आस्था के रथ पर सवार होकर नैया पार लगाने की कवायद लगातार सुर्खियां बटोर रही है आरती यात्रा हजारों लोगों को कर चुके हैं धार्मिक दर्शन आज भी वृंदावन के लिए हुई दो बसें रवाना गत विधानसभा चुनावों से पूर्व सुनिल मूसेपुर को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खास समर्थकों में गिना जाता था, रेवाड़ी। 1फरवरी आदर्श शर्मा गत विधानसभा चुनावों से पूर्व सुनील मूसेपुर को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खास समर्थकों में गिनती होती थी लेकिन वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री इंदरजीत सिंह के आशीर्वाद से सुनील मूसेपुर को रेवाड़ी विधानसभा से भाजपा का टिकट मिल गया। विधानसभा के लिए एक अनजाना चेहरा टिकट मिलने के बाद रातो रात सुर्खियों में आ गया। सुनील मूसेपुर को टिकट मिलने के बाद टिकट अन्य दावेदार बड़े-बड़े नेता खिसियानी बिल्ली की तरह देखते ही रह गए। कुछ भाजपा नेता बागी होकर चुनाव लड़ते नजर आए तो कुछ जयचंद बनकर भाजपा की पीठ में छुरा घोपते नजर आए। सुनील मूसेपुर की छवि को कई अलंकारों से नवाजा गया। चुनाव परिणाम के बाद सुनील मूसेपुर 1317 वोटो से पराजित हो गए। जब सुनील मूसेपुर को भाजपा की टिकट मिली थी तो राजनीतिक पंडितों ने उन्हें चौथे स्थान पर बताना शुरू कर दिया था। भाजपा भी दो पाटो में बट चुकी थी। एक पुरानी भाजपा तो दूसरी राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों की भाजपा। धड़े बंदी के चलते सुनील मूसेपुर चुनाव हार गए। कांग्रेस के उम्मीदवार चिरंजीव राव को 43 हजार 870 मत प्राप्त हुए तो सुनील मूसेपुर को 42 हजार 553 मत प्राप्त हुए। चिरंजीव राव को 27.82 प्रतिशत वोट हासिल हुये तो सुनील मूसेपुर को 26.99 प्रतिशत वोट हासिल हुए। भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले रणधीर सिंह कापड़ीवास को 36 हजार 778 मत मिले तो वही निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रशांत सनी यादव को 22 हजार 104 मत हासिल किया। जजपा मलखान सिंह, बीएसपी के प्रीतम जांगड़ा, स्वराज इंडिया की मंजू बाला, लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के चंद्रशेखर सैनी वह निर्दलीय विजय सोमानी कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पाए। राजनीति में नया चेहरा सुनील मूसेपुर को हराने के लिए विरोधियों से लेकर अपनों तक ने एड़ी से चोटी तक का जोर लगा दिया। तमाम साम,दाम, दंड भेद नीति अपनाने के बावजूद सुनील मूसेपुर मात्र 1317 वोटो से पराजित हुए। सुनील मूसेपुर ने पराजय के बाद लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए आरती यात्रा शुरू की। आरती यात्रा के माध्यम से असमर्थ लोगों को विभिन्न धार्मिक स्थलों का दर्शन करना शुरू किया। शुरुआत में तो विरोधियों ने इस यात्रा पर काफी तंज कसा और कहा कि आरती यात्रा के माध्यम से सुनील मूसेपुर राजनीति कर रहे हैं। कुछ राजनीतिक विरोधियों ने आरती के नाम पर भी सवाल खड़े किए। दिन ब दिन आरती यात्रा लगातार सुर्खियों में होती चली गई। लगातार इस यात्रा की मांग बढ़ती जा रही है। ऐसा ही कोई दिन जाता होगा जब आरती यात्रा के माध्यम से विभिन्न धार्मिक स्थलों का दर्शन नहीं कराया जाता हो। अगर आज की ही बात करें तो बालियर खुर्द गांव से दो बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। अभी तक इस यात्रा के माध्यम से हजारों लोग धार्मिक स्थलों का दर्शन कर चुके हैं। बढ़ती आरती यात्रा के लोकप्रियता से अब विरोधियों के भी पसीने छूटने शुरू हो गए हैं। विरोधी पार्टी के लोग भी अब धार्मिक आयोजन कर अपनी राजनीतिक नैया पार लगाने की कुवत में जुट चुके हैं। चुनाव के बाद से ही सुनील मूसेपुर आस्था के मार्ग पर चलते हुए नजर आ रहे हैं। लगातार धार्मिक आयोजनों में उनकी शिरकत बढ़ती ही जा रही है। सुनील मूसेपुर को इस बात का इल्म है कि आस्था के बल पर ही राजनीतिक नैया पार लगाई जा सकती है। उनको पता है कि राजनीतिक नैया पार लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर, अयोध्या में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के बाद लोगों में धर्म के प्रति बढ़ती आस्था व विधानसभा में आरती यात्रा से जुड़े लोग ही उनकी राजनीतिक नैया को पार लगाएंगे। कुछ भी हो सुनील मूसेपुर की बदलती धार्मिक छवि को लेकर विरोधी भी अब पस्त होने लगे हैं। Post navigation भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का 2024-25 का अंतरिम बजट घोर निराशाजनक, दिशाहीन, लक्ष्यहीन बजट :विद्रोही संवैधानिक पदों पर बैठे लोग ही संविधान की धज्जियां उडा रहे, देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नही : विद्रोही