मैं बताऊंगा दोगले नेता के दोगले चेहरें के बारे में , हरियाणा के किसान -जवान तैयार रहे एसवाईएल को लेकर होगा बड़ा आन्दोलन – जयहिंद
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की राजनीति के चक्कर में उड़ाई जा रही है धज्जियां -जयहिंद
SYL की वजह से प्रदेश की 60 % ग्रामीण व् शहरी जनता को नही मिलता पीने के लिए शुद्ध पानी – जयहिंद

रौनक शर्मा

रोहतक – सामाजिक कार्यकर्ता शनिवार को रोहतक के सेक्टर -6 स्थित बाग़ में प्रेसवार्ता में राजनीतिक नेताओं पर जमकर बरसे | नवीन जयहिंद ने एसवाईएल के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को आड़े हाथों लिया |

प्रेसवार्ता में नवीन जयहिंद ने माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि बड़ी विडम्बना की बात है कि इस देश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक को नहीं माना जा रहा है | पिछले 20 सालों से कोर्ट हरियाणा को पानी दिलाने की कोशिश कर रहा है लेकिन सरकारें सिर्फ राजनीति कर रही है | दोगले लोग , दोगले दल, दोगले नेता और दोगले सिस्टम की वजह से हरियाणा की जनता को SYL का पानी नहीं मिल रहा है | ये नेता जब पंजाब में जाते है तो कहते है खून बहा देंगे लेकिन हरियाणा को एक बूंद पानी नहीं देंगे | जब हरियाणा में आते है तो SYL का पानी हरियाणा के लिए मांगते है | जनता को इनकी राजनीति समझनी होगी और अपने हक़ का पानी खुद लेना होगा |

जयहिंद ने हरियाणा और पंजाब के नेताओं पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इनेलो और अकाली दल का पुराना रिश्ता है | चुनाव के दौरान इधर से अभय सिंह चौटाला खुदाई करने जाते है और उधर से अकाली दल वाले आते है लेकिन आज तक हरियाणा को एक गिलास पानी नही दिला पाए | जब हरियाणा में भी कांग्रेस की सरकार थी, पंजाब में भी कांग्रेस की सरकार और केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी तब भी एसवाईएल से एक बूंद हरियाणा को नहीं मिला, सिर्फ वोटों की राजनीति हुई है | पिछने 7 सालों से केद्र और हरियाणा में बीजेपी की सरकार है तब भी यह मसला हल नहीं हुआ है | जबकि खुद माननीय सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला सुना चुका है और कह रहा है कि इस फैसले को लागू किया जाए | संविधान पीठ जिसमे पांच वरिष्ठ जज होते है उनके आदेश तक को नहीं माना जा रहा है |

जयहिंद ने प्रदेश में पानी की स्थिति पर कहा कि आज प्रदेश में 10 लाख एकड़ जमीन पानी के बिना बंजर है जिस पर 40 लाख टन अनाज किसान पैदा कर सकता है और गरीबों का पेट भरा जा सकता है , लेकिन पानी नहीं मिलने की वजह वो जमीन सुखी है | वही प्रदेश में पीने के पानी के हालात तो और भी बुरे है | प्रदेश के कुल 7287 गांवों में से केवल 1304 गांव ग्रीन जोन में हैं, जबकि 6150 गांवों में भूजल तेजी से नीचे जा रहा है। ये आंकड़े खुद हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण द्वारा पेश किये गये है | 84 प्रतिशत गांवों में भूजल स्तर तेजी से पाताल की ओर जा रहा है। ऐसे में सरकार सिर्फ ट्विट करके पल्ला झाड़ रही है |

गुरुग्राम , सोनीपत, भिवानी , जींद , सिरसा , हिसार, रोहतक, झज्जर, महेंद्रगढ़, रेवाडी जिलों में तो जितने पानी की जरूरत है उससे आधा भी बड़ी मुश्किल से मिल रहा है | खुद सरकार ने मन्त्री ने माना है कि प्रदेश को जितने पानी की जरूरत है उतना नहीं मिल रहा है |

जयहिंद ने कहा कि जब पंजाब के नेता और मंत्री हरियाणा आये तो SYL पर अपना रुख स्पष्ट करके आयें कि हरियाणा को अपने हक़ का पानी मिले | किसान आन्दोलन में हरियाणा के किसानों ने पंजाब के किसानों के लिए दूध की नदियाँ बहा दी थी | उनके कंधे से कन्धा मिला कर उस आन्दोलन का हिस्सा बने थे और सफल बनाया था | ऐसे में पंजाब हरियाणा का बड़ा भाई भी है तो क्या वहां के किसान नहीं चाहेंगे की हरियाणा के किसान खेती करें, यहाँ के लोगों को पीने का पानी मिले| या फिर नेता ही अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने पर लगे हुए है

जयहिंद ने वही किसान नेताओं पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आज वे किसानों के ठेकेदार कहाँ है जो अपने आप को किसान नेता कहते है | आज हरियाणा को उसका हक़ का पानी दिलाने की बारी आई तो किसी के मुहं से एक शब्द नहीं निकल रहा है |

जयहिंद ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखेंगे जिसमे वे प्रदेश के किसानो और जनता के हस्ताक्षर करवाएंगे | साथ ही हरियाणा के मुख्यमंत्री से अपील की कि जिस तरह से पंजाब के मुख्यमंत्री ने स्पेशल सेशन बुलाया है उसी तरह से खट्टर साहब भी स्पेशल सेशन बुलाओं और सभी राजनीतिक दल भी एसवाईएल पर अपना रुख स्पष्ट करें , राजनीति न करें |

“मान साहब ऐसे तो नहीं थे”…राजनीति न करें – जयहिंद

जयहिंद ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर चुटकी लेते हुए कहा कि | मुख्यमंत्री मान साहब की तो ससुराल है तो उनको तो वैसे भी हरियाणा का ख्याल रखना चाहिए | उन्हें तो खुद बे खुद हरियाणा को हक का पानी दिलाना चाहिए|

सुप्रीम कोर्ट को जरूरत है देशी घी की- जयहिंद

जयहिंद ने कहा कि गरीब आदमी को डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के आदेश मानने को मजबूर कर दिया जाता है | उसके घर-जमीन पर कब्ज़ा करने के लिए प्रशासन पहुंच जाता है | और यहाँ सरकारें सुप्रीम कोर्ट तक के आदेश को मानने के लिए तैयार नहीं है | हक़ का पानी ले रहे है कोई भीख नहीं मांग रहे है | अगर इस फैसले को लागू करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को घी की जरूरत है|

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