प्रॉपर्टी आईडी गड़बड़ी में अब रजिस्ट्री क्लर्क हिरासत में

सोमवार को तहसीलदार की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट ने की खारीज

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। नगर परिषद प्राॅपर्टी आईडी मामले में गिरफ्तार जेई विकास शर्मा और दो प्रॉपर्टी डीलर को 2 दिन के रिमांड के बाद रविवार को अदालत में पेश किया गया। यहां से तीनों को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। वहीं इस मामले में तहसील में तैनात रहे एक रजिस्ट्री क्लर्क को भी एसीबी ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। वही तहसीलदार विकास कुमार ने इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

अवैध रूप से काटे गए प्लाॅटों में लगाई एनडीसी की वैधता केवल 15 दिन की थी, लेकिन पुरानी एनडीसी के आधार पर वसीका पंजीकृत कर दी गई थी। इस मामले में एसीबी को 7-8 लोगों की भूमिका संदिग्ध मिली है। इनमें से एक तहसील के क्लर्क को रविवार को एसीबी ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। आने वाले दिनों में अन्य लोगों, कर्मचारियों व अधिकारियों को भी गिरफ्तार हो सकती है। 

कृषि भूमि को रिहायशी बताकर काटे थे प्लाॅट

नारनौल की परशुराम काॅलोनी के साथ लगती 1200 वर्ग गज में से कुछ हिस्सा रिहायशी बताकर प्राॅपर्टी डीलरों ने प्लाॅट काटे थे। इस दौरान दोनों प्राॅपर्टी डीलरों ने प्राॅपर्टी आईडी और एनओसी के आधार पर वैध काॅलोनी का हिस्सा बताकर प्लाॅट काटकर बेचे थे। वर्ष 2021 में मामला एसीबी के पास पहुंचा था। 

ऐसे हुआ अब तक घटनाक्रम

अनअप्रूव्ड कॉलोनी को अप्रूव्ड बनाकर एनओसी जारी करने का मामला वर्ष 2021 में एसीबी के सामने आया था। इसके बाद 7 मार्च 2023 को एसीबी ने फर्जीवाड़े को लेकर मामला दर्ज किया। इसके एक साल बाद 7 मार्च 2024 को नगर परिषद जेई विकास शर्मा व प्राॅपर्टी डीलर नवीन यादव व अमीश संघी को गिरफ्तार किया गया। एसीबी ने 8 मार्च को तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। 

जमीन को कागजों में अनाधिकृत से अधिकृत दिखाकर चल रहे इस खेल में तत्कालीन तहसीलदार विकास कुमार की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं। एसीबी जांच में सामने आया कि तहसीलदार ने विक्रेता व प्रॉपर्टी डीलरों के साथ मिलीभगत की और अनाधिकृत कृषि क्षेत्र को अधिकृत श्रेणी में दिखाकर वसीका को सितंबर 2021 में पंजीकृत कर दिया। ऐसी पांच वसीकाए पंजीकृत करने की चर्चा है। जब तहसीलदार के खिलाफ यह शिकायत हो गई तो बचाव के लिए इन वसीकाओं को ततीमा वसीकाओं साल 2021 के नवंबर व दिसंबर माह में पंजीकृत कर दिया। उनमें विक्रेता को प्रॉपर्टी आईडी 2429 का वर्णन किया हुआ है। ततीमा वसीकाओं में सहवन टाइपिंग की गलती से पेज नंबर एक में हेडिंग में और पेज नंबर 3 में 70 नंबर पांच प्रॉपर्टी आईडी नंबर 2442 सहवन लिखा गया। जबकि इसकी बजाय प्रॉपर्टी आईडी 2429 लिखा जाना था ।वसीकाओं में प्रॉपर्टी आईडी 2429 सही पढ़ा जाए लिखा गया तथा अपने आप को बचाने की कोशिश की गई।

सूत्रों के अनुसार एसीबी जांच में सामने आया है कि वसीका का नंबर 2798 वह 2801 सितंबर 2021 वसीका का नंबर 2885, 2892 व 2907 सितंबर 2021 वसीका का नंबर 3402, 3405 व 3407 सितंबर 2021 और 3952, 3956 सितंबर 2021 को पंजीकृत करते समय वसीका के प्रथम पृष्ठ के आरंभ में जगह  मुबईया प्रॉपर्टी टैक्स में आईडी नंबर 2442 पर विक्रेता ऋषि दत्त के नाम पर दर्ज है। डीटीपी नारनौल के लैंड शेड्यूल आफ अर्बन एरिया डिक्लेयर्ड यू/एस-7 (ए) में नहीं है। ऐसे में डीटीपी नारनौल से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता नहीं है। किस्म वसीकाओं में बैनामा प्लेन रिहायशी भगवान परशुराम कॉलोनी नजदीक वेयर हाउस नारनौल लिखा हुआ है।

नगर परिषद की प्रॉपर्टी टैक्स में आईडी नंबर 2442 के अनुसार यह प्रॉपर्टी आईडी ऋषि दत्त के नाम से तीन बीघा तेरह विस्वा करीब 11041 वर्ग गज कृषि योग्य भूमि व अनधिकृत श्रेणी की प्रॉपर्टी आईडी बनाई हुई है। आरोप है कि तहसीलदार विकास कुमार ने विक्रेता व प्रॉपर्टी डीलरों के साथ मिली भगत करके अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अनाधिकृत कृषि क्षेत्र को अधिकृत श्रेणी दिखाकर वसीकाएं पंजीकृत की है । कारण, वसीकाओं में वर्णित प्रॉपर्टी आईडी व संलग्न प्रॉपर्टी आईडी अलग-अलग हैं। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अनाधिकृत एरिया की नामजद प्रॉपर्टी आईडी को रजिस्टर्ड करते समय सिस्टम अपडेट नहीं करता था तथा वसीका रजिस्टर्ड नहीं हो पाती। प्रॉपर्टी आईडी 2442 अनाधिकृत श्रेणी की है। इस प्रॉपर्टी आईडी में वसीकाएं पंजीकृत नहीं की जा सकती। विक्रेता ऋषि दत्त ने अमीश संघी व निलेश संघी वासी संघीवाड़ा नवीन कुमार, धीरज कुमार, शिव कुमार व सुभाष यादव पटीकरा, रवि जांगिड़ केशव नगर और अनुराग मान मिश्रवाड़ा ने तहसीलदार विकास के साथ मिली भगत करके अनाधिकृत श्रेणी कृषि भूमि भगवान परशुराम कॉलोनी की प्रॉपर्टी आईडी 2442 में वसीकाएं पंजीकृत करते समय ऋषि दत्त की प्रॉपर्टी आईडी 2429 की नगर परिषद में जमा किए गए विकास शुल्क व अन्य शुल्क का भुगतान 267600 रुपए करके भुगतान रसीद और अप्रैल 2021 की एनडीसी सलंग्न की हुई है, जिसकी वैधता 15 दिन की है।  प्रॉपर्टी आईडी नंबर 2429 की भुगतान रसीद वह एनडीसी सलंग्न की हुई है जिसकी वैधता 15 दिन की है। प्रॉपर्टी आईडी नंबर 2429 की भुगतान रसीद व एनडीसी उपरोक्त वसीकाए के साथ नहीं लगाई जाती तो पंजीकृत करते समय प्रॉपर्टी आईडी 2442 में ऑनलाइन पोर्टल नहीं उठाता व अनाधिकृत की वसीकाए पंजीकृत नहीं की जा सकती। तहसीलदार पर भी अपने पद का दुरुपयोग करके जमीन विक्रेता व प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा तैयार किए गए फर्जी रिकॉर्ड का उपयोग किये जाने के आरोप है।

तहसीलदार द्वारा वार्षिक का नंबर 2992, 2994 व 2927 सितंबर 2021,  4057, 4058 सितंबर 2021 तक विक्रेता ऋषि दत्त की अनधिकृत कृषि क्षेत्र को प्रॉपर्टी आईडी 2442 भगवान परशुराम कॉलोनी में पांच वसीकाए पंजीकृत की गई। जब तहसीलदार के खिलाफ अनाधिकृत क्षेत्र की वसीकाए पंजीकृत करने की शिकायत हो गई । तब उसने अपने बचाव के लिए इन वसीका की ततीमा वसीका से 6643, 6644 व 6645 दिसंबर 2021 और 5727 व 5728 नवंबर 2021 को पंजीकृत की। तहसीलदार ने इन पांच ततीमा वसीकाए पंजीकृत की है उन में विक्रेता की प्रॉपर्टी आईडी 2429 का वर्णन किया हुआ है। ततीमा वसीका में सहवन टाइपिंग की गलती से पेज नंबर 1 में हैडिंग में और पेज नंबर 3 में 70 नंबर पांच प्रॉपर्टी 2427 लिखा गया। जबकि इसकी बजाय प्रॉपर्टी आईडी 2429 लिखा जाना था। वसीका में प्रॉपर्टी आईडी 2429 सही पढ़ा जाए लिखा गया तथा अपने आप को बचाने की कोशिश की गई।

एसीबी की जांच पड़ताल में पता चला है कि ऋषि दत्त की नगर परिषद द्वारा बनाई गई अनाधिकृत क्षेत्र की प्रॉपर्टी आईडी 2429 में कुल रकबा 1000 वर्ग गज है तहसीलदार द्वारा वाशी का नंबर 512, 513, 514, 515 व 516 जून 2021 के अनुसार कुल रकबा 117266 वर्ग गज जमीन की पहले ही जून 2021 को वसीकाए पंजीकृत की गई। इस प्रॉपर्टी आईडी में केवल 2734 वर्ग गज जमीन की बची हुई थी। एसीबी जांच में आरोप है कि तहसीलदार ने इस प्रॉपर्टी आईडी में जमीन न होते हुए भी वसीका नंबर 2992, 2994 व 2997 सितंबर 2021, 4057 व 4058 सितंबर 2021 की ततीमा वसीकाएं क्रम से 6643, 6644 में 6645 दिसंबर 2021 तथा 5727 में 5728 नवंबर 2021 कुल रकबा 706 वर्ग गज की पंजीकृत की है। तहसीलदार ने ततीमा वसीकाए की है वह गलत की गई क्योंकि जिस प्रॉपर्टी आईडी को वह सहवन गलती (क्लीरिकल एरर) से लिखना भूलना बता रहे थे, उसकी सारी जमीन तो पहले ही उन्ही द्वारा ही वसीकाए के माध्यम से बेची जा चुकी थी।

उधर रविवार को तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। यहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अभी अन्य कर्मचारी व अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है। इस मामले में अन्य कर्मचारियों के नाम भी सामने आ रहे हैं, जल्द ही उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। -राजकरण, इंस्पेक्टर एसीबी नारनौल।

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