न्यायविदों के तीन दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ
ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ आयोजन

28 अक्टूबर 2023, गुरुग्राम – न्याय भारतीय संविधान की आत्मा है। भारत में ही ऐसा सिस्टम है जहां हर व्यक्ति अपना बचाव कर सकता है। उक्त विचार दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस सुधीर जैन ने व्यक्त किए। ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में न्यायविदों के लिए आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उन्होंने ये बात कही। न्यायविदों की प्रगति के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण विषय पर बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए जस्टिस जैन ने कहा कि किसी बात को बताना आसान होता है लेकिन जीवन में अपनाना मुश्किल लगता है। आज समाज में विवाद होना सामान्य बात है। लेकिन जरूरी है उसको समझना। जस्टिस सुधीर ने कहा कि सही अर्थ में आध्यात्मिक वही है, जिसमें आत्मिक भाव हो। न्याय में यही भाव निर्णय को सही स्वरूप प्रदान करता है। आज कानून को सही अर्थों में समझाने की जरूरत है। लोगों को लगे कि कानून उनकी सुरक्षा के लिए है।

  • आदमी को आदमी से जोड़ना ही सबसे बड़ा न्याय

जस्टिस जैन ने कहा कि हमें आदमी को आदमी से जोड़ना है। 50 परसेंट जस्टिस को 100 परसेंट जस्टिस में कन्वर्ट करना है। जस्टिस जैन ने कहा कि लोगों के शब्दों को नहीं बल्कि उनकी भावनाओं को समझना जरूरी है। आध्यात्मिकता का प्रैक्टिकल स्वरूप हमें सच्चा मीडिएटर बनाता है। जिससे ही निर्णय सही हो सकता है। आज ज्यूडिशियल रिफॉर्म की नहीं बल्कि उसमें कुछ सुधार करने की जरूरत है।

  • आध्यात्मिक सशक्तिकरण से ही होगा विश्व के वर्तमान संकट का समाधान

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस इ. वी. ईश्वरैया ने कहा कि भारत एक समय सोने की चिड़िया कहलाता था। लेकिन आज नैतिक पतन के कारण देश की ये हालत हो गई है। उन्होंने कहा कि विश्व के वर्तमान संकट का समाधान आध्यात्मिक सशक्तिकरण के द्वारा ही संभव है। जस्टिस ईश्वरैया ने कहा कि वो 25 वर्षों से राजयोग का अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने कभी भी किसी दबाव में कोई निर्णय नहीं दिया। ब्रह्माकुमारीज में आने के बाद उनका जीवन पूरी तरह परिवर्तित हो गया। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता से ही सच्ची शांति, खुशी और आनंद जैसे गुणों की अनुभूति होती है।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व जस्टिस व ब्रह्माकुमारीज ज्यूरिस्ट विंग के वाइस प्रेसिडेंट बी.डी. राठी ने स्वागत वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज विश्व की एकमात्र संस्था है, जो मातृ शक्ति के द्वारा संचालित होती है। आध्यात्मिकता के माध्यम से ही विश्व भर में बढ़ रही नकारात्मकता को समाप्त किया जा सकता है। एसोचैम नेशनल काउंसिल ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स, न्यू दिल्ली की चेयरपर्सन प्रीति मल्होत्रा ने भी कार्यक्रम के प्रति अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की।

भारत सरकार के विधि कार्य विभाग के अतिरिक्त सचिव डॉ. राजीव मणि ने कहा कि न्याय में विश्वास कायम रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था जरूरी है। ब्रह्माकुमारीज जैसी वैश्विक संस्था इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके लिए जागृति की जरूरत है। आज ज्यादातर विवाद सिर्फ अहंकार की संतुष्टि के लिए होते हैं। आध्यात्मिक चेतना के विकास से बहुत सी समस्याएं स्वतः खत्म हो जाएंगी।

ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आदिशा अग्रवाल ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। भारतीय संस्कृति के पुरातन मूल्यों को पुनः स्थापित कर रही है। न्याय प्रक्रिया में मूलभूत परिवर्तन जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि न्याय में देरी तब होती है जब सही न्याय नहीं मिलता। इसलिए न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता जरूरी है।

ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि मनोविकारों के कारण ही समाज में अपराध बढ़ रहे हैं। एक समय ऐसा भी था, जब कोई भी मनोविकार नहीं थे। ये भारत स्वर्ग कहलाता था। वास्तव में न्याय की आवश्यकता तभी होती है, जब अन्याय हो। आध्यात्मिक चेतना की जागृति हमें उस समाज की ओर ले जाती है, जहां कोई भी अन्याय नहीं होता। उन्होंने कहा कि मनोविकारों का मूल कारण आत्मिक विस्मृति है। ब्रह्माकुमारीज मानव को उसकी सही पहचान दिलाने का कार्य कर रही है।

ओआरसी की निर्देशिका आशा दीदी ने कहा कि न्याय दिल से होता है। आध्यात्मिकता कोई पूजा पाठ नहीं है। लेकिन आत्मा की आवाज को सुनकर कार्य करना आध्यात्मिकता है। जब हम आत्मा की सुनते हैं तो हमारे में दया, करुणा और प्रेम के भाव जगते हैं।

ब्रह्माकुमारीज ज्यूरिस्ट विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष बीके पुष्पा दीदी ने सबको योग का गहन अनुभव कराया। उन्होंने कहा कि आंतरिक शुद्धिकरण से ही न्याय में पारदर्शिता आती है।

संस्था के मुख्यालय माउंट आबू से ज्यूरिस्ट विंग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके लता ने अपने शब्दों से सबका आभार व्यक्त किया।

झलकियां
किंग्सवे कैंप, दिल्ली से बीके जागृति ने स्वागत नृत्य के द्वारा सबका स्वागत किया।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ, पटका एवं पौधे भेंट कर किया गया।
कार्यक्रम में देश भर से 650 से भी अधिक न्यायविदों ने शिरकत की।

संस्था के मुख्यालय माउंट आबू से ज्यूरिस्ट विंग की संयोजिका बीके श्रद्धा एवं ओआरसी की बीके येशु ने मंच संचालन किया।

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