कमलेश भारतीय

वैसे तो मैं साहित्यिक रूचि रखता हूं लेकिन सन् 1997 से यहाँ आने के बाद से कुछ कुछ उद्योग की यादें भी जुड़ी हुई हैं । सुनता रहा कि हिसार पहले दाल और तेल मिलों के लिए प्रसिद्ध था और एक वरिष्ठ पत्रकार बिशन स्वरूप दालवाला भी थे। यह नाम क्यों पड़ा, मालूम नहीं । मिल गेट क्षेत्र का नाम ही डी सी एम् टेक्सटाइल मिल के कारण पड़ा । पहले इसका नाम हिसार टेक्सटाइल मिल था, बाद में डी सी एम रखा गया। मेरे हिसार आने तक यह मिल चल रही थी । एक दो बार यहां जाने का अवसर भी बना । कुछ कर्मचारियों की हड़ताल और कुछ शेयर होल्डर्स के मनमुटाव के चलते हिसार में टेक्सटाइल मिल नहीं रही । अब सिर्फ इसकी निशानी मिल गेट का नाम भर रह गयी है । वहाँ अब नयी सब्जी मंडी के कारण रौनक है। सुना है कि बलवंतराय तायल की सरिया मिल भी थी । वे राजनीति में भी आये । पर इनके परिवार से फिर कोई सदस्य राजनीति में नहीं आया । इनके परिवार से मीनाक्षी तायल समाजसेवा में सक्रिय हैं। पूर्व मुख्यमंत्री चौ भजनलाल के दामाद अनूप बिश्नोई ने भी भानु इंडस्ट्रीज लगाई थी, जो अब बंद है ।

आज अगर हिसार के उद्योग की बात करें तो देश विदेश में इसे जिंदलस्टेनलेस लिमिटेड के रूप में जाना जाता है । यहाँ सिक्कों व ब्लेड का सामान भी बनता है। सुनने में तो यह भी आता है कि वंदे मातरम् व मैट्रो रेल के लिए काफी हद तक स्टील भी यही से जाता है।

हालांकि इसके संस्थापक बाबू ओमप्रकाश जिंदल ने पहले पहली बाल्टियां बनाने के लिए जिंदल इंडस्ट्रीज बनाई। कुछ पुराने लोग कहते हैं कि उन्होंने बाबू जी को खुद बाल्टियां बनाते देखा । इसके पीछे बहुत रोचक बात बताई जाती है कि बाबू जी बिजनेस के चक्कर में कोलकाता गये थे और देखा कि खाने की थाली के पीछे मेड इन इंग्लैंड लिखा है तो इनके मन में सवाल उठा कि मेड इन इंडिया क्यों नहीं? बस बाबू जी हिसार लौटे और जिंदल इंडस्ट्रीज बनाई । पहले इसका नाम जिंदल इंडिया था । बाद में जिंदल पाइप्स बनने लगे। इन दिनों आर पी जिंदल, आर जी गर्ग और विक्रम जिंदल इसकी इंडस्ट्रीज में मुख्य योगदान दे रहे थे। आर पी जिंदल बाद में न केवल जिंदल स्टेनल्स कंपनी के पंद्रह वर्ष डायरेक्टर रहे बल्कि दोनों स्कूल और जिंदल अस्पताल भी इसके कार्यकाल के दौरान बने। विद्या देवी जिंदल स्कूल में तो काठमांडू से भी बड़ी संख्या में लड़कियां पढ़ने आती हैं । आर पी इनके संस्थापक सूत्रधार रहे और ट्रस्टी व कार्यकारिणी सदस्य भी रहे। अग्रोहा अस्पताल के बनने में भी योगदान दिया। आर पी जिंदल सिटीजन प्रोग्रेसिव फोर्म के अध्यक्ष भी रहे। आजकल अग्रोहा मेडिकल अस्पताल में निशुल्क सेवायें दे रहे हैं। आर पी जिंदल संगरूर से आये थे और यहीं के होकर रह गये।

बाबू ओमप्रकाश जिंदल राजनीति में भी आये। पहले चौ बंसीलाल की हविपा पार्टी में सांसद बने और बाद में कांग्रेस में विधायक । बिजली मंत्री बने लेकिन विधाता को कुछ और मंजूर था , मंत्री बनने के कुछ दिन बाद ही विमान दुर्घटना में इनका और साथ चल रहे चौ सुरेंद्र सिंह का निधन हो गया । बाबू जी की स्मृति में जिंदल ज्ञान केंद्र बनाया गया जिसके टावर की ऊंचाई कुतुबमीनार से थोड़ी कम है। इसी में ओपन एयर थियेटर भी है। इसी प्रकार मिल गेट क्षेत्र में जिंदल पार्क बनाया गया । इनके बेटे नवीन जिंदल कुरूक्षेत्र से सांसद बने और बाबू जी के असामयिक निथन के बाद इनकी धर्मपत्नी सावित्री जिंदल न केवल विधायक बल्कि मंत्री भी बनीं। वे आज भी सामाजिक कार्यों में प्रमुख रूप से भाग लेती हैं। आजकल जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड को रत्न जिंदल संभाल रहे हैं तो जिंदल स्कूलों की देखरेख इनकी पत्नी दीपिका जिंदल संभालती हैं। जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड के तुलसी सभागार अनेक नाटकों का मंचन होता है।

हिसार में आते ही बाबू ओमप्रकाश जिंदल से मेरी पहली मुलाकात जिंदल इंडस्ट्रीज के उन दिनों मैनेजर भारत भूषण प्रधान ने करवाई थी जो अंतिम दिनों तक चलती रही। इनके पी ए विपिन शर्मा, भूपेंद्र गंगवा और फिर ललित शर्मा ने भी भरपूर सहयोग दिया । चुनावों में आर पी जिंदल ने भी खूब काम किया। हर नये वर्ष पर जिंदल इंडस्ट्रीज में विशिष्ट नागरिकों को रात्रिभोज दिया जाता था । नवीन जिंदल आजकल छत्तीसगढ़ में हैं और पिछली बार माँ बेटा चुनाव से दूर रहे ।

वैसे हिसार के उद्योग में कुलदीप भार्गव व अविराम तायल मुन्ना के नाम भी प्रमुख हैं। कुलदीप भार्गव हिसार इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष भी रहे। ये संयुक्त पंजाब के प्रथम मुख्यमंत्री गोपीचंद भार्गव के परिवार से हैं लेकिन राजनीति में न कुलदीप आये और न ही जगदीप भार्गव आये। जयदीप भार्गव भी एक फैक्ट्री चलाने के साथ साथ ठाकुर दास भार्गव सीनियर सेकेंडरी स्कूल की भी देखरेख करते हैं। इसी तरह अविराम तायल मुन्ना भी उद्योग के क्षेत्र में प्रमुख नाम है। कुलदीप भार्गव व अविराम भी स्टेनलेस स्टील क्षेत्र में ही काम करते हैं। अविराम के पिता बलदेव तायल राजनीति में आये और मंत्री भी रहे। वे साहित्य के रसिया भी थे और अपने हरे भरे लान में भव्य साहित्यिक कार्यक्रम करवाते थे। इनके लान में विष्णु प्रभाकर और बशीर बद्र के कार्यक्रमों का लुत्फ़ मैंने भी उठाया। इनके बेटे राहुल देव तायल इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन बने । राहुल तायल अब इस दुनिया में नहीं । वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे और कुछ पुरस्कार भी मिले । अविराम मुन्ना की भी राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं । अनुभा तायल चटर्जी पुस्तकालय की संरक्षिका हैं।

वैसे तो हिसार में अनेक उद्योगपति होंगे। मेरे सीमित ज्ञान को क्षमा करेंगे।

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