हरियाणा स्थापना के 57 वर्ष बाद भी अपना अलग हाईकोर्ट क्यों नहीं?
अलग हाईकोर्ट हरियाणा का अधिकार है।
हरियाणा का अलग हाईकोर्ट स्थापित होने से राज्य की जनता को मिलेगा त्वरित न्याय।

गुरुग्राम, 01 नवंबर,2023 – जिला बार एसोसिएशन गुरुग्राम के पूर्व प्रधान एवं वरिष्ठ अधिवक्ता चौधरी संतोख सिंह ने हरियाणा राज्य के 58 वें स्थापना दिवस पर सरकार से माँग की कि हरियाणा का अलग हाईकोर्ट बनाया जाए।उन्होंने सरकार से सवाल किया कि हरियाणा के स्थापना के 57 वर्ष पूरे होने के बाद भी हरियाणा राज्य का अलग हाईकोर्ट क्यों नहीं बना है?

1966 में अलग होने के बाद से हरियाणा और पंजाब का साझा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में है। 

उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 214 के अनुसार प्रत्येक राज्य का अलग हाईकोर्ट होना चाहिए।अलग हाईकोर्ट हरियाणा का अधिकार है। उन राज्यों में भी अलग हाईकोर्ट है,जो पिछले कुछ दशक में बने हैं।

देश का सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य सिक्किम है जिसकी जनसंख्या लगभग इकसठ लाख (60,7688) है और उसका अपना अलग हाईकोर्ट है। जबकि आधार के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-2023 में हरियाणा की जनसंख्या लगभग दो करोड़ 74 लाख (27,388,008) है और हरियाणा राज्य के स्थापना के 57 वर्ष पूरे होने के बाद भी उसका अपना अलग हाईकोर्ट नहीं बना है।

नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के अनुसार इस समय पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में लगभग चार लाख 43 हज़ार (4,42,805) केस लंबित है।इस साल जनवरी में लंबित मामलों की संख्या लगभग चार लाख 48 हज़ार (4,47,886) थी, जबकि वर्तमान में यह लगभग चार लाख 43 हज़ार (4,42,805) है।पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में वर्तमान में हरियाणा के करीब 50 प्रतिशत केस लंबित हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा का अलग हाईकोर्ट स्थापित होने से राज्य की जनता को त्वरित न्याय मिलेगा।

उन्होंने कहा कि अलग हाईकोर्ट हरियाणा का अधिकार है।उन्होंने सरकार से माँग की कि हरियाणा में अलग हाईकोर्ट की स्थापना की जाए।

error: Content is protected !!