तीन राज्यों में हार के बाद कांग्रेस के खात्मे की बात कर रहे है, उन्हे नही भूलना चाहिए कि हारकर भी कांग्रेस को भाजपा से ज्यादा वोट मिले है : विद्रोही कांग्रेसी अपने व्यक्तिगत अंहकार व गुटबाजी और वर्चस्व की लडाई में छत्तीसगढ़, राजस्थान व मध्यप्रदेश की तरह जीती बाजी न खो दे, इसका विशेष ध्यान रखना होगा : विद्रोही 4 दिसम्बर 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कंाग्रेस को तेलांगना में मिली शानदार जीत के लिए तेलांगना के मतदाताओं का आभाार जताते हुए उनका धन्यवाद किया कि तेलांगना के गठन के दस वर्ष बाद कांग्रेस को तेलांगना निर्माण का फल सत्ता सौंपकर दिया। इसके लिए तेलांगना की जनता के साथ सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं को हार्दिक बधाई। वहीं विद्रोही ने राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में भाजपा को मिली जीत के लिए बधाई देते हुए कांग्रेस नेताओं से आग्रह किया वे अपना आत्मविश्लेषण करे कि आखिर उनके राज्यों से जीती बाजी कैसे खिसक गई। देश के प्रमुख राज्य तेलांगना, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को 1064972 वोट ज्यादा दिये है। इन चार राज्यों के चुनाव में जहां कांग्रेस को 49224599 मत मिले, वहीं भाजपा को 48159627 मत मिले है। जो लोग कांग्रेस की तीन राज्यों में हार के बाद कांग्रेस के खात्मे की बात कर रहे है, उन्हे नही भूलना चाहिए कि हारकर भी कांग्रेस को भाजपा से ज्यादा वोट मिले है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में जीत की ओर बढ़ रही कांग्रेस की हार हरियाणा कांग्रेस नेताओं के लिए भी गंभीर चेतावनी है। आज हरियाणा में कांग्रेस भाजपा को हराकर जीत की ओर बढ़ती दिख रही है। लेकिन कांग्रेसी अपने व्यक्तिगत अंहकार व गुटबाजी और वर्चस्व की लडाई में छत्तीसगढ़, राजस्थान व मध्यप्रदेश की तरह जीती बाजी न खो दे, इसका विशेष ध्यान रखना होगा। विद्रोही ने कहा कि चुनावों में हार-जीत चलती रहती है, लेकिन जब तक कोई राजनीतिक दल हार के कारणों से सबक लेकर व जीत के बाद विनम्र होकर अपनी कायैशैली, आचरण नही बदलता है, तब तक उसका लगातार चुनाव जीतना बहुत दुष्कर हो जाता है। कांग्रेसी नेताओं की विडम्बना यही है कि वे न तो हार से सबक लेकर अपनी कायैशैली, आचरण बदलते है और न ही सत्ता मिलने पर अपना अहंकार छोडकर प्रतिबद्धता से जनसेवा में जुटते है। यदि छत्तीसगढ व राजस्थान में कांग्रेस नेता मैं ही कांग्रेस और मैं हू तो कांग्रेस है, इस अहंकार व अपनी निजी महत्वकांक्षा को छोडकर काम करते और मिलकर मजबूती से चुनाव लडते तो इन राज्यों में उनके हाथों में सत्ता नही निकलती। वहीं मध्यप्रदेश में जनभावना कांग्रेस के साथ होते हुए भी कांग्रेस क्यों हारी, इसका गहराई से मंथन करके कांग्रेस को अपनी खामिया दूर करनी होगी। विद्रोही ने हरियाणा कांग्रेस नेताओं से भी आग्रह किया कि यदि उन्होंने छत्तीसगढ़ व राजस्थान के घटनाक्रम से सबक नही सीखा और अपना निजी अहंकार व निजी महत्वकांक्षा और मैं ही कांग्रेस और मैं हूं तो कांग्रेस है, यह सोच छोडकर एकजुटता, प्रतिबद्धता से काम नही किया तो हरियाणा में भी छत्तीसगढ, राजस्थान जैसे परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। हरियाणा के कांग्रेसियों के लिए सुधरने व अपनी कार्यशैली, आचरण बदलने के लिए पर्याप्त समय है। Post navigation हापा : 12 दिसंबर को पंचकूला व चंडीगढ़ की सड़कों पर निकालेंगे मौन जुलूस: प्रोफेसर सुभाष सपड़ा विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिखाया सेवा भाव