लोकसभा चुनाव से पहले रखे गए अंतरिम बजट जुमलों, झांसों, झूठ व आंकडो की हेराफेरी करने वाला ऐसा निरस, दिशाहीन बजट, जिसे चुनावी भाषण, गपोडों के सिवाय कुछ नही कहा जा सकता :

10 सालों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर निकाला है, फिर सवाल उठता है कि आज भी 80 करोड़ लोगों को गरीब बताकर हर माह 5 किलो मुफ्त राशन क्यों दिया जा रहा है? विद्रोही

01 फरवरी 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाण प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने लोकसभा चुनाव से पहले रखे गए अंतरिम बजट को जुमलों, झांसों, झूठ व आंकडो की हेराफेरी करने वाला ऐसा निरस, दिशाहीन बजट बताया जिसे चुनावी भाषण, गपोडों के सिवाय कुछ नही कहा जा सकता। एक ओर वित्तमंत्री ने दावा कि विगत 10 सालों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर निकाला है, फिर सवाल उठता है कि आज भी 80 करोड़ लोगों को गरीब बताकर हर माह 5 किलो मुफ्त राशन क्यों दिया जा रहा है? यदि 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से नीचे से निकाला है तो आमजन की आय क्यों नही बढी, बेरोजगारीेे विगत 45 सालों में सबसे जयादा क्यों है? घरेलू कंजम्शन कम क्यों हो रही है? जब लोगों के पास जीवनयापन करने के लिए पैस ही नही तो फिर वे गरीबी रेखा से कैसे निकले? विगत दस सालों में किसान आय दोगुना होना तो दूर, उसकी आय जस की तस क्यों है? विगत पांच सालो में पर्दे के पीछे से साजिश करके कृषि विभाग के लिए आवंटित बजट का 1 लाख 5 करोड़ रूपये कृषि मद की बजाय अन्य मदों में क्यों खर्च किया गया? वहीं मोदी सरकार को बताना होगा कि यदि मोदी-भाजपा राज में अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है तो फिर कांग्रेस-यूपीए के 10 सालों के राज में जो जीडीपी ग्रोथ औसतन 7.8 प्रतिशत प्रतिवर्ष थी, वह भाजपा के 10 साल के राज में घटकर औसतन 5.6 प्रतिशत प्रतिवर्ष क्यों रह गई?

विद्रोही ने आरोप लगाया कि वित्तमंत्री ने अंतरित बजट प्रस्तुत करने के समय को चुनावी भाषण देने के लिए प्रयोग करके लोकतांत्रिक परम्पराओं का अपमान किया। वहीं 2023-24 के बजट में विभिन्न विभागों में आवंटित धन कहां, कैसे प्रयोग किया, इसका कोई उल्लेख नही है। सरकार ने वर्ष 2023-24 के बजट लक्ष्यों को संसद को बताने की बजाय हवा-हवाई जुमले उछालकर कांग्रेस राज को बदनाम करने और मोदी-भाजपा सरकार का झूठा महिमामंडन करने के सिवाय कुछ नही। अंतरिम बजट के माध्यम से सरकार ने कोई दिशा प्रस्तुत करने की बजाय चुनावी लाभ लेने के लिए सरकार का महिमामंडन करने  के सिवाय कुछ नही किया। विद्रोही ने कहा कि सरकार के बजट भाषण से यह इंगित हुआ है कि महंगाई, बेरोजगारीे, गरीबी को दूर करने नये रोजगार के अवसर पैदा करने व देश के विकास की कोई खाका प्रस्तुत नही किया जो बताता है कि सरकार हर क्षेत्र में विफल व दिशाहीन सरकार रही है। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का 2024-25 का अंतरिम बजट घोर निराशाजनक, दिशाहीन, लक्ष्यहीन बजट रहा है। 

विद्रोही ने सवाल किया कि यदि विगत 10 सालों में मोदी राज में भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई हैे तो 2013-14 में भारत पर जो कर्ज 55 लाख करोड़ रूपये था, वह 2023-24 में बढक़र 205 लाख करोड़ रूपये कैसे हो गया? वहीं कांग्रेस-यूपीए सरकार के अंतरिम बजट में बजट घाटा 4.68 प्रतिशत, वह 2023-24 में बढक़र आज 5.8 प्रतिशत कैसे हो गया? बजट घाटे का बढना प्रमाण है कि अर्थव्यवस्था आज कांग्रेस राज की तुलना में मजबूत होने की बजाय कमजोर हुई है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि देश के समक्ष बेरोजगारी की विकराल समस्या है व अभूतपूर्व कृषि संकट को छिपाकर भागना बताता है कि सरकार देश की कमजोर होती अर्थव्यवस्था को छिपाना चाहती है।

अर्थव्यवस्था का कटु सत्य यह है कि मनमोहन कांग्रेस राज मेें डायरेक्ट टैक्स का 45 प्रतिशत कारपोरेट जगत से आता था व 20 प्रतिशत आमजन से। मोदी सरकार ने 10 वर्षो में इसे उल्टकर अमीरों से कारपोरेट टैक्स का नाम पर केवल 25 प्रतिशत टैक्स वसूला, वहीं आमजन पर भारी-भरकम टैक्स थोपकर उनसे 45 प्रतिशत टैक्स वसूला।

इसका अर्थ यह है कि विगत 10 सालों में गरीबों से टैक्स वसूलकर उनकी जेबों में डाका डाला जो गरीबों की भारी लूट व उस लूट के पैसों सेे पंूजीपतियों की तिजौरियां  भरने का काम किया है जो गरीबों की खुली लूट है। 

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