भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज अमर शहीद अशफाक उल्ला खां का जन्मदिन है। आशा थी कि सारे देश के साथ-साथ हरियाणा भाजपा भी अमर शहीद अशफाक उल्ला खां के जन्मदिवस को बड़े ही धूमधाम से मनाएगी और सामाजिक सौहार्द के प्रतीक अशफाक उल्ला खां और पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की दोस्ती की मिसाल सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देंगे, ऐसा तो कुछ हुआ नहीं लेकिन यह समाचार अवश्य आया कि हरियाणा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के जन्मदिवस की तैयारियों में संपूर्ण भाजपा लगी हुई है।

मुझे याद आता है कि जब ओमप्रकाश धनखड़ प्रदेश अध्यक्ष बने तब बार-बार यह कहते थे कि कांग्रेस ने शहीदों को भुलाया और हम अनाम शहीदों को भी याद करेंगे। अनेक कार्यक्रम भी चलाए। वह स्वयं भी काला पानी, जलियांवाला बाग, खडख़ड़ कलां आदि अनेक स्थानों पर गए। तो ऐसे में मन में विचार आया कि अनाम शहीदों की तो बात छोड़ो, वह तो प्रसिद्ध और स्थापित शहीदों को भी भूल जाते हैं। इससे पूर्व भी ऐसा कई बार हो चुका है।

इससे पूर्व जब ऐसा हुआ तो कुछ लोगों से चर्चा हुई थी और उस चर्चा में यह निकलकर आया था कि धनखड़ साहब शहीदों का नाम अपनी राजनीति और जनता के पास जाकर अपना जनाधार बनाने के लिए हैं। उनका कहना है कि उनके पास तो हर जिले कार्यालय में शहीदों के नाम की लिस्ट भी नहीं मिलेगी। यदि वह वास्तव में शहीदों का सम्मान करते तो अपने सभी जिला कार्यालयों में राष्ट्रीय और जिले के शहीदों के नाम की लिस्ट लगवाते, जिससे कि कार्यकर्ता भूल न पाएं किसी शहीद को और उनकी जयंती तथा पुण्यतिथि पर तो उन्हें याद कर लें परंतु ऐसा कहीं नजर आया ही नहीं।

मुझे याद आती हैं किसी कवि की ये पंक्तियां—

तुम्हें जीना-तुम्हें मरना सिखाने कौन आएंगे, उन्हें मालूम है उनका कफन तक बेच खाएंगे।
लगाया नाम का पत्थर, खड़ा करके चौराहों पर, तुम्हें वह जानते थे और अब पहचान जाएंगे,
तुम्हें जीना-तुम्हें मरना सिखाने कौन आएंगे।……………………
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