देश की पहली संयुक्त सरकार 1967 में राव बिरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में ही हरियाणा में बनी थी : विद्रोही

31 दिसम्बर 1981 को पंजाब-हरियाणा एवं राजस्थान में पानी के मामले में ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौता करवाया : विद्रोही

हरियाणा में एक नारा गूंजा कि राव आया-भाव आया, राव गया-भाव गया. राव बिरेन्द्र सिंह जीवनभर  किसान,  मजदूर व गांवों के हकों की आवाज उठाते रहे : विद्रोही

20 फरवरी 2024 – हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री राव बिरेन्द्र सिंह की जयंती पर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने उनकी समाधि पर पुष्पाजंली अर्पित करके अपनी भावभीनी श्रद्घाजंली अर्पित की। कपिल यादव, अमन कुमार, अजय कुमार ने भी राव साहब को अपने श्रद्घसुमन अर्पित किए। इस अवसर पर विद्रोही ने कहा कि राव बिरेन्द्र सिंह जीवनभर  किसान,  मजदूर व गांवों के हकों की आवाज उठाते रहे तथा राव साहब का हरियाणा की राजनीति में विशेष दखल रहा। दक्षिणी हरियाणा में उनके प्रति इतना आदर था कि लोग उनकी एक आवाज पर कुछ भी करने को तत्पर रहते थे। प्रदेश में वे हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री बनेे हालांकि उनका कार्यकाल मात्र आठ माह का रहा, लेकिन अपने 8 माह के अल्प कार्यकाल में ही राव साहब ने प्रदेश व देश की राजनीति पर गहरा असर डाला। देश की पहली संयुक्त सरकार 1967 में राव बिरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में ही हरियाणा में बनी थी। इसका देश की राजनीति में इतना प्रभाव पड़ा कि इसी वर्ष देश के 8 राज्यों में हरियाणा की तर्ज पर संयुक्त सरकारे बनी। 

विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने किसानों की फसलों का भाव किसानों को दिया, जिसके फलस्वरूप ही हरियाणा में एक नारा गूंजा कि राव आया-भाव आया, राव गया-भाव गया। श्रीमती इंदिरा गांधी मंत्रीमंडल में केन्द्रीय कृषि मंत्री के रूप में उन्होंने किसानों के हक में अनेक फैसले लिए। वहीं 31 दिसम्बर 1981 को पंजाब-हरियाणा एवं राजस्थान में पानी के मामले में ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौता करवाया। यदि निहित राजनीतिक स्वार्थो से प्रेरित तत्व यदि इस समझौते का विरोध उस समय राजनैतिक कारणों से नही करते तो सतलुज-यमुना लिंक नहर का निर्माण पूरा होकर दक्षिणी हरियाणा को उसके हिस्से का नहरी पानी कभी का मिल गया होता। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा व पंजाब की राजनीति में राव बिरेन्द्र सिंह ने बहुत गहरा प्रभाव डाला। राजनीति से रिटायर होने के बाद भी अपने जीवन के अंतिम क्षण तक वे हरियाणा की राजनीति को प्रभावित करते रहे। विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों में मंत्री के रूप में उन्होंने अपनी प्रशासनिक क्षमता का जो परिचय दिया, उसकी चर्चा आज भी होती है। विद्रोही ने कहा कि राव साहब ने अपने जीवन में दक्षिणी हरियाणा में शिक्षण संस्थाओं के विस्तार व शिक्षा दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राव साहब को जनता कभी नही भूला सकेगी कि वे दक्षिणी हरियाणा के बेताज बदशाह थे। 

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