2024 लोकसभा चुनाव : इस बार 1999 जैसा हाल ना हो जाए ! सांसद राव इंद्रजीत का ………..

भारत सारथी

गुरूग्राम, : हरियाणा में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों जोरों पर चल रही है। जिसमें सभी बड़ी और छोटी क्षेत्रिय राजनीतिक पार्टियां बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है। वहीं जहां देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा 400 पार का नारा दे रही है, वहीं कांग्रेस भी सरकार बनाने के दावे ठोक रही है। वहीं हरियाणा और दिल्ली की बात करें तो जजपा और आम आदमी पार्टी भी जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटी हुई है, वहीं आसपास के राज्य जैसे कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर होने जा रही है। हालांकि अभी तक सभी पार्टियों में उम्मीदवारों की उठा पटक चल रही है लेकिन फिर भी सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी जीत के दावे ठोक रहे है।

हरियाणा में तो कई लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवारो का जमकर विरोध हो रहा है। वहीं कांग्रेस के उम्मीदवारों पर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है,कि किस सीट से किस उम्मीदवार को उतारना सही रहेगा कि जो अपनी सीट निकल सके। गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने मैदान में राव इंद्रजीत को टिकट दी है, लेकिन इस बार उनको भी सीट निकालने में काफी जहोजिहाद करना पड़ सकता है, क्यों कि गुरुग्राम में इस बात की चर्चा हर गली मोहल्ले में है कि अहीर रेजिमेंट को लेकर क्षेत्रीय सांसद ने समाज की कोई पैरवी नहीं की थी। वहीं अहीरों में इस बात की चर्चा भी जोरों पर चल रही हैं कि सांसद केवल अपनी राजनीतिक चमकाने के लिए राव तुलाराम के वंशज कहे जाने वाले राजा परिवार ने अपने ट्विटर अकाउंट पर नाम ही चेंज कर दिया। जबकि बीते रोज मीडिया में यह भी चर्चा थी कि वह यह अपना अंतिम चुनाव बता रहे हैं। और अपनी राजनीतिक विरासत अपनी पुत्री को सौंपने वाले हैं। हालांकि मामला चाहे जो भी हो लेकिन राजनीतिक गलियारों में खासकर अहीर समाज में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि गुरुग्राम सांसद अब मोदी परिवार के हो गए हैं।

वहीं लोगों में इस बात का भी रोष है, कि नगर निगम के कई पार्षद जिन्होंने सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे करके सरकार की छवि खराब की है। उनके भी संरक्षक बने रहे हैं। सांसद ने बहुचर्चित मानेसर 1810 एकड़ जमीन मामले में भी किसानों की कोई मदद नहीं की जिसको लेकर भी किसानों के मन में उनके प्रति भयंकर आक्रोश है। वहीं गांव मानेसर, पचगांव,कासन सहित आसपास के किसानों ने अपना रोष प्रकट करते हुए मीडिया के सामने कई दफा कहा है कि भाजपा को उनका असली चेहरा आने वाले चुनावों में दिखाएंगे। जिसका अब समय आ गया। जिससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार गुरुग्राम सांसद की राहे आसान नहीं है। कहीं उनके साथ पहले जब वे कांग्रेस की टिकट पर लड़े लोकसभा चुनाव बीजेपी की उम्मीदवार डाक्टर सुधा यादव से बुरा तरह 1999 में हारे थे।

वहीं मीडिया में यह भी सुनने में मिल रहा है कि भाजपा अबकी दफा 200 का आंकड़ा पार नहीं कर पाएंगी। वहीं गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने भी अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। मगर कांग्रेस की टिकट मांगने वाले एक कार्यकर्ता को तो धमकियां तक भी मिल चुकी है। अब यह तो आगामी 4 जून को ही पता लग पाएगा कि गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र मतदाता किसको विजय बनाकर देश की संसद में भेजेंगे जो क्षेत्र के मुद्दों को उठा सके।

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