भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा की राजनीति में यह तो बहुत पहले से ही माना जा रहा था कि जजपा का साथ चुनाव से पूर्व छोड़ देंगे, क्योंकि भाजपा नॉन जाट की छवि रखती है, इनके जाट नेता सफल नहीं हुए। इसी कारण शायद इनका गेम प्लान यह है कि भूपेंद्र हुड्डा, ओमप्रकाश चौटाला, दुष्यंत चौटाला को अलग-अलग लड़ाकर जाट वोटों का विभाजन हो जाए और कुछ जाट नेता इनके पास भी हैं, उन्हें इन्होंने नए मंत्रीमंडल में भी शपथ दिलाई है। अत: जाट राजनीति निष्क्रिय हो जाएगी। अब देखना होगा कि होता है क्या?

भाजपा की नीति रही है कि एंटी इनकंबेंसी दूर करने के लिए सीएम का चेहरा बदल दो तो बदल दिया और एक तीर से कई निशाने करने की सोची। नायब सैनी को बना ओबीसी वोट को अपनी ओर करने का लक्ष्य रखा परंतु इस पर इनकी पार्टी में ही विवाद उत्पन्न हो रहे हैं। गृहमंत्री अनिल विज तो शपथ समारोह छोडक़र ही चले गए। इधर अहीरवाल में अहीरों का कहना है कि जब सांसद को ही बनाना था तो हमारे राव साहब क्या बुरे थे? उन्हें तो अनुभव भी था। इसी प्रकार भाजपा के कुछ ब्राह्मणों को सुना कि जो रामबिलास शर्मा इन्हें बहुमत दिला सत्ता पर काबिज कराने का श्रेय रखते हैं, क्यों उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता था?

इसी प्रकार कुछ सैनियों से भी बात हुई तो उनका कथन था कि जो व्यक्ति पूर्णतया: किसी को समर्पित है, वह तो अपने घर-परिवार को भी छोड़ देता है तो नायब सैनी पूरी तरह मनोहर लाल और मोदी के प्रति समर्पित हैं तो वह अपनी बिरादरी भला कैसे करेंगे?

आज अनेक स्थानों से समाचार आए कि लोगों ने नायब सैनी के सीएम बनने पर मिठाईयों बांटी हैं तो मन में एक प्रश्न आया कि नायब सैनी मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में मुख्यमंत्री पद पर विराजित हुए हैं। अत: वह मिठाई मुख्यमंत्री के पद से हटने की बांट रहे हैं या नायब के मुख्यमंत्री बनने की? मेरी समझ से यह सूरजमुखी की तरह हैं, जो सूर्य पूर्व में होता है तो उसकी ओर मुंह कर लेते हैं और पश्चिम में होता है तो पश्चिम की ओर। अर्थात ये सब सत्ता पुत्र हैं।

error: Content is protected !!