बाबरिया की सैलजा को कामयाब यात्रा पर बधाई:हुड्डा की सहमति के बगैर पहली बार ऐसी यात्रा

दक्षिणी हरियाणा में कैप्टन अजय यादव के बदलते सुर, हुड्डा को करेंगे कमजोर

कांग्रेस की गुटबाजी भाजपा के लिए प्लस पॉइंट,तो क्या हुड्डा खेमा कमजोर पड़ गया?

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी की ओर से निकाली जा रही जन-संदेश यात्रा को पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया ने कामयाब बताया है। उन्होंने इसके लिए तीनों नेताओं को बधाई भी दी है। हरियाणा में एसआरके गुट के नाम से मशहूर सैलजा, सुरजेवाला और किरण चौधरी की जनसंदेश यात्रा के पहले चरण का सोमवार को अंबाला में आखिरी दिन है। उधर दक्षिणी हरियाणा के दिग्गज कैप्टन अजय यादव द्वारा उठाई जा रही बातों को लेकर हुड्डा गुट है असहज दिखाई दे रहा है।

दीपक बाबरिया वही शख्स हैं जिन्होंने एसआरके गुट की ये यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले, 16 जनवरी को इसे सैलजा गुट का निजी प्रोग्राम बताया था। उन्होंने बाकायदा चिट्ठी लिखकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से इसमें शामिल न होने के लिए भी कहा था। अब लगभग 20 दिन बाद उन्होंने खुद इसे कामयाब बताते हुए तीनों नेताओं को बधाई दी है।

दीपक बाबरिया ने कहा- मुझे खुद 4 फरवरी को कैथल और 5 फरवरी को अंबाला में इस यात्रा में शामिल होना था लेकिन दिल्ली में अचानक पार्टी की एक मीटिंग आ जाने के कारण इस यात्रा में नहीं पहुंच पाया। यात्रा कामयाब रही और इसके लिए कांग्रेस के नेता बधाई के पात्र हैं।

कांग्रेस प्रभारी के इस यूटर्न के बारे में कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा- पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर ऐसा हुआ है। हाईकमान पार्टी वर्करों को यह संदेश देना चाहता है कि हरियाणा कांग्रेस में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा से टक्कर लेने के लिए एकजुटता जरूरी है।

एसआरके गुट की सफलता

हरियाणा की राजनीति पर नजर रखने वाले ‘यूथ फॉर चेंज’ के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह भारत कहते हैं कि इस यात्रा के जरिये एसआरके गुट ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और वोटरों से सीधा संवाद स्थापित किया। उन्होंने दिखाया कि वह हुड्डा गुट के सामने टिके रह सकते हैं। यात्रा को मिले समर्थन के बाद आलाकमान को भी लगा कि इसे इग्नोर करना सही नहीं होगा। यह एसआरके गुट के लिए किसी सफलता से कम नहीं है।

हालांकि यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने बाकायदा पार्टी कार्यकर्ताओं के नाम एक पत्र जारी कर कहा था कि कार्यकर्ता सिर्फ पार्टी के कार्यक्रम में ही भाग लें। उन्होंने सैलजा की यात्रा को उनका निजी प्रोग्राम बताया था।

अब यात्रा के पहले चरण का 5 फरवरी को अंबाला में आखिरी पड़ाव है। हालांकि यात्रा को प्रदेशभर में जो समर्थन मिला, उसके बाद सैलजा खेमा इसे आगे बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है।

हाईकमान लगा चुका दोनों गुटों की क्लास

कुमारी सैलजा और किरण चौधरी ने 17 जनवरी को हिसार से जन-संदेश यात्रा शुरू की थी और हुड्डा खेमे ने पहले दिन से ही इससे किनारा कर लिया। शुरू में यात्रा के पोस्टरों में हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के फोटो नहीं थे और एसआरके गुट खुलकर हुड्डा कैंप पर निशाने साध रहा था।

22 जनवरी के आसपास राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों गुटों को असम बुलाकर दोटूक कहा था कि आपसी गुटबाजी खत्म कर वर्करों को एकजुटता का संदेश दें। उसके बाद हुड्डा कैंप ने जहां अपनी बयानबाजी बंद कर दी वहीं एसआरके गुट ने यात्रा के पोस्टरों में उदयभान और हुड्डा के फोटो लगाने शुरू कर दिए।

तो क्या हुड्डा खेमा कमजोर पड़ गया?

प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ कहते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व लंबे अरसे से हुड्डा का विकल्प तलाश रहा है लेकिन सफलता नहीं मिल रही। यह पहला मौका है जब कांग्रेस में हुड्डा विरोधी खेमा यानि सैलजा, रणदीप और किरण चौधरी एक साथ एक मंच पर आए। इससे यह तिकड़ी मजबूत तो हुई लेकिन हुड्डा अभी भी हैवीवेट है।

सैलजा-रणदीप की दिल्ली दरबार में सीधी पहुंच एसआरके गुट की बड़ी ताकत है। यह नेता कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया पर हुड्डा का फेवर करने का आरोप लगा चुके हैं।

एसआरके गुट की यात्रा के पोस्टर पर बाबरिया और हुड्‌डा की फोटो नहीं लगाई गई 

हुड्डा की सहमति के बगैर पहली बार ऐसी यात्रा

राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि हुड्डा गुट तो कमजोर नहीं हुआ लेकिन एसआरके गुट मजबूत जरूर हो रहा है। आज तक हरियाणा में हुड्डा की सहमति के बगैर कोई दूसरा कांग्रेसी नेता ऐसी यात्रा नहीं निकाल पाया। पहली बार सैलजा हिसार और अंबाला से बाहर प्रदेश लेवल पर खुद को स्थापित करती दिख रही हैं। ऐसा समर्थन तो उन्हें तब भी नहीं मिला, जब वह प्रदेशाध्यक्ष थीं।

कैप्टन अजय यादव के बदलते सुर

हरियाणा की गुरुग्राम सीट को लेकर कांग्रेस के भीतर शुरू हुए विवाद के बीच शनिवार को गुरुग्राम में लोकसभा चुनाव कमेटी की बैठक हुई। बैठक में सीट के अधीन आने वाले नो हल्कों से प्रमुख लोग और कार्यकर्ताओं को बुलाया गया। इसमें पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दूसरे गुट के सभी नेता पहुंचे। लेकिन अपने चुनाव लड़ने के लिए आवेदन मांगने से नाराज कैप्टन अजय यादव नहीं पहुंचे।

वहीं बैठक में नहीं पहुंचने पर कैप्टन अजय सिंह यादव ने कहा कि बैठक में कार्यकर्ताओं का पहुंचना जरूरी था। कार्यकर्ता बैठक में पहुंचे भी हैं। कार्यकर्ता ही तो बताएंगे किसे चुनाव लड़ना चाहिए। मेरा बैठक में होना और नहीं होना क्या मायने रखता है । बता दे की दो दिन पहले कप्तान अजय यादव ने गुरुग्राम सीट पर खुद की दावेदारी को लेकर खुलकर बात की थी। उन्होंने राज्य चुनाव कमेटी को भी निशाने पर लिया था और कहा था कि टिकट के लिए आवेदन मांगना ठीक नहीं है।

प्रवक्ता बोले कप्तान का बयान अनुचित

वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता वेद प्रकाश विद्रोही ने कहा है कि किसी भी लोकतांत्रिक पार्टी में हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े नेता और कार्यकर्ता का समान अधिकार होता है। कैप्टन अजय सिंह यादव द्वारा चुनाव को लेकर आवेदन मांगने वाली बात को गलत बताना कतई उचित नहीं है। आवेदन करना सबका अधिकार है। लेकिन चुनाव लड़ाना और नहीं लड़ाना तो शीर्ष नेतृत्व को ही करना होता है।

कैप्टन अजय यादव ने कहा था

हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय सिंह यादव ने आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी को लेकर बड़ा बयान दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अजय सिंह ने कहा कि वे आने वाला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मेरा कांग्रेस पार्टी में दम घुटने लगा है। कांग्रेस पार्टी में एससी, एसटी और ओबीसी की अनदेखी हो रही है। पूर्व मंत्री के इस बयान के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि उनका अब कांग्रेस पार्टी से मोहभंग हो गया है।

अजय सिंह ने सोनिया गांधी को जताया आभार

हालांकि, उन्होंने आगे कहा कि मैं सोनिया गांधी का ऋणी हूं, जिन्होंने उन्हें सरकार और पार्टी में कई बड़े ओहदे पर रखा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि मैं न तो कांग्रेस छोड़ने वाला हूं और न पार्टी। पार्टी में रह कर सेवा करता रहूंगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी में कुछ नेता ऐसे हैं जो पार्टी की लुटिया डुबोने में लगे हैं। कैप्टन ने कहा कि प्रदेश इलेक्शन कमेटी ने चुनाव लड़ने वाले इच्छुक नेताओं से एप्लिकेशन मांगी है। ये एप्लिकेशन लेने का मतलब ही क्या है। प्रदेश इलेक्शन कमेटी ठीक नहीं बनाई। इसमें पिछड़ा वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। आज के समय में जिस तरीके से अनदेखी की जा रही है, उससे मुझे घुटन महसूस हो रही है।

उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से जब प्रदेश इलेक्शन कमेटी को लेकर मंत्रणा हुई तो उन्होंने भी कहा था कि इसमें ओबीसी के चेयरमैन को शामिल करना चाहिए। उसके बावजूद चेयरमैन को शामिल नहीं किया और ओबीसी के दूसरे लोगों को शामिल कर लिया। बता दें कि कैप्टन अजय सिंह यादव की गिनती हरियाणा के दिग्गज नेताओं में होती है। गुरुग्राम से लड़ा था पिछला लोकसभा चुनाव

वे रेवाड़ी से लगातार 6 बार विधायक रहे हैं। कैप्टन अजय सिंह यादव ने पिछला लोकसभा चुनाव गुरुग्राम से लड़ा था। लेकिन उन्हें हार का सामना पड़ा था। इस बार भी वो गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक है। लेकिन गुरुग्राम सीट पर इस बार हुड्डा गुट की ओर से महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह के नाम को लेकर भी चर्चा है। गुरुग्राम सीट पर अन्य नेताओं की दावेदारी उन्हें खल रही है। इसी पर उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की है।

कांग्रेस की गुटबाजी भाजपा के लिए प्लस पॉइंट

हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। बड़े नेताओं की आपसी खींचातानी के कारण प्रदेश में 9 साल से सरकार चला रही भाजपा का रास्ता आसान हो जाता है।

एक तरफ कांग्रेस के तीन बड़े चेहरे ये यात्रा निकाल रहे हैं और दूसरी ओर हुड्डा गुट प्रदेश में जिलास्तर पर जन आक्रोश रैलियां कर रहा है। इसके बावजूद अगर कांग्रेस अपने पक्ष में माहौल नहीं बना पा रही तो इसकी सबसे बड़ी वजह उसकी अंदरूनी कलह ही है। अगर कांग्रेस एकजुट हो जाए तो वह भाजपा को ज्यादा टक्कर दे पाएगी।

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