भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। वर्तमान में चुनावी माहौल सभी राजनीतिज्ञों के सिर चढक़र बोल रहा है। अब वह जनता की बात करने लगे हैं। धड़ाधड़ उद्घाटन, शिलान्यास किए जा रहे हैं, नई-नई योजनाएं घोषित की जा रही हैं और यह सब शायद इसलिए किया जा रहा है ताकि जनता को भरमा सके और अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए भावनात्मक रूप से ठग सकें।

कहने को तो हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है परंतु वास्तव में यदि जमीनी सच्चाई पर नजर डालकर विचार किया जाए तो यह दिखाई देता है कि आम नागरिक की कहीं कोई सुनवाई नहीं है लेकिन फिर भी कहा लोकतंत्र ही जाता है। जिसमें कहा जाता है कि जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का परंतु धरातल पर राजनीतिज्ञों को जनता की याद चुनाव के समय ही आती है। अब जनता को यह सोचना होगा कि जिस व्यक्ति को पिछले साढ़े चार साल में हमारी याद नहीं आई वह तीन महीने में हमारे भले की बात कर क्या सत्तारूढ़ होने पर फिर अपने पुराने रवैये पर नहीं आ जाएगा?

अब सबकी किस्मत तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नायब सैनी जैसी होती नहीं कि 2022 सितंबर-अक्टूबर में उनकी पत्नी जिला परिषद चुनाव में चौथे स्थान रहती है और अब वह प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं तो अब आप यह अनुमान लगाईए, इसमें जनता का कितना योगदान है?

अत: मैं तो यही कहना चाहूंगा कि अपना वोट किसी से प्रभावित होकर न दें, अपने विवेक से अच्छे व्यक्तियों का चुनाव करें।

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