पूर्व सांसद अशोक तंवर के इस्तीफे की चर्चाएं तेज तंवर ने अभी पत्ते नहीं खोले, कल 12 जनवरी को समर्थकों के साथ एक बैठक भारत सारथी/ कौशिक नारनौल। हरियाणा में पैर पसारने में जुटी आम आदमी पार्टी को एक और बड़ा झटका लग सकता है। पार्टी के प्रचार समिति के अध्यक्ष और पूर्व सांसद अशोक तंवर के पार्टी छोड़ने की चर्चा तेज हो गई है। सूत्रों ने बताया है कि दिल्ली के एक होटल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और अशोक तंवर की बुधवार को 20 मिनट की मुलाकात भी हुई है। मुख्यमंत्री बुधवार को दिल्ली में थे। इस चर्चा के बाद पार्टी ने तंवर को मनाना शुरू कर दिया है। तंवर की ओर से कुछ शर्तें रखी गई हैं, जिस पर पार्टी के अंदर सहमति नहीं बन पा रही। फिलहाल पार्टी छोड़ने संबंधी चर्चाओं के बारे में तंवर की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है। तंवर से संपर्क करने की कोशिश भी की गई, मगर उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। तमाम मत करो के बीच पूर्व सांसद अशोक तवर ने अभी अपने पत्ते नहीं खुले हैं उन्होंने कल 12 जनवरी को अपने समर्थ को के साथ एक बैठक करके उसके बाद फैसला लेने का निर्णय किया है। यदि तंवर पार्टी छोड़ते हैं तो आम आदमी पार्टी के लिए दस दिन में यह दूसरा बड़ा झटका होगा। दस दिन पहले दो बड़े नेताओं ने पार्टी को अलविदा कहा था। दिसंबर के आखिरी सप्ताह में हरियाणा के पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा ने भी आम आदमी पार्टी को अलविदा कह दिया था। दोनों नेताओं ने पांच जनवरी को कांग्रेस की सदस्यता हासिल कर ली थी। तंवर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और सिरसा से सांसद भी रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पार्टी की पिछली कुछ बैठकों में अशोक तंवर शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्हें बैठकों में आने का निमंत्रण भी भेजा जा रहा है। वहीं, पिछले दो दिन से उनके समर्थकों का पार्टी से त्याग पत्र देना जारी है। मंगलवार को कुरुक्षेत्र में आप के जिला अध्यक्ष ने अपने समर्थकों के साथ पार्टी से त्याग पत्र दिया। वहीं, बुधवार को गन्नौर से भी कई पदाधिकारियों ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दिया। ये सभी तंवर के समर्थक बताए जा रहे हैं। इन पदाधिकारियों ने पार्टी के शीर्ष नेताओं पर अनदेखी का आरोप लगाया है। बताया जा रहा है कि तंवर ने 12 जनवरी को अपने समर्थकों की एक बैठक रखी है। बैठक में तंवर समर्थकों से राय लेंगे और उसके बाद वह अगला फैसला लेंगे। यह भी चर्चा चल रही है कि तंवर भाजपा में जा सकते हैं। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष एवं सिरसा से सांसद रह चुके डॉ. अशोक तंवर ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से राजनीतिक टशन के चलते कांग्रेस को अलविदा कहा था। उस समय भी तंवर के भाजपा में शामिल होने की अटकलें चली थी, लेकिन तंवर ने तब भाजपा में जाने की बजाय आम आदमी पार्टी की झाड़ू थामना अधिक फायदेमंद समझा था। हाल ही में पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा की कांग्रेस में वापसी हुई है। राज्यसभा में स्वाति मालीवाल के बाद तंवर ने बदला निर्णय निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा के कांग्रेस में लौटने के बाद डॉ. अशोक तंवर को लग रहा था कि आम आदमी पार्टी उन्हें दिल्ली से राज्यसभा में भेज देगी। इसलिए वह इंतजार करते रहे, लेकिन राज्यसभा में स्वाति मालीवाल को भेज देने के बाद अशोक तंवर ने आम आदमी पार्टी में रहने का अपना निर्णय बदल लिया। हरियाणा कांग्रेस के प्रवक्ता रह चुके मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रचार सलाहकार तरुण भंडारी के माध्यम से मुख्यमंत्री और अशोक तंवर की नजदीकियां बढ़ी। तरुण भंडारी ने ही नई दिल्ली में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के गुजरात वाइब्रेंट में शामिल होने जाने से पहले अशोक तंवर की उनसे एक होटल में मुलाकात कराई। हरियाणा में आम आदमी पार्टी को नहीं मिली कोई सीट बताया जाता है कि अशोक तंवर को सिरसा अथवा अंबाला लोकसभा सीट से भाजपा चुनाव लड़वा सकती है। इनमें एक सीट कौन सी होगी, यह भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा। अशोक तंवर के समर्थकों की दलील है कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी सीटों के बंटवारे के तहत कांग्रेस से अभी तक कोई सीट हासिल नहीं कर पाई। ऐसे में लोकसभा चुनाव की तैयारी पर फर्क पड़ रहा है। इसलिए उनके लिए भाजपा में जाना अधिक फायदेमंद होगा, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के रहते उनकी कांग्रेस में वापसी संभव नहीं है। अपना भारत मोर्चा के अध्यक्ष अशोक तंवर ने शेयर की पोस्ट भाजपा को भी अशोक तंवर सरीखे जिताऊ चेहरों की तलाश है, जो कांग्रेस के लिए राजनीतिक मुश्किलें खड़ी कर दें। इससे पहले अशोक तंवर के बेहद नजदीकी नरेश मग्गू ने मंगलवार को अशोक तंवर को अपना भारत मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में प्रचारित करते हुए एक पोस्ट की। तंवर ने अपना भारत मोर्चा उस समय बनाया था, तब उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहा था। मंगलवार को कुरुक्षेत्र के जिलाध्यक्ष जगबीर सिंह जोगनखेड़ा ने पार्टी को अलविदा बोलकर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे, जिसके बाद तंवर समर्थकों ने जहां तंवर-वहां हम अभियान चलाया। Post navigation मंदिर वहीं बनाएंगे’ नारे की कहानी जान हैरान रह जाएंगे ! 1528 से 2024 तक! आसान नहीं था विवादित ढांचे से लेकर भव्य राम मंदिर तक का सफर