नारनौल में श्रीमद भागवत कथा का चौथा दिन …….

नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की, मन मोहक भजनों के साथ महाशिवरात्रि व कृष्ण जन्मोत्सव की पावन कथा का रसपान करके श्रोतागण पण्डाल में झूम उठे

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। नई अनाज मंडी के गोस्वामी मार्केट  स्थित पुराना स्टेटबैंक इमारत में  चल रही श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में महाशिवरात्रि पर भगवान भोले के चरित्र व भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की पावन कथा का रसपान वृंदावन श्रीधाम से पधारे व्यास पंडित रवि कृष्ण शास्त्री’ ने उमड़े श्रद्धालुओं को संगीतमय लहरी में कराया। ”नन्द के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की, बृज में आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की’,’तू राजा की राजदुलारी मैं सिर्फ लंगोटे आला सूं, भांग रगड़ के पिया करूं मैं कुंडी सोटे आला सू’। मनमोहक भजनों ने आयोजन में समा बाँध दिया और श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध करके थिरकने को विवश कर दिया। जन्मोत्सव की छटा के समय ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो अन्तरिक्ष से देव शक्तियाँ धरा पर उतर आयी हो।

इस अवसर पर अपनी मृदुल वाणी में कथा का रसपान कराते हुए व्यास गद्दी शास्त्री जी ने कहा की द्वापर का युग था क्रूर कंस का कठोर शासन था, प्रभु का नाम लेने वालो पर यातनायें होती थी। देव शक्ति व्याकुल हो चुकी थी सम्पूर्ण धरती पर हाहाकार मच गया कंस ने वसुदेव और देवकी को हथकड़ी लगाकर जेल में डाल दिया। सभी देव शक्तियों के आह्वाहन पर भगवान कृष्ण देवकी के आठवें गर्भ के रूप मे मथुरा के कारागार में चतुर्भुज रूप में प्रकट होकर पीड़ित मानवता की रक्षा की।

उन्होंने कहा कि परिवार में अपने बच्चों को संस्कार दीजिए पूत कपूत तो का धन संचय, पूत सपूत तो का धन संचय। आचरण की शुद्धता ही व्यक्ति की शुद्धता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के परिष्कार का नाम ही अध्यात्म है। व्यक्ति को जीवन में कभी भी गलत लोगों का संगत नहीं करना चाहिए। थोड़े से लाभ, स्वार्थ के कारण लोग गलत संगत कर लेते है। मन में विकार आने के कारण व्यक्ति का पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है। 

आज महाशिवरात्रि का महापर्व है । इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती एक दूसरे के साथ शादी के बंधन में बंधे थे। माता पार्वती ने शिव से निवेदन किया कि वे अपने बारातियों के साथ रीति-रिवाजों के अनुसार सज-धज कर आएं, क्योंकि जब भगवान शिव की माता सती के साथ शादी हुई तब बाराती के रूप में भूत प्रेत व नाना प्रकार के शिवगण थे जिसे देख सती की माता डर गई थी। भगवान शिव ने इस बात को स्वीकारा और वो दूल्हे जैसे सज-धज कर गए थे। इसके बाद ही सभी देवी-देवताओं के आशीर्वाद से शिव-पार्वती की शादी ब्रह्म देव की उपस्थिति में हुई थी। उन्होंने शिवरात्रि को लेकर अनंत अनेक प्रसंग श्रोताओं के सम्मुख सुनाएं।

संगीतकार सुनील कुमार द्वारा प्रस्तुत संगीत ”भोले की निकली बारात” सुनकर उपस्थित श्रोताओं ने भाव पूरक गायन किया। इसके साथ ही यजमान रमेश गर्ग ने भी भोलेनाथ पर एक भजन की प्रस्तुति दी।

‘पंडित रवि कृष्ण शास्त्री’ ने बताया कि व्यक्ति जैसा कार्य करता है तदानुरूप उसको वैसा ही फल मिलता है शरीर छूटने के बाद जब जीव आगे बढ़ता है उसे किये गये पुण्य, पाप का हिसाब किताब ऊपर देना पड़ता है यही जीवन का शास्वत सत्य है शुभ और अशुभ दोनों कर्माें का भोग प्राणी को मनुष्य जीवन में ही भोगना पड़ता है। सांयकाल कथा के शुभारम्भ से पूर्व द्वारा यजमान रमेश गर्ग व सुमीत्रा गर्ग सपत्नीक व्यास पीठ समेत श्रीमद्भागवत ग्रन्थ की आरती उतारकर पूजन अर्चन किया। 

इस अवसर पर शिव चरण मास्टर डेरोली वाले, महेश गर्ग, ओम प्रकाश कांटी वाले,रामजीलाल मित्तल, तुलसी पीपलानी, चेतन गर्ग, सुभाष शर्मा, बजरंग, नरेंद्र भोजावासीया, कृष्ण कुमार ठेकेदार सचिव जिला गौड़ श्रीब्राहमण सभा जिला महेंद्रगढ़, हितेश गोस्वामी, शान्तनु शर्मा, मन्मथ गोस्वामी, उषा गोस्वामी, सावित्री गोस्वामी, पवन गर्ग, नरेश बोहरा, नवल प्रजापत सहित सैकड़ो श्रद्धालु मौजूद रहे।

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