जिसकी बड़ी लापरवाही उसी को बनाया जांच अधिकारी, किसके इशारे पर बचाया जा रहा है जिला शिक्षा अधिकारी को

क्यों नहीं कार्रवाई हुई जिला प्रशासन के आला अधिकारियों और शिक्षा अधिकारी पर

डीईओ महेंद्रगढ़ और हरियाणा के सिंचाई राज्य मंत्री का पारिवारिक संबंध

भाजपा के नेता नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र देंगे?

विपक्ष भी संवेदना प्रकट करने तक सीमित सड़क पर नहीं

अशोक कुमार कौशिक

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कनीना के उन्हानी में स्कूल बस दुर्घटना पर संज्ञान लेने की बात की है। सीएम ने दुर्घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और स्कूल संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं। सीएम ने कहा कि अगर सरकारी अवकाश के दिन यदि कोई निजी स्कूल खुला मिला तो संबंधित स्कूल की मान्यता रद्द की जाएगी। उन्होंने राज्य के सभी उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षक को निर्देश देते हुए कहा कि भविष्य में इस तरह का कोई हादसा न हो। इसके लिए डीसी और पुलिस अधीक्षक ही जिम्मेदार होंगे।

हरियाणा के मुख्यमंत्री और गृह सचिव ने लापरवाही बर्दाश्त न करने की शख्त चेतावनी देते हुए आश्वासन दिया है की सख्त कार्रवाई होगी लेकिन अभी तक जिला महेंद्रगढ़ प्रशासन के आला लापरवाह अधिकारियों को सजा देने की बजाय उन्हें उपकृत किया जाना उनके दावे को हवा हवाई सिद्ध करता है।

इस मामले में सबसे बड़ी जिम्मेवारी जिला शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, पुलिस प्रशासन और उपायुक्त की थी। उसके बाद अटेली विधानसभा के जनप्रतिनिधि तथा प्रदेश के शिक्षा मंत्री भी अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकते। विपक्षियों से इस्तीफा मांगने वाली भाजपा इस मामले में पीछे क्यों रह गई यह एक सीधा सा सवाल जनता के बीच से उठ रहा है।

महेंद्रगढ़ जिले के उन्हानी गांव में स्कूल बस हादसे में 6 बच्चों की मौत के मामले में उपायुक्त महेंद्रगढ़ की तरफ से तीन सदस्यों की जांच कमेटी बनाई गई कमेटी में उप मंडल अधिकारी का कनीना सुरेंद्र सिंह, पुलिस उपाधीक्षक कनीना महेंद्र सिंह और जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त को शामिल किया गया है। 

बनाई गई कमेटी में सबसे चौंकाने वाला नाम जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त का है। क्योंकि राजपत्रित अवकाश ईद उल फितर के दिन स्कूल खुलना अपने आप में सबसे बड़ी लापरवाही है। अगर स्कूल ही नहीं खुलता तो शराबी ड्राइवर बच्चों को लेने के लिए बस लेकर ही नहीं जाता। सरकारी आदेश को लागू करवाने तथा स्कूल को बंद करने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी की है। ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी को सदस्य बनाने के बाद जांच कमेटी पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। यह आरोप लगाया जा रहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त हरियाणा के सिंचाई राज्य मंत्री डॉ अभय सिंह यादव के पारिवारिक सदस्य (मौसेरे भाई) है, इसलिए उन पर कोई गाज नहीं गिरी, उल्टे उन्हें उपकृत कर दिया गया। यहां भाजपा नेताओं और प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा गृह सचिव की बातें हवा हवाई होती दिखाई दे रही है।

भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से दो बार के सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता चौधरी धर्मवीर सिंह ने जिला शिक्षा अधिकारी को जांच कमेटी में शामिल करने पर हैरानी जताते हुए कहा कि यह बड़े शर्म की बात है। इस बारे में भी खुद मुख्यमंत्री से बात करेंगे। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी तो खुद आरोपी है। इस तरह से तो सिस्टम काम ही नहीं कर पाएगा। यहां उनकी विवशता समझ में आ रही है कि चुनाव के समय उन्हें वोटो की दरकार है शायद वह ज्यादा दबाव न देकर अभय सिंह यादव की नाराजगी मा ना ले। यह बयान केवल नाराज जनता को शांत करने के लिए दिया गया हो।

अब आपको जनप्रतिनिधियों की बात बताते हैं अटेली विधानसभा सीट के अधीन कनीना क्षेत्र आता है। ऐसे में स्थानीय विधायक सीताराम यादव से जांच कमेटी में जिला शिक्षा अधिकारी को शामिल करने पर सवाल किया तो विधायक सीताराम जांच का हवाला देकर बात टाल गए। बात को घुमाते हुए कहा कि सरकार जल्द ही उचित मुआवजे को लेकर घोषणा करेगी। ये जनप्रतिनिधि भी अपने दायित्व और जनता के प्रति सरोकारों से भागते नजर आए।

तीसरा इसमें पहलू यह भी है कि भाजपा के दिग्गज नेता पंडित रामविलास शर्मा की बहन का पोता भी इस हादसे में काल का ग्रास बना है। जब उनकी पीड़ा को अनदेखा किया गया तो आम जनता के दुख दर्द को यह सत्ताधारी क्या समझेंगे? लगता है चुनाव के समय भी इन भगवाधारियों को अक्ल नहीं आ रही कि जनता उन्हें नकार देगी, पर वह तो मोदी की नाव में सवार हैं उन्हें जनता की नाराजगी से कोई सरोकार नहीं। सबसे बड़ी बात तो यह देखने को मिल रही है कि डॉक्टर अभय सिंह क्या इतने प्रभावशाली हो गए की छह बच्चों की मौत पर उन पर कोई मानवीय प्रभाव नहीं पड़ा। मानवीय दृष्टिकोण से यदि वह खुद इसकी पहल करके अपने भाई के खिलाफ कार्रवाई करते तो न केवल उनकी वाही-वाही होती अपितु भाजपा सरकार की बल्ले बल्ले हो जाती।

इस मामले में जीएल स्कूल के संचालक राजेंद्र लोढ़ा जो भाजपा के नेता है उनको भी बचाने की कोशिश की जा रही है। यह ठीक है कि स्कूल के सचिव उनके बड़े बेटे होशियार सिंह को तथा उनके छोटे बेटे की वधू दीप्ति राव को पुलिस ने शराबी ड्राइवर धर्मेंद्र के साथ गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उन्हें आज कनीना न्यायालय में पेश कर 5 दिन का रिमांड लिया है।

केवल स्कूल बस के अनफिट और खतरा होने की सूरत में लापरवाही बरतने के मामले में परिवहन विभाग की तरफ से नारनौल के रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी सचिव प्रदीप कुमार को निलंबित किया। लेकिन शिक्षा विभाग को किसी अधिकारी तक इस हादसे की तपत क्यों नहीं पहुंची। 

होना तो यह चाहिए था खंड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी के साथ उपायुक्त पर भी कठोर कार्रवाई की जाती। इसके साथ पुलिस अधीक्षक से भी जवाब तलब किया जाता। लगता है बड़ी-बड़ी बातें करने वाली भाजपा लीपापोती करके मामले के ठंडा होने का इंतजार कर रही है क्योंकि उनका कोई परिवार का सदस्य हताहत नहीं हुआ। पंडित रामविलास शर्मा को वैसे ही भाजपा में कम तवज्जों मिल रही है।

शिक्षा अधिकारियों का दायित्व है कि वह राजपत्रित अवकाश में स्कूल न खुले ऐसी व्यवस्था का निरीक्षण करे, खुले मिले स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई के लिए अनुशंसा करना, स्कूल भवनों का रखरखाव, सुविधाओं समस्याओं पर नजर रखना, सरकार के आदेशों की पालना, अनियमितताओं पर कठोर कदम उठाना होता है । परंतु छुट्टी वाले दिन खुले स्कूलों पर कोई एक्शन नहीं हुआ। निजी स्कूलों के खिलाफ आ रही शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। स्कूल स्टाफ में ड्राइवरों की जानकारी का डाटा अपडेट नहीं होता। इसके साथ समय-समय पर स्कूलों का औचक निरीक्षण और अन्य नियमों  को लागू करवाने के दायित्व की जानबूझकर अनदेखी की गई।

उनकी खुद की भूमिका पर सवाल है। फिर जांच कैसी? 

अमूमन जिस अधिकारी पर सवालिया निशान लगाते हैं या जिनकी भूमिका सवालों के घेरे में होती है उनको हमेशा जांच से दूर रखने का प्रावधान होता है। इसके साथ उनको वर्तमान कार्यभार से भी मुक्त कर दिया जाता है ताकि जांच प्रभावित न हो। लेकिन यहां जिला शिक्षा अधिकारी को जांच कमेटी में शामिल करना अपने आप में सबसे बड़ा सवाल है। इस पूरे घटनाक्रम में जिला शिक्षा अधिकारी तथा खंड शिक्षा अधिकारी की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं हालांकि अभी तक इन दोनों ही अधिकारियों पर किसी तरह का कोई एक्शन नहीं हुआ।

आखिर ऐक्शन हो भी तो क्यों, जब हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष का स्कूल खुला हो

प्रदेश का दुर्भाग्य है हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड भिवानी के अध्यक्ष बीपी यादव का खुद का स्कूल भी गुरुवार को ईद उल फितर के सरकारी अवकाश होने के बावजूद खुला हुआ था। बीपी यादव का रेवाड़ी नारनौल मार्ग पर ‘सनग्लो’ नाम से अपना स्कूल है। हादसे के वक्त गुरुवार दोपहर में जब वह रेवाड़ी अस्पताल में भर्ती बच्चों का हाल-चाल जानने पहुंचे तो मीडिया ने सरकारी छुट्टी के दिन उनके खुद के स्कूल के खुले होने पर सवाल किया किया तब चेयरमैन साहब सकपका गए। उन्होंने यह कहते हुए बात टाल दी कि मुझे नहीं मालूम स्कूल खुला है या नहीं। हरियाणा में सरकार राजपत्रित अवकाश घोषित करने के बावजूद प्राइवेट स्कूल संचालक अपने स्कूल खुला रखते हैं और सरकार के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाते हैं। क्या प्रदेश की शिक्षा मंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री कनीना के साथ प्रदेश के जो भी स्कूल खुले थे उनके ऊपर आवश्यक कार्रवाई करेगी?

हादसे पर विपक्ष सांत्वना देने तक सीमित

प्रदेश का दुर्भाग्य की इस हादसे पर विपक्षी पार्टी भी मौन है। क्योंकि ज्यादातर नेताओं के अपने स्कूल है, या वह स्कूलों का प्रबंध करते हैं। हादसे के बाद मामला अब राजनीतिक रूप लेता हुआ नजर आ रहा है। तमाम पार्टी के नेता पीड़ित परिवार से मुलाकात कर सांत्वना दे रहे हैं। कहीं कैंडल मार्च निकाला जा रहा है लेकिन इन सब के बीच विपक्ष का कोई भी नेता स्कूलों के खिलाफ आवाज उठाने की जहमत नहीं उठा रहा।  न हीं वह सड़क पर उतर दोषी आला अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा। क्योंकि हमाम में सभी नंगे हैं। इसके पीछे का कारण स्पष्ट है करीब करीब सभी निजी शिक्षण संस्थान स्कूल किसी न किसी नेता द्वारा संचालित है या फिर उनके संरक्षण में चल रहे हैं। शिक्षा माफिया सरकार की आदेश की नए केवल धज्जियां उड़ाते हैं बल्कि मनमानी करते हैं।

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