रहे हैं। विज ने मंगलवार को बाजारों में पैदल घूम बंतो कटारिया के साथ अंबाला कैंट की मार्केट में शॉप-टू-शॉप दस्तक देकर प्रचार किया।

अनिल विज ने एबीवीपी के जरिए राजनीति की शुरुआत की अंबाला कैंट से छह बार भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते। 2014 में स्वास्थ्य और 2019 में जीत के बाद गृहमंत्री बने। 2019 के बाद दो बार सीएम पद की रेस में नाम आया। 1990 में सुषमा स्वराज के कैंट सीट छोड़ने के बाद उप चुनाव में पहली बार विधायक बने थे।

पिछले माह 12 मार्च को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम हुआ बीजेपी और बीजेपी का सवा 4 साल पुराना गठबंधन टूट गया। मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया इसके कुछ घंटे बाद ही नायब सैनी को विधायक दल का नेता चुनने के साथ ही मुख्यमंत्री बना दिया गया इससे पार्टी के वरिष्ठ नेता अनिल विज पूरी तरह नाराज हो गए विज उसी दिन विधायक दल की बैठक को बीच में छोड़कर चले गए। 

इसके बाद उन्हें पार्टी ने मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने। जिसकी वजह से अनिल विज को मंत्रिमंडल में भी शामिल नहीं किया गया। अनिल विज की नाराजगी इसके बाद खुलकर सामने आने लगी। विज ने खुद को अपने विधानसभा क्षेत्र अंबाला कैंट तक सीमित कर लिया। गुरुग्राम में हुई लोकसभा चुनाव को लेकर प्रदेश स्तरीय बैठक व अन्य कार्यक्रमों से दूरी बना ली।

विज ने यह भी कहा कि मेरे जैसे वरिष्ठ नेता को ही यह तक नहीं पता चला कि मुख्यमंत्री बदला जा रहा है। दूसरी जगह चुनाव प्रचार से किनारा किया हुआ है। वह खुद कह चुके हैं कि वह तो पार्टी के छोटे से कार्यकर्ता है, उन्हें पार्टी ने उनकी हैसियत बता दी।

अब पंडित जी की पीड़ा आई बाहर

अनदेखी का ताजा दर्द रविवार को नांगल चौधरी व मंगलवार को नारनौल की ‘विजय संकल्प रैली’ में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामबिलास शर्मा का भी सामने आया उन्होंने सीएम नायब सैनी की मौजूदगी में ‘भारी मन’ से कह दिया ‘पेड़ हमने लगाया, जब छांव में बैठने के दिन आए तो हमें कहते हैं कि समय नहीं है’। दरअसल जब रैली के मंच पर रामबिलास शर्मा बोल रहे थे तो भाषण के दौरान उन्हें गार्गी कक्कड़ ने टोक दिया। गार्गी कक्कड़ पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की नजदीकी मानी जाती है। इसके बाद उन्होंने यह बयान दिया। इतना ही नहीं पूर्व मंत्री ओम प्रकाश यादव का नाम लेने का समय आया तो उन्होंने कहा कि ओम प्रकाश यादव को लोग पूर्व मंत्री कहते हैं। उन्हें पता होना चाहिए ‘समय को भरोसो कोनी, कब पलटी मार जावै, कभी-कभी गादड़ा सू, सिंह हार जावै’। उन्होंने मंच पर ही ऐलान कर दिया कि 4 जून के बाद बाद फिर से मंत्रिमंडल का गठन होगा और ओमप्रकाश यादव मंत्री होंगे। 

मंगलवार को नारनौल में आयोजित रैली में भी वह अपने को रोक ना सके और उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री व अहीरवाल ‘क्षत्रप राव राजा’ इंद्रजीत सिंह को मुख्यमंत्री की मौजूदगी में मुख्यमंत्री कह दिया। फिर बाद में सफाई दी गई कि व अक्षर न बोलने के कारण इसका गलत अर्थ निकाला गया। 

यहां बता दे की पंडित रामबिलास शर्मा की गिनती हरियाणा भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में होती है। जब भाजपा को जनता महत्व नहीं देती थी तब वह विधायक थे। आपातकाल के दौरान उन्होंने जेल में काफी पीड़ा सही। वह भाजपा की टिकट पर महेंद्रगढ़ लोकसभा से चुनाव भी लड़ चुके हैं।  2014 में उनके ही नेतृत्व में पार्टी ने हरियाणा में पहले लोकसभा फिर विधानसभा चुनाव लड़ा और प्रदेश में पहली बार अपने बलबूते पर भाजपा ने सरकार बनाई। उस समय रामबिलास शर्मा का नाम सीएम पद के दावेदारों में सबसे ऊपर था। दक्षिणी हरियाणा में वोट बटोरने के लिए भाजपा ने राव राजा इंद्रजीत सिंह को भी मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया था। इसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी कैप्टन अभिमन्यु ओमप्रकाश धनखड़ आदि को प्रोजेक्ट किया गया था। लेकिन पार्टी हाई कमान (पीएम मोदी) ने सबको चौंकाते हुए करनाल से पहली बार मोदी लहर में चुने गए मनोहर लाल खट्टर को सीएम बना दिया। उस समय रामबिलास शर्मा और कैप्टन अभिमन्यु को अहम मंत्रालय दिए गए। पंडित जी को शिक्षा मंत्री बनाया गया तो अभिमन्यु को वित्त मंत्रालय सौंपा गया।

1990, 1993 और 2023 से 2014 तक पंडित रामविलास शर्मा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। वह महेंद्रगढ़ सीट से चार बार विधायक चुने गए। 1987 से 1990 तक जनस्वास्थ्य मंत्री, 1996 से 1999 तक शिक्षा मंत्री 2014 से 2019 में फिर शिक्षा मंत्री बने। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह से उन्हें हार मिली। इस पराजय का कारण रामपुरा हाउस की ‘नाराजगी’ और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की ‘भीतरधात’ बताई जाती है।

2019 में शर्मा, कैप्टन हारे, विज को मायूस होना पड़ा 

5 साल बाद 2019 में फिर से विधानसभा चुनाव हुए। भाजपा का 70 पार का नारा हवा हवाई हो गया और वह 40 का आंकड़ा छू पाई। निर्दलीय विधायकों के समर्थन व जेजीपी गठबंधन से सरकार तो बन गई। उस समय भी भाजपा मनोहर लाल को हटाकर किसी और नेता को सीएम बनाएगी ऐसी चर्चा जोरो पर रही। इसमें सबसे ऊपर अनिल विज का नाम था। अनिल विज हरियाणा भाजपा के पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने छठी बार चुनाव जीता और विधायक बने। यहां भी पार्टी ने फिर सबको चौंका कर अनिल विज को दरकिनार कर (मोदी कृपा से )मनोहर लाल खट्टर को दोबारा मुख्यमंत्री बना दिया। 

टिकट नहीं मिलने से शांत बैठे कैप्टन 

वहीं भाजपा के एक ओर वरिष्ठ नेता कैप्टन अभिमन्यु की फिलहाल घर बैठने को मजबूर है इस बार वह हिसार लोकसभा सीट पर सबसे मजबूत उम्मीदवार थे। लेकिन पार्टी ने उनकी जगह मात्र आधे घंटे पहले पार्टी सदस्यता लेने वाले रंजीत सिंह चौटाला को टिकट दे दी। चौटाला बीजेपी सरकार को पिछले 5 साल से समर्थन दे रहे हैं। वह अभी प्रदेश सरकार में मंत्री भी है। 

चौटाला को टिकट मिलने के बाद भाजपा के एक और नेता कुलदीप बिश्नोई और उनके विधायक बेटे भव्य बिश्नोई भी नाराज दिखे। कैप्टन अभिमन्यु के साथ-साथ कुलदीप और भव्य बिश्नोई ने अभी तक चौटाला के चुनावी प्रचार से दूरी बनाई हुई है । इसके पीछे की वजह भी टिकट नहीं मिलना ही है।

यहां यह भी बता दें कि पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को भी मनोहर लाल खट्टर की शह पर प्रदेश राष्ट्रीय संगठन में भेजा गया। ओमप्रकाश धनखड़ हाईकमान के निर्णय से नाखुश बताए जा रहे हैं। 

इधर प्रदेश में कांग्रेस से आयातित उम्मीदवारों को अधिकांश सीटों पर उतर गया। संगठन के इस निर्णय से जहां किसान नाराज है वही कर्मठ कार्यकर्ता भी दूरी बनाए हुए हैं। उम्मीदवारों को जगह-जगह विरोध का सामना करना पड़ रहा है। 

यहां यह लिखना उचित होगा कि भारतीय जनता पार्टी को गुजरात लाबी ने ‘भारतीय मोदी पार्टी’ बनाकर रख छोड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशाली से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी नाखुश है। संघ को मनाने के लिए पहले चरण के वोटिंग से पूर्व प्रधानमंत्री ने नागपुर में डेरा डाला, पर उनको समय नहीं दिया गया। उत्तर प्रदेश व राजस्थान में पहले चरण की वोटिंग के बाद यह सामने आ गया कि संघ मोदी – अमित शाह की कार्य प्रणाली से नाराज है। इसलिए उसने चुप्पी साध ली। पहले चरण के मतदान में गिरावट का मुख्य कारण यह माना जा रहा है। 

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