लोगों की शिकायतों को एकत्रित करते, लेकिन इन पर नहीं करते कार्रवाई 

सिर्फ शहरी निकाय विभाग की ही 1694 में से 1532 शिकायत अभी तक पेंडिंग

चंडीगढ़, 30 नवंबर।  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल का जनसंवाद कार्यक्रम आखिरकार जुमला ही निकला। इसका उद्देश्य न तो लोगों की शिकायतों व समस्याओं को सुनकर दूर करना है, न ही जनता को किसी तरह की राहत देना है। कहने को लोगों से उनकी फरियाद कागज पर लिखवा कर ले ली जाती है, लेकिन इनके निराकरण की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। कम से कम शहरी निकाय विभाग में लंबित पड़ी शिकायतों को देखकर तो यही लगता है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि अकेले शहरी निकाय विभाग से संबंधित 1694 शिकायत जन संवाद कार्यक्रम के दौरान मिली। इनमें से अभी तक 1532 शिकायतों का ही निपटारा हो सका है। इससे पता चलता है कि जन संवाद को लेकर प्रदेश सरकार कितनी गंभीर है। जन संवाद के दौरान जिस तरह का मुख्यमंत्री का रवैया देखने में आया है, उससे पता चलता है कि वे तानाशाह हो चुके हैं। जनता की समस्याओं से उन्हें कोई सरोकार नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साढ़े 08 साल तक जिस मुख्यमंत्री को जनता की याद नहीं आई, वह जन संवाद के नाम पर खुद के फील्ड में उतरने का ढोंग कर रहे हैं। अब बात इनके हाथ से निकल चुकी है, जनता सब समझ चुकी है। मुख्यमंत्री जनता की परेशानी कम करने के लिए जिलों में नहीं पहुंचे, बल्कि उन्हें और अधिक परेशानी देने के लिए आए। जब भी उन्हें लोग कष्ट में मिले तो वे दुखी होने की बजाए खुश हुए, उन्होंने जनता की परेशानी को समझने की बजाए उनका उपहास ही बनाया।

कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार अपना जनाधार खो चुकी है। प्रदेश सरकार का पब्लिक कनेक्ट पूरी तरह खत्म हो चुका है। जनविरोधी नीतियों के कारण लोग सरकार से मुंह मोड़ चुके हैं और मुख्यमंत्री एक टूरिस्ट की तरह सिर्फ यह देखने लोगों के बीच पहुंचे, कि उनकी सरकार द्वारा दी गई परेशानियों के बावजूद लोग खुद को कैसे जिंदा रखे हुए हैं।  पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 9 साल के अंदर प्रदेश के लोगों को जिस तरह के घाव मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिए हैं, उन्हें वे जीवन भर भूल नहीं पाएंगे। वे वोट की चोट से अपने प्रत्येक जख्म का बदला जरूर लेंगे। इसका खामियाजा आगामी चुनावों में मुख्यमंत्री और उनकी भारतीय जनता पार्टी को जरूर भुगतना होगा।