हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासियों ने गांधी तरीके से आंदोलन करने का बीड़ा उठाया

18 फरवरी को अपने घरों की लाइट बंद कर घरों के बाहर मोमबत्ती जलाकर करेंगे प्रदर्शन

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। शहर के सामाजिक कार्यकर्ता और क्रांतिकारी आंदोलनकारी गिरीश खेड़ा ने हाउसिंग बोर्ड निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अनुपम गौड़, सुरेश, वी के भारद्वाज, सुनीता, अर्चना, गोमती, सावित्री, रामकला, पुनम पार्वती के सहयोग से हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी नसीरपुर की समस्याओं को लेकर एक मुहिम का आगाज किया। अपनी समस्याओं को लेकर उन्होंने गांधीगिरी तरीके से आंदोलन करने का संकल्प लिया है।

गिरीश खेड़ा ने बताया कि नारनौल का हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी नसीब पुर स्ट्रीट लाइट, पीने का पानी, सड़क और सीवर की ध्वस्त व्यवस्था से जूझ रहा है और सरकार के हर मंच पर हाउसिंग बोर्ड निवासियों ने अपनी शिकायतें सालों से पार्षद, नगर परिषद प्रधान, उपायुक्त के समक्ष कई बार रखी है । यहां तक उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को भी हाउसिंग बोर्ड की समस्याओं को लेकर ज्ञापन दिया गया। आरोप है कि परंतु शासन और प्रशासन, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी की बिल्कुल भी सुध नहीं ले रहा। 

हाउसिंग बोर्ड निवासी अनुपम गौड़ और सुरेश ने कहा कि उनके क्षेत्र के लगभग पचास घरों के सामने की सारी सड़कें टूटी हुई है। हाउसिंग बोर्ड में कई जगह ऐसी हैं जहां पर सड़कों की इतनी बुरी हालत है। बरसातों में पानी खड़ा हो जाता है। सभी वहां के रहने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

सुनीता और सावित्री ने कहा कि पूरी हाउसिंग बोर्ड की स्ट्रीट लाइट लंबे अरसे से बंद है। अंधेरे में इन टूटी सड़कों पर न जाने कितनी बार बच्चे खेलते हुए गिर चुके हैं, गंभीर चोटें लग चुकी है। साथ में यह डर बना रहता है कि अंधेरे का लाभ उठाकर कोई चोर घर में ना घुस जाए। उन्होंने कहा कि इसी अंधेरे में, कोने ढूंढ कर, कई असमाजिक तत्व  शराब पीते हैं और नशा भी करते हैं। 

वीके भारद्वाज व राम नारायण ने बताया कि उनके घर के पास सीवर का पानी ओवरफ्लो करता है। फलस्वरूप आसपास के घर की दीवारों में वह गंदा पानी रिसता है। इतनी बदबू आती है कि उसके आसपास के घरों में लोगो का रहना ही दूभर हो गया है। 

राम कला व पूनम की शिकायत है कि हाउसिंग बोर्ड में पीने का पानी एक दिन छोड़कर आता है और मात्र 10 से 15 मिनट पानी मिलता है। कई बार ऐसी अवस्था हो जाती है कि मात्र दो बाल्टी ही पानी भरी जा पाती है।  अब सोच कर देखो कि दो दिन में, दो बाल्टी पानी में नहाना भी है, कपड़े भी धोने हैं, घर का खाना भी बनाना है, सफाई भी करनी है तो यह कैसे संभव है। उन्होंने कहा कि पेयजल आपूर्ति से कई बार तो गंदा और बदबूदार पानी आता है और यह कई दिन तक चलता है। 

गिरीश खेड़ा ने यह कहा कि जब उन्होंने उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को ज्ञापन दिया था तो उन्होंने तर्क दिया था कि अभी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी को नगर परिषद को सौंपा नहीं गया है। यहां ऐसी स्थिति पर एक सवाल बन जाता है कि यदि हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी को नगर परिषद को सौंपा नहीं गया तो वहां पर नगर परिषद के चुनाव क्यों हुए। 

श्री खेड़ा बताते हैं कि पार्षद से बात करो तो वह कहते हैं कि नगर परिषद से फंड नहीं मिल रहे। हाउसिंग बोर्ड विभाग ने बहुत पहले से ही हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी को लावारिस छोड़ दिया था। हाउसिंग बोर्ड के निवासी नगर परिषद और हाउसिंग बोर्ड विभाग की चक्की में पिस रहें है क्योंकि दो साल हो गए हैं नगर परिषद बने हुए और अभी तक हाउसिंग बोर्ड विभाग ने हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी को नगर परिषद को आधिकारिक रूप से नही सौंपा है। इस दुर्भाग्यपूर्ण व्यवस्था का दंड हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का हर निवासी भुगत रहा है। 

गिरीश खेड़ा ने कहा कि हाउसिंग बोर्ड निवासी होने के कारण वह भी इन सभी समस्याओं से परेशान है। 

इसलिए उन्होंने सरकार को जगाने का बीड़ा उठाया और हाउसिंग बोर्ड निवासियों को एकजुट करते हुए 18 तारीख रविवार को रात ,7:00 बजे से 8:00 बजे तक हाउसिंग बोर्ड के 1000 घरों में रहने वाले सभी निवासी एक साथ सामूहिक रूप से अपने-अपने घरों की सारे बल्ब बंद करके मोमबत्ती जला कर घर के बाहर बैठ कर गांधीगिरी तरीके से इस अंधे-बहरे शासन और प्रशासन के खिलाफ अपने गुस्से और विरोध का प्रदर्शन करेंगे। अगर शासन-प्रशासन ने हम हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी के लगभग 1000 घरों के निवासियों की, इन समस्याओं का समाधान नही किया तो अगला आंदोलन और भी ज्यादा तीव्र होगा।

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