स्कूल स्टाफ को भी पता था; बस हादसे पर बड़ा खुलासा

अनेक खामियों से युक्त थी बस, स्कूल मैनेजमेंट बराबर का दोषी

ड्राइवर सहित प्रबंधन के बड़े बेटे होशियार सिंह तथा पुत्रवधू प्राचार्य दीप्ति राव गिरफ्तार

हाई कोर्ट में दिए गए हल्फनामे में पर खरा नहीं उतर पाई सरकार, मासूमों को चुकानी पड़ी कीमत

2014 में भिवानी में भी हुआ था ऐसा हादसा

अशोक कुमार कौशिक 

नारनौल। जिले में बृहस्पतिवार को स्कूल के बच्चों को लेकर जा रही एक बस के पलट जाने से छह छात्रों की मौत हो गई ।  इस हादसे के बाद से लोगों में भारी गुस्सा और वे स्कूल के खिलाफ भी एक्शन की मांग कर रहे हैं। 

हनुमान सिंह नाम के एक शख्स ने कहा कि “स्कूल अधिकारी भी इसके लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं।” उन्होंने कहा कि स्कूल अधिकारियों को पता था कि बस ड्राइवर शराब के नशे में था। हनुमान सिंह की दो पोतियां भी इसी बस में सवार थीं जिन्हें चोटें आई हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेवाड़ी के एक निजी अस्पताल में पोती का सीटी स्कैन कराने का इंतजार कर रहे हनुमान सिंह ने बताया, “खेड़ी तलवाना में, बस को कुछ ग्रामीणों ने रोका था। उन्होंने देखा कि ड्राइवर नशे में था और लापरवाही से गाड़ी चला रहा था। उन्होंने बस की चाबियां निकाल लीं। बस में मौजूद स्कूल स्टाफ के कहने पर उन्होंने चाबियां वापस दे दीं। गांव से करीब 6 किमी दूर हादसा हो गया।”

हनुमान सिंह की पोती, राधिका और भूमिका, जीआरएल स्कूल के उन 40 छात्रों में से थीं, जो दुर्घटना की शिकार बस में बैठी थीं। कक्षा 2 की छात्रा राधिका के सिर पर कई चोटें आईं हैं। उसका जीसीएस स्कोर 11 है। ग्लासगो कोमा स्केल (जीसीएस) का इस्तेमाल सिर की चोट के बाद किसी व्यक्ति की चेतना के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। हनुमान सिंह ने कहा, “डॉक्टरों ने हमें बताया है कि सात से कम स्कोर वाले मरीज कोमा में चला जाता है …राधिका का स्कोर 11 है और हम शाम तक इंतजार कर रहे हैं कि क्या किया जाना चाहिए।”

हनुमान सिंह ने कहा कि उन्होंने शुरू में कनीना के अस्पतालों में दोनों बच्चियों को तलाशा। बाद में उन्हें स्कूल अधिकारियों से फोन आया कि वे रेवाड़ी में हैं। उन्होंने कहा, “हम अस्पताल पहुंचे और पाया कि 8 साल की भूमिका के दाहिने हाथ में चोट लगी है, जबकि राधिका को गंभीर चोटें आई हैं।” हनुमान सिंह की तरह, महेश कुमार भी इधर-उधर भागे जब उन्हें बताया गया कि उनके दो बच्चों और भतीजे को ले जा रही बस पलट गई गई है। हालांकि उन्होंने कहा कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं और रेवाड़ी के एक अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन उनकी भतीजे रिकी की मृत्यु हो गई है।

गांव खेड़ी में हादसे के बाद छीन ली थी चालक से बस की चाबी

हादसे से पूर्व बस चालक ने गांव खेड़ी-तलवाना में एक बाइक को टक्कर मार दी थी, जिसके बाद खेड़ी निवासी युवक तूड़ी पर गिर गया था। उसने बस स्टैंड पर बस रुकवाकर चालक से चाबी छीन ली थी। चालक के मुंह से शराब की बदबू आने के बाद युवक ने इसकी शिकायत स्कूल प्रबंधन से कर दी थी, लेकिन प्रबंधन की ओर से स्कूल पहुंचने पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया और चालक को बस लेकर जाने दिया गया। पीड़ित अभिभावकों का कहना है कि यदि स्कूल प्रबंधन उसी समय इस बात पर ध्यान देता तो शायद यह हादसा न होता। वहीं कुछ ग्रामीणों के बच्चे भी इस बस में सवार थे, जिनके अनुरोध पर चालक को चाबी वापस दे दी गई। इसके बाद उन्हाणी मोड़ पर यह हादसा हो गया।

इसमें जान गंवाने वाले बच्चों में चार बच्चे महेंद्रगढ़ जिले में पड़ने वाले गांव झाड़ली गांव के हैं, जिसमें से दो सगे भाई थे। ये दोनों ही परिवार की संतान थी।

एक ही गांव के चार बच्चों की हुई मौत

हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के गांव झाड़ली के लिए गुरुवार का दिन काला दिन बन गया। बस हादसे में चार बच्चों की मौत से इस गांव मातम पसरा हुआ है। जानकारी के अनुसार, इस गांव के कुल 13 बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते थे, जिसमें से कुछ बच्चों ने छुट्टी कर ली थी और 8 बच्चे स्कूल गए थे। सभी बच्चे इस बस में ही सवार थे। हादसे में चार बच्चों की मौत हो गई, जबकि चार बच्चे घायल हुए। हालांकि, घायल चार बच्चों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।

दो भाई का एक साथ हुआ अंतिम संस्कार

हादसे में अपनी जान गंवाने वाले दो सगे भाई अंशु (13) और यशु (15) का एक साथ ही अंतिम संस्कार किया गया। वहीं, इनके घर से कुछ ही दूरी पर युवराज और सत्यम के घर हैं। इस हादसे में युवराज और सत्यम की भी मौत हो गई। इन दोनों बच्चों का भी शाम को अंतिम संस्कार कर दिया गया।

इसी स्कूल में पढ़ते थे झाड़ली गांव के 13 बच्चे

बता दें कि महेंद्रगढ़ जिले के दादरी रोड पर पड़ने वाले गांव झाड़ली के 13 बच्चे GL पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे। यह स्कूल गांव से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कनीना कस्बा में है और सभी बच्चे एक ही बस में आते-जाते थे। आज गुरुवार को गांव के कुछ बच्चों ने छुट्टी कर ली थी, लेकिन 8 बच्चे ईद की छुट्‌टी होने के बावजूद स्कूल के बुलावे पर पढ़ाई करने के लिए स्कूल बस में सवार होकर घर से निकले और हादसे के शिकार हो गए।

झाड़ली निवासी संदीप कुमार के बुझ गए दोनों चिराग

संदीप कुमार और उनकी पत्नी सुषमा का हादसे के बाद बुरा हाल है। इनके दो पुत्र यक्षु और अंशु थे। परिवार में दो ही पुत्र थे। संदीप कुमार प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। यक्षु व अंशु दोनों सगे भाई सुबह 7:45 बजे बस में सवार हुए थे। उनकी इच्छा भविष्य में खिलाड़ी बनने की थी और वो दोनों हीं इस हादसे का शिकार हो गए। दोनों की चिताएं पास-पास जलीं।

वहीं पूर्व शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा के भांजे एवं पूर्व सरपंच झाड़ली निवासी संजय के बेटे युवराज की भी इस हादसे में मौत हो गई है। वहीं सत्यम के पिता राकेश हादसे के बाद टूट चुके हैं। अब परिवार में एक लड़की है। वहीं हादसे में गांव धनौंदा निवासी रिक्की पुत्री रविंद्र व वंश पुत्र दुष्यंत निवासी धनौंदा भी हादसे का शिकार हुए हैं। गांव धनौंदा और झाड़ली में एक साथ छह चिताएं जलने से क्षेत्र में मातम है।

संजय का दूसरा बेटा नहीं गया था स्कूल, बच गई जान

मृतक युवराज के पिता संजय ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं, एक लड़का युवराज व दूसरा लड़का काला (घर का नाम) है। वीरवार को स्कूल में केवल युवराज ही गया था। छोटा बच्चा स्कूल नहीं गया, जिसकी वजह से वह बच गया। वहीं मृतक सत्यम के पिता राकेश शर्मा ने बताया कि उनका एक लड़का व एक लड़की थे। लड़का सत्यम वीरवार को स्कूल में गया था। बेटी मुस्कान किसी कार्य से घर पर ही रह गई, जिस कारण हादसे का शिकार होने से बच गई। झाड़ली गांव के ग्रामीण अनिल, राजवीर, सुरेंद्र, महीपाल, नवीन ने बताया कि स्कूल के प्रिंसिपल को इसके बारे में कई बार सूचना दी गई थी कि बस चालक कोताही बरतता है। नशे में रहता है, लेकिन प्रिंसिपल व प्रशासन की ओर से कोई भी कार्रवाई नहीं की गई।

स्कूल मैनेजमेंट घटना के लिए बराबर का जिम्मेदार

जीएल पब्लिक स्‍कूल का मैनेजमेंट भी इस घटना में बराबर का जिम्‍मेदार रहा, जिसने कई पैमानों पर खामियों से भरी बस को सड़क पर चलने दिया। यहां तक की शराब पिए चालक को बस चलाने की इजाजत भी दी। ईद-उल-फितर की सरकारी छुट्टी के बावजूद स्कूल चल रहा था। पुलिस जांच के अनुसार, बस का फिटनेस सर्टिफिकेट छह साल पहले 2018 में समाप्त हो गया था। ऐसा नहीं है कि केवल यही खामी बस के अंदर थी, वह अन्‍य कई खामियों से भरी हुई थी।

परिवहन विभाग के सूत्रों से प्राप्‍त कागजों के आधार पर कहती है कि घोर उल्‍लंघन किया गया था. बस के मालिक की तरफ से फ‍िटनेस सटिफ‍िकेट को कभी रिन्‍यू ही नहीं कराया गया, जबकि वह 23 अगस्‍त 2018 को भी एक्‍सपायर हो गया था। यहां तक की उसका इंश्‍योरेंस भी नहीं था। इंश्‍योरेंस 30 अगस्‍तक 2017 को ही खत्‍म हो गया था।

2017 के बाद से बस का रोड टैक्‍स भी नहीं भरा गया था। बस में विंडो ग्रिल भी नहीं लगी थी, जबकि स्‍कूली बच्‍चों के लिए इस्‍तेमाल होने वाली बसों में इसका होना अनिवार्य है। बस के अंदर प्राथमिक उपचार के लिए कोई फर्स्‍ट एड बॉक्‍स भी नहीं रखा गया था। साथ ही इसमें कोई महत्‍वपूर्ण कॉन्‍टेक्‍ट नंबर भी नहीं दिया गया था।

अब इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिरना शुरू हो गई है। हरियाणा, चंडीगढ़ परिवहन आयुक्त यशेंद्र सिंह ने नारनौल में डीटीओ-सह-सचिव, आरटीए, महेंद्रगढ़ के कार्यालय में सहायक सचिव प्रदीप कुमार को बीते कल ही तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। निलंबन को आदेश में कहा लिखा गया है कि सहायक सचिव जिले के भीतर वैध दस्तावेजों के बिना सड़क पर चलने वाले वाहनों पर नियंत्रण करने में विफल रहे हैं। जिसके कारण स्कूल जीएल पब्लिक स्कूल की बस पंजीकरण संख्या एचआर-66ए-7514, जो वैध दस्तावेजों के बिना सड़क पर चल रही थी, आज दुर्घटनाग्रस्त हो गई। परिणामस्वरूप 8 स्कूली बच्चों की मौत हो गई और घायल हो गए।

हलांकि उन्हें हरियाणा सिविल सेवा (दंड और अपील) नियम, 2016 के नियम -5 के तहत स्वीकार्य निर्वाह भत्ता मिलेगा।

हरियाणा सरकार पिछले साल हाईकोर्ट में दिए गए अपने ही हलफनामे का अनुपालन कराने में पूरी तरह से विफल रही है। प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर अदालत को भरोसा दिलाया था कि स्कूली बच्चों के सफर को सुरक्षित बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। 

सरकार ने अपने हलफनामे में कही थी ये बात

सरकार ने सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी सही ढंग से लागू करवाने के लिए स्कूली बसों की जांच के लिए कमेटी का गठन करने की बात भी अपने हलफनामे में कही थी। इस कमेटी में तकनीकी विशेषज्ञ, मोटर वाहन इंस्पेक्टर, पुलिस व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शामिल करने का दावा किया गया था, लेकिन महेंद्रगढ़ हादसे ने स्कूल शिक्षा और परिवहन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली की सच्चाई की पोल खोलकर रख दी।

दिया जाता ध्‍यान तो नहीं होता हादसा

हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में जो हलफनामा दिया था, यदि उस पर सही ढंग से काम कर लिया गया होता तो ऐसा हादसा नहीं होता। अब इस बात की कोई गारंटी नहीं रह गई कि भविष्य में भी ऐसे हादसे नहीं होंगे, क्योंकि शिक्षा व परिवहन विभाग की किसी तरह की कोई तैयारी नहीं है।

हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में दायर हलफनामे में बताया था कि राज्य के स्कूलों में बच्चों को प्रताड़ना व परेशानी से बचाने के लिए स्कूली बसों की रूट पर जांच न करते हुए स्कूलों में जांच की जा रही है। समय समय पर नियमों के खिलाफ चल रही बसों की जांच का प्रविधान किया गया है तथा चालान काटकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

2014 में भी हुआ था हादसा

हरियाणा सरकार के इस जवाब पर विश्वास करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए याची पक्ष को छूट दी थी कि अगर उसे सेफ स्कूल वाहन नीति के खिलाफ कोई शिकायत है तो वह संबंधित अथारिटी को शिकायत दर्ज करवा सकता है।

इस मामले में दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि निगरानी के अभाव में स्कूल बसों के साथ हादसों की संख्या बढ़ रही है। भिवानी के बाल क्रांति ट्रस्ट की ओर से दाखिल जनहित याचिका में बताया गया था कि वर्ष 2014 में स्कूल बस दुर्घटना में कई मासूमों की जान चली गई थी।

पंजाब और हरियाणा को हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश

हाई कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए पंजाब और हरियाणा दोनों राज्य सरकारों को ठोस नीति बनाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। हाई कोर्ट के आदेश पर हरियाणा और पंजाब दोनों सरकारों ने नीति बनाने की बात कही थी।

हरियाणा ने सुरक्षित स्कूल वाहन नीति तो पंजाब ने इसी तरह की पॉलिसी बनाकर इसे लागू किया था। इस पॉलिसी के तहत राज्य और जिला स्तर पर समितियां गठित कर समय-समय पर बसों की जांच करने का प्रविधान किया गया। इन बसों में मासूमों की सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध करने की व्यवस्था की गई।

याचिकाकर्ता के बताया कि यह नीति बनाने के बावजूद इसे लागू नहीं किया जा रहा है। निगरानी न होने के चलते हादसों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। याचिकाकर्ता ने पूर्व में हुई कुछ दुर्घटनाओं का याचिका में हवाला दिया था, जिसमें मासूम बच्चों की जान गई। याचिकाकर्ता ने कहा कि यदि समय पर बसों की जांच की गई होती तो यह हादसे टाले जा सकते थे। इन दुर्घटनाओं का कारण बसों में खामियां थी।

स्कूली बसों की जांच के हाई कोर्ट के आदेशों की अनुपालन नहीं

हाई कोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के राज्य बाल कल्याण समितियों को आदेश दिया था कि वह स्कूली बसों की जांच करें। हाई कोर्ट ने स्कूली बसों को पास करने में डीटीओ द्वारा सही जांच न करने पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि उनके संज्ञान में आया है कि डीटीओ बस पास करते समय सही मापदंड की पालना नहीं करते।

बेंच ने स्पष्ट किया था कि अगर किसी बस में सेफ स्कूल वाहन की नीति पालना नहीं होती तो उसके लिए प्रिंसिपल जिम्मेदार होंगे। हाई कोर्ट ने राज्य बाल कल्याण परिषद को निर्देश दिया था कि वह राज्य की सभी स्कूल बसों की जांच करते रहें और यह जांच करें कि क्या स्कूली बसें सुरक्षित वाहन नीति की पालना कर रही हैं।

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा

स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षित परिवहन नीति और मानक तैयार करने के लिए राज्य, जिला और उप जिला स्तर की समितियां गठित करने का दावा सरकार की ओर से किया गया है। प्रदेश स्तरीय कमेटी इस पॉलिसी और स्कूल बसों की सुरक्षा के लिए तैयार मानकों को लागू कराएगी। परिवहन विभाग के प्रधान सचिव इसके अध्यक्ष हैं।

परिवहन आयुक्त, आबकारी एवं कराधान आयुक्त, राज्य परिवहन विभाग के महानिदेशक, पुलिस महानिदेशक, उच्चतर शिक्षा विभाग के महानिदेशक, सेकेंडरी शिक्षा विभाग के महानिदेशक और प्राथमिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक सदस्य हैं। इस कमेटी के पास स्कूली बसों की सुरक्षा के मानकों को तैयार करने के लिए शक्तियां हैं, लेकिन वह महेंद्रगढ़ हादसे के बाद फेल साबित हुई।

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