बावल में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने सार्वजनिक मंच से मनेठी में एम्स बनाने की घोषणा की थी, किन्तु बाद में मुख्यमंत्री अपनी इस घोषणा से मुंह मोड़ गए थे: विद्रोही
2015 में एम्स की जिस घोषणा को अब तक जमीनी धरातल पर लागू हो जाना चाहिए था, उसका अब 2023 में मात्र शिलान्यास करवाने के लिए भी लोगो को धरने पर बैठना पड़ रहा है : विद्रोही
एम्स भाजपा के लिए जनहित की बजाय वोट बैंक की राजनीति का जरिया बन चुका है : विद्रोही

13 अक्टूबर 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने जारी एक बयान में अहीरवाल की जनता से आहवान किया कि वे भाजपा खट्टर सरकार द्वारा इस क्षेत्र के साथ विकास सहित सामाजिक सरोकारों की खुलकर की जा रही अनदेखी के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाये क्योंकि भाजपा खट्टर सरकार ने दक्षिणी हरियाणा से जुड़े हर विकास कार्य पिछले नौ सालों से ठंडे बस्ते में डाल रखे है। विद्रोही ने कहा कि प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के आचरण को देखकर तो ऐसा लगता है कि ये दोनो ही अहीरवाल की जनता को मूर्ख समझकर अपना पिछलग्गू मान बैठे है। यहीं वजह है कि 2014 व 2019 के विधानसभा व लोकसभा चुनावों में अहीरवाल क्षेत्र से भाजपा को एकतरफा जनमसर्थन मिला, लेकिन इसके बावजूद भी इस क्षेत्र की जनता आज अपने क्षेत्र के विकास कार्य करवाने के लिए ऐडियां रगडने को मजबूर है। गांव माजरा में प्रस्तावित एम्स इसका जीता जागता उदाहरण है। यह सभी को मालूम है कि बावल में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने सार्वजनिक मंच से मनेठी में एम्स बनाने की घोषणा की थी, किन्तु बाद में मुख्यमंत्री अपनी इस घोषणा से मुंह मोड़ गए थे। यदि उस समय एम्स की लडाई के लिए अहीरवाल की बहादुर जनता संघर्षरत नही होती और गांव माजरा के किसान अपनी बेशकीमती जमीन सरकार को उसकी शर्तो पर देने के लिए खुले दिल से आगे नही आते तो यह सभी जानते है कि दक्षिणी हरियाणा में एम्स बनना दूर की कोड़ी होती। अब जब भाजपा सरकार अहीरवाल की जनता के संघर्ष के कारण माजरा एम्स बनाने को मजबूर हो चुकी है तो अब भी एम्स शिलान्यास को लेकर यहां के लोगों की भावनाओं से खेला जा रहा है। 

विद्रोही ने कहा कि ऐसे उदाहरण कम ही मिलते है जब किसी चुनी हुई सरकार ने किसी क्षेत्र में कोई विकास परियोजना देने के लिए इस तरह जनता को संघर्ष के लिए मजबूर किया हो, जैसे अहीरवाल क्षेत्र की जनता को किया गया है। जिस तरह एम्स निर्माण के लिए अहीरवाल की जनता को दर-दर पर जाकर मिन्नते करनी पडी है, यह इस क्षेत्र की जनता कभी नही भूला सकेगी। 2015 में एम्स की जिस घोषणा को अब तक जमीनी धरातल पर लागू हो जाना चाहिए था, उसका अब 2023 में मात्र शिलान्यास करवाने के लिए भी लोगो को धरने पर बैठना पड़ रहा है। एम्स भाजपा के लिए जनहित की बजाय वोट बैंक की राजनीति का जरिया बन चुका है। यहीं वजह है कि एम्स शिलान्यास को लोकसभा चुनाव 2023 को ध्यान में रखकर लगातार लम्बा खींचा जा रहा है। हालांकि देर-सवेर माजरा एम्स का शिलान्यास करना ही होगा, जिसके उपरान्त भाजपा खट्टर सरकार व यहां के स्थानीय नेता इसे अहीरवाल के लिए एक बडी सौगात बताकर अपने लिए फिर से वोट मांगेगे। किन्तु एम्स निर्माण को लेकर जो घटनाक्रम 2015 से लेकर अब 2023 तक घटित हुए और जिस तरह इलाके की जनता को लगातार सडक़ों पर आकर संघर्ष के लिए मजबूर होना पड रहा है, उससे तो यही लगता है कि भाजपा की नजरों में एम्स दक्षिणी हरियाणा के लिए सौगात नही अपितु खैरात होगी जो केवल वोटों की फसल काटने का जरिया होगी। यही वजह है कि भाजपा व यहां के स्थानीय नेताओं को लगता है कि बेशक आगामी चुनावों में अपनी जनविरोधी नीतियों के कारण हरियाणा में भाजपा का क्लीन स्वीप हो जाये किन्तु दक्षिणी हरियाणा की भोली जनता को एम्स के नाम पर भावनात्मक रूप से ठगकर वोट जरूर हासिल की जा सकती है। यह दक्षिणी हरियाणा की जनता का भोलापन व यहां के नेताओं का दब्बूपन ही है कि जिन विकास परियोजनाओं पर दक्षिणी हरियाणा का अधिकार होना चाहिए, उन्हे हासिल करने के लिए क्षेत्र की जनता को संघर्ष व सौदेबाजी करने को मजबूर होना पड़ा है। 

विद्रोही ने कहा कि इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब तीन काले कृषि कानूनों को लेकर पूरे देश का किसान आंदोलनरत था और हरियाणा के गांवों में भाजपा के मुख्यमंत्री, मंत्री व नेताओं को घुसने तक नही दिया जा रहा था, उस समय मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर अहीरवाल की इस पवित्र भूमि पर अपने राजनीतिक कार्यक्रम करके जता रहे थे कि दक्षिणी हरियाणा भाजपा की जेब में है। इसी सोच का यह नतीजा है कि भाजपा व उसके नेता एम्स निर्माण को एक चुनी हुई सरकार का कार्य नही अपितु इस क्षेत्र पर पार्टी व नेता विशेष का निजी एहसान की संज्ञा देने पर तुले है ताकि आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनावों में इस एहसान के बदले में वोटों की सौदेबाजी की जा सके। अब यह दक्षिणी हरियाणा की जनता को तय करना है कि जिस एम्स को वह अपने संघर्ष व बलिदान के बल पर हासिल करने के अभियान में जुटी हुई है, उसे किसी पार्टी अथवा नेता विशेष का निजी एहसान मानकर राजनीतिक गुलामी स्वीकार करती है या स्वाभिमान के साथ खड़े होकर एम्स के नाम पर अब हुई ब्लैकमेलिंग व विकास परियोजनाओं को वोट बैंक की तराजू में तोलने वाले भाजपाईयों को आगमी चुनावों में वोट की चोट से करारा जवाब देकर कड़ा संदेश देगी।

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