रामविलास शर्मा की एक बार फिर जुबान फिसली 

नारनौल विधानसभा से टिकटार्थी नहीं जुटा पाए भीड़, जनता की बेरुखी आई सामने 

अशोक कुमार कौशिक 

दक्षिणी हरियाणा की ‘अहीरवाल भूमि’ पर आज मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की दूसरी रैली थी। नारनौल रैली से पूर्व रविवार को नांगल चौधरी में भाजपा के नांगल चौधरी विधायक द्वारा रैली का आयोजन हो चुका। वीरवार को महेंद्रगढ़ में इसके बाद रैली का आयोजन होगा। जिला महेंद्रगढ़ के नांगल चौधरी में आयोजित विजय संकल्प रैली में ‘राव राजा’ इंद्रजीत सिंह नहीं थे। वही मंगलवार को नारनौल की विजय संकल्प रैली में राव इंद्रजीत सिंह के साथ ‘पहली बार’ नांगल चौधरी के विधायक डॉक्टर अभय सिंह यादव ने मंच ‘सांझा’ किया, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। 

नांगल चौधरी की रैली में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष पंडित रामबिलास शर्मा ने डॉक्टर अभय सिंह पर तंज किया था तो वही आज नारनौल रैली में भी उनकी ‘जुबान’ एक बार फिर ‘फिसल’ गई। 

नारनौल विधानसभा से सैनी समाज से सरोकार रखने वाली दो महिला राजनीतिक शख्सियत (विधानसभा टिकट की दावेदार) भीड़ जुटाना में नाकाम रही। भीड़ की दृष्टि से नारनौल रैली को सफल नहीं कहा जा सकता। यह हाल तब है जब नारनौल शहर में सैनी समाज का बोलबाला है। शहर के आसपास ग्रामीण क्षेत्र में अहीरों का वर्चस्व है।

दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में पहली बार  इस लोकसभा चुनाव में एक अजीब राजनीतिक ‘नजारा’ मंगलवार को नारनौल में देखने को मिला। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद 2024 तक एक दूसरे के धुर विरोधी केंद्र में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री व गुरुग्राम सांसद राव इंद्रजीत सिंह व नांगल चौधरी के विधायक डॉ अभय सिंह यादव के राजनीतिक ‘अहम’ जग जाहिर था। राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में दोनों नेता अहम के चलते एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में डॉ अभय सिंह यादव की नारनौल स्थित आवास पर ‘इनेलो’ का ‘हरा झंडा’ लहरा रहा था, ‘बाबा रामदेव की कृपा’ से उन्होंने भाजपा के कमल को थाम लिया। उस चुनाव में डेरा सच्चा सौदा सिरसा तथा राव इंद्रजीत सिंह की बैसाखी होने के बावजूद बहुत कम अंतर से डॉक्टर अभय सिंह यादव ने ‘जीत का सेहरा’ बमुश्किल पहन पाए थे। इस जीत के बाद डॉक्टर अभय सिंह यादव और अहीरवाल क्षत्रप के बीच राजनीतिक खाई चोड़ी होती चली गई। समय-समय पर वह प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप में एक दूसरे पर ‘कटाक्ष’ करने से नहीं चूकते थे। 

तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद हरियाणा को नायब सिंह सैनी के रूप में नया मुख्यमंत्री मिला। सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बावजूद मनोहर लाल खट्टर ही पर्दे के पीछे सरकार को चला रहे हैं। जिसका अनेक बार प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिला है। मनोहर लाल खट्टर ने भी अपनी अहमियत को चमकाने के लिए कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा स्टाइल में राव इंद्रजीत सिंह और डॉक्टर अभय सिंह के बीच दुरियां बढ़ाने के लिए विधायक के ‘अहम’ को बढ़ावा दे उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को हवा दी। 

समय के साथ दोनों के बीच दूरियां काफी लंबी हो गई और मौका मिलते ही एक दूसरे पर ‘वार’ करने से दोनों नेता नहीं चूकते थे। राव इंद्रजीत सिंह के राजनीतिक वर्चस्व को कम करने के लिए मनोहर लाल खट्टर की डॉक्टर अभय सिंह यादव को पूरी शह मिलती रही। समय आने पर मनोहर लाल खट्टर ने अभय सिंह पर अपनी कृपा भी बरसा दी। इधर अभय सिंह यादव को राज्य मंत्री बनाए जाने पर राव राजा ने भी अधोषित चुप्पी साध ली। इसे राजनीतिक मजबूरी कहे या भाजपा हाई कमान का आदेश की दोनों नेताओं को अब मंच तक ‘सांझा’ करना पड़ रहा है और संबोधन में एक दूसरे का नाम भी लेना पड़ रहा है। पर अभी दोनों के बीच खाई पुरी तरह ‘पटी’ नहीं है।

-रामबिलास शर्मा की एक बार फिर जुबान फिसली 

नारनौल विजय संकल्प रैली में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व प्रदेश कैबिनेट मंत्री पंडित रामबिलास शर्मा की जुबान एक बार फिर फिसल गई। इसे उम्र का तकाजा कहे या राजनीतिक ‘दूरदर्शिता’ कि उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री सैनी की मौजूदगी में दक्षिणी हरियाणा के क्षत्रप राव राजा इंद्रजीत सिंह को हरियाणा का मुख्यमंत्री कहकर संबोधित किया।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पंडित रामबिलास शर्मा अकारण कुछ नहीं बोलते। उन्हें राजनीति का लंबा अनुभव है और वह राजनीतिक दूरदर्शिता का भरपूर उपयोग करते हुए अपना संबोधन करते हैं। स्वर्गीय राव राजा बीरेंद्र सिंह उनको असली राजनीतिज्ञ मानते थे। भले ही कुछ लोग उन्हें उम्र दराज होने के कारण दिया गया वक्तव्य कह कर पल्ला झाड़ने की बात करें।

यहां यह भी बता दे की रविवार को नांगल चौधरी में आयोजित विजय संकल्प रैली में उन्होंने डॉक्टर अभय सिंह यादव पर करारा ‘तंज’ कसा था। ‘कदै कदै गादड़ा सू सिंह हार जावै, समय को भरोसो कोनी कब पलटी मार जावै’ कह सबको चौंकाया था। उन्होंने नारनौल के विधायक व पूर्व मंत्री ओम प्रकाश यादव को पूर्व मंत्री कहे जाने पर ऐतराज जताते हुए मुख्यमंत्री के समक्ष ही कहा था कि 4 जून को एक बार फिर मंत्रिमंडल का गठन होगा और ओम प्रकाश यादव फिर से मंत्री परिषद का हिस्सा बनेंगे। 

नांगल चौधरी और नारनौल के वक्तव्य को देखते हुए यह कहा जा सकता है की पंडित रामबिलास शर्मा ने अकारण ही ऐसे शब्दों का उल्लेख नहीं किया। यह भाजपा की अंदरूनी राजनीति और प्रभाव को लेकर दिया हुआ सोची समझी राजनीति के रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

– सैनी समाज से जुड़ी राजनीतिक हस्तियां भी भीड़ नहीं जुटा पाई, -‘राव राजा’ के लोग रहे सक्रिय 

नारनौल शहर की सैनी समाज से जुड़ी दो शख्सियत अब एक साथ भाजपा में है। एक नगर परिषद की पूर्व चेयरपर्सन भारती सैनी है तो दूसरी वर्तमान चेयरपर्सन कमलेश सैनी है। दोनों के बीच एक यह समानता है की दोनों टिकटार्थी हैं। वर्तमान नगर परिषद चेयरपर्सन श्रीमती कमलेश सैनी दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी है और इससे पूर्व वह जननायक जनता पार्टी में थी। वह जपपा छोड़ कर हाल ही में भाजपा में शामिल हुई है। 

श्रीमती कमलेश सैनी का का वर्तमान विधायक से संबंध ठीक है जबकि भारती सैनी का नारनौल के विधायक ओम प्रकाश यादव से 36 का आंकड़ा है। नगर परिषद के चुनाव में ओम प्रकाश यादव ने उनके भ्रष्टाचार को लेकर खुलकर मुखालफत की थी। उसकी नाराजगी भी आज देखने को मिली जब भारती सैनी ने अपने संबोधन में नारनौल के विधायक ओम प्रकाश यादव का नाम लेना भी उचित नहीं समझा। 

यहां यह बता दे अहीरवाल क्षेत्र में राजनीतिक वर्चस्व के लिए अहीर और सैनी बिरादरी में लड़ाई रहती है। नारनौल विजय संकल्प रैली में शहर की भीड़ न के बराबर देखी गई जबकि नारनौल शहर में सैनियों का बोलबाला है। 

यह भी आज यह भी देखा गया कि सैनी सभा के प्रधान बिशन सैनी को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पगड़ी पहनाने के लिए मंच तक नहीं जाने दिया गया, जिस शहर के सैनी समाज में नाराजगी है।

नारनौल विजय संकल्प रैली को भीड़ के नजरिये से सफल नहीं कहा जा सकता। कहा तो यहां तक जा रहा है जो भीड़ भी आई है वह राव राजा के चेहतो ने जुटाई। क्या भाजपा के प्रति लोगों में पनप रही नाराजगी इसका एक मुख्य कारण हो सकती है। यह नाराजगी केंद्र सरकार के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रति भी है।

नारनौल विजय संकल्प रैली के दौरान सभी लोगों के द्वारा मुख्यमंत्री का सम्मान करवाया गया, लेकिन सब्जी मंडी आढती एसोसिएशन का नाम नहीं लिया गया।

 सब्जी मंडी के प्रधान अजीत सिंह व उप प्रधान रोशन लाल मंच पर विराजमान होकर भी अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इस विषय में मंच संचालक तथा कार्यक्रम को संयोजन करने वाले सभी नेताओं को इस बारे में ज्ञात था। लगभग 300 की तादाद में सब्जी मंडी से जुड़े हुए लोग इस जनसभा में पहुंचे थे।

 अपनी बेइज्ती महसूस करते हुए सब्जी मंडी के पदाधिकारियों ने आने वाले लोकसभा चुनावों में इन लोगों का विरोध करने का फैसला किया है।

आज नारनौल नई अनाज मंडी में भिवानी- महेंद्रगढ़ लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी चौधरी धर्मवीर सिंह के समर्थन में आयोजकों द्वारा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का सब्जी मंडी यूनियन के द्वारा मान सम्मान न करवाने तथा मंच से नाम न लेने के कारण सब्जी मंडी द्वारा विरोध करने का फैसला किया गया है। 2 दिन पहले रैली को लेकर हुई बैठक में सब्जी मंडी के पदाधिकारियों ने पूर्व मंत्री एवं विधायक नारनौल ओमप्रकाश यादव व बीजेपी अध्यक्ष दयाराम यादव को बुलाया तथा पगड़ी, पानी की बोतल की व्यवस्था, फूल मालाएं, बुक्के और एक बड़े हार की व्यवस्था सब्जी मंडी की तरफ से की गई। बाद में सैनी समाज के लोगों ने रैली का बाय काट किया।

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