बेबुनियादी हड़ताल पर बैठे हैं निगम रोल पर लगे सफाई कर्मचारी
– शहर की सफाई व्यवस्था को दुरूस्त करने में जुटे हुए हैं सफाई एजेंसियों के कर्मचारी
– काम पर नहीं लौटने वाले कर्मचारियों को नहीं मिलेगा वेतन और अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी
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गुरूग्राम, 16 अक्तुबर। नगर निगम गुरूग्राम के संयुक्त आयुक्त (स्वच्छ भारत मिशन) डा. नरेश कुमार ने कहा कि निगम रोल पर लगे 3200 सफाई कर्मचारी हड़ताल की बजाए अपने काम पर लौटें क्योंकि निगम रोल के कर्मचारियों का हड़ताल पर बैठना बेबुनियाद है।
संयुक्त आयुक्त ने कहा कि सफाई एजेंसियों के कर्मचारी शहर की सफाई व्यवस्था को दुरूस्त करने में जुटे हुए हैं, जबकि हड़ताली कर्मचारियों द्वारा यह अफवाह उड़ाई जा रही है कि केवल एजेंसियों के कर्मचारी ही हड़ताल पर हैं। जो कर्मचारी पहले ही निगम रोल पर लगे हुए हैं, उनका बार- बार हड़ताल करने का कोई औचित्य ही नहीं है। सफाई कर्मचारी शहर के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें तथा सफाई व्यवस्था को दुरूस्त करने में अपनी भूमिका निभाएं। निगम रोल पर लगे कर्मचारी अगर काम पर वापिस नहीं आते हैं, तो उन्हें वेतन की अदायगी नहीं की जाएगी तथा उनके खिलाफ नियमानुसार अन्य कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
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संयुक्त आयुक्त ने कहा कि नगर निगम गुरूग्राम एजेंसियों के कर्मचारियों की सहायता से शहर की सफाई व्यवस्था को दुरूस्त करने में जुटा हुआ है। इसके लिए अलग-अलग वार्ड में निजी एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इस प्रकार की भी शिकायतें मिल रही हैं कि हड़ताली कर्मचारी निजी एजेंसियों को भी सफाई कार्य करने में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे हैं। हड़ताली कर्मचारी नहीं चाहते कि शहर की सफाई व्यवस्था दुरूस्त हो क्योंकि अगर शहर की सफाई व्यवस्था निजी एजेंसियां संभाल लेंगी तो सरकार पर वे अपनी बेबुनियाद मांगों का दबाव नहीं बना पाएंगे। निगम के 20 कैमरामैन की टीम नियुक्त की गई है तथा सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी|
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सफाई कर्मचारियों की बेबुनियादी हड़ताल के कारण अब शहर के गणमान्य व्यक्ति खुलकर विरोध में आ गए हैं। नागरिकों का कहना है कि निगम रोल पर लगे कर्मचारियों की हड़ताल का कोई औचित्य ही नहीं है। इन्हें समझना चाहिए कि उनके कारण शहर का जो आम आदमी परेशान है, उसी के टैक्स के पैसे से उन्हें वेतन मिलता है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि अपनी मांग पूरी करवाने के लिए शहर की सफाई व्यवस्था खराब कर दी जाए। नागरिकों का कहना है कि जो कर्मचारी सफाई व्यवस्था में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करें, उन पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए।
सैक्टर-15 पार्ट-2 आरडब्ल्यूए के प्रधान अरूण कुमार, सैक्टर-7 एक्सटेंशन के प्रधान डा. नितिन पाहवा, सैक्टर-4 से डा. अवध किशोर तथा सैक्टर-46 से मनमोहन कालरा के अनुसार सफाई कर्मचारियों को सरकार से वेतन व भत्ते दिए जाते हैं, जो कि आम नागरिकों के टैक्स का पैसा है। सफाई कर्मचारी हर माह धरने पर रहते हैं, जिससे शहर की सफाई व्यवस्था खराब होती है। निगम रोल व नियमित कर्मचारी अपना काम सही तरीके से नहीं करते, बल्कि ठेकेदार के कर्मचारी शहर की सफाई व्यवस्था को दुरूस्त करने में जुटे रहते हैं। सरकार हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करनी चाहिए। कुछ आरडब्ल्यूए ने मांग की है कि जहाँ भी सफाईकर्मी काम नहीं कर रहे, वहाँ का कार्य पार्कों के रख रखाव की तरह उन्हें सौंप दिया जाय| निगम इस बारे जनहित में जल्द ही फैसला ले रहा है |