हरियाणा सरकार की विफलता का प्रमाण है जनसंवाद कार्यक्रम ?

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा में पिछले काफी समय से जनता राजनीति से विमुख नजर आती है। कारण, उनकी कोई सुनता ही नहीं न सरकार और न ही विपक्षी दल। भाजपा और विपक्ष केवल अपने कार्यकर्ताओं से बात करता है। अत: जनता गौण है।

इसका प्रमाण मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा आरंभ किया गया जनसंवाद कार्यक्रम है। ऐसी राजनैतिक चर्चाकारों में, विपक्ष में और जनता में चर्चा है। इसमें सबके अलग-अलग तर्क हैं। हम संक्षेप में उनकी बातों का सार आपसे कहेंगे।

प्रजातंत्र में जनता ही शासक मानी जाती है। प्रजातंत्र की परिभाषा भी यही है कि जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए है। जनता ही अपने प्रतिनिधि चुनती है और उन प्रतिनिधियों का काम यही होता है कि वे अपने क्षेत्र की समस्याएं सुनें, उनका समाधान करें। यदि वह समस्या उनके कार्यक्षेत्र से बाहर की है तो मंत्रियों-मुख्यमंत्रियों से कहकर जनता का समाधान कराएं।
जनसंवाद में मुख्यमंत्री जनता से बात कर रहे हैं जनता की समस्याओं को पूछने के लिए। देखने-सुनने में बड़ा अच्छा लगता है परंतु धरातल पर वह जनसंवाद न होकर सरकार की उपलब्धियों को जनता तक जनता के पैसे पहुंचाने का साधन मात्र बनकर रह गया है।

जनसंवाद कार्यक्रम में कहा जाता है कि भाजपा के कार्यकर्ता ही आमंत्रित होते हैं। देखा भी गया है कि विपक्ष के नेताओं को जनसंवाद के समय पुलिस की मदद से रोका भी जाता है।

संवाद का अर्थ साहित्यकारों द्वारा यह बताया गया है कि निर्भय होकर विचारों के आदान-प्रदान को संवाद कहा जाता है, जिसमें दोनों पक्ष अपने मन की बात खुलकर रखते हैं किंतु इन जनसंवाद कार्यक्रम में ऐसा तो नजर आता नहीं।

मुख्यमंत्री के अतिरिक्त अन्य मंत्री भी जनसंवाद कार्यक्रम कर रहे हैं। अभी हाल ही में पटौदी में सहकारिता मंत्री बनवारी लाल जनसंवाद कार्यक्रम करके गए। कल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने भी कल सोहना में जनसंवाद किया। जनसंवाद में जनता द्वारा उन्हें तीखे प्रश्नों का सामना करना पड़ा और यह कहा गया कि आगामी दो माह में सभी कार्य पूरे हो जाएंगे तथा आपकी सभी बातें मुख्यमंत्री तक पहुंचा दी जाएंगी।

प्रश्न यह उठता है कि जो विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र से चुने जाते हैं क्या उनका यह दैनिक कार्य नहीं है कि क्षेत्र की समस्याओं को देखें, सुनें, समझे और उनका समाधान करें तथा मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाएं। जनता की सोच से तो यह उनका दैनिक कार्य है और अब जनसंवाद कार्यक्रम को इवेंट बना अपनी कमियों को ढकना चाहती है। अब फैसला आपको करना है कि जनसंवाद कार्यक्रम सरकार की विफलता का कार्यक्रम है या जनता के लिए लाभप्रद?

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