टीका लगाकर घूमने वालों ने भारत को गुलाम बनाया, राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने फिर दिया विवादित, आरएसएस और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया
‘तिलक’ पर राजनीति! RJD के बयान से JDU का किनारा, जमा खान ने दिया बड़ा बयान, जगदानंद बोले- मैं अपनी बात पर कायम
‘आपके बूढ़े होने से पहले अखंड भारत दिख जाएगा.’, मोहन भागवत का बयान
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बीजेपी को दी नाम बदलने की सलाह, सुझाया ये अनोखा नाम

अशोक कुमार कौशिक

देश में इन दिनों इंडिया का नाम बदलकर भारत रखने पर विचार हो रहा है। इस मुद्दे को लेकर पक्ष-विपक्ष में बयानबाजी भी हो रही है इस बीच यूएन की भी एंट्री हो गई है। संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र देशों से उनके नाम बदलने के अनुरोधों पर विचार करेगा जब उनके पास नाम बदलने के लिए अनुरोध भेजे जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने बुधवार को तुर्की द्वारा पिछले साल अपना नाम बदलकर तुर्किये करने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि ठीक है तुर्किये के मामले में हमने सरकार द्वारा हमें दिए गए एक औपचारिक अनुरोध का जवाब दिया।

राष्ट्रपति के डिनर निमंत्रण पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा होने पर देश का नाम बदले जाने पर राजनीति तेज हो गई है।

पूरा विपक्ष इसे लेकर केंद्र सरकार का विरोध कर रहा है। फिलहाल अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने देश का नाम बदले जाने की चर्चाओं के बीच बीजेपी को अपना नाम बदलने की सलाह दे दी है।

दरअसल ज्यादातर बीजेपी नेताओं का कहना है कि इंडिया नाम अंग्रेजों ने अपने शासनकाल के दौरान देश को दिया था। उनका कहना है कि अंग्रेजों का दिया गया नाम गुलामी की मानसिकता को दर्शाता है। ऐसे में वह नाम बदलने की कवायद का समर्थन कर रहे हैं। इसी बीच अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बीजेपी को उसके नाम से अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘पार्टी’ को निकालकर ‘दल’ किए जाने की सलाह दे डाली है।

उधर देश में ‘भारत’ और ‘इंडिया’ को लेकर चल रहे सियासी बयानबाजी के बीच राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। प्रदेश कार्यालय में मिलन समारोह कार्यक्रम के दौरान उन्होंने देश को गुलाम बनाने के लिए आरएसएस और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। सनातन धर्म को लेकर उदयनिधि स्टालिन का विवादित बयान का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि इधर बिहार में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के तिलक वाले एक बयान पर बहस छिड़ गई है।

इधर अखंड भारत को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत बड़ा बयान दिया है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा है कि आपके बूढ़े होने से पहले आपको अखंड भारत के दर्शन हो जाएंगे। उनकी तरफ से ये भी कहा गया कि अब कई ऐसे देश हैं जिन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है। ये सारे वो देश हैं जिन्हें अखंड भारत का हिस्सा माना जाता है।

यूएनओ के अनुसार जाहिर है अगर हमें इस तरह के अनुरोध मिलते हैं तो हम उन पर विचार करते हैं। उन्होंने उन रिपोर्टों पर एक सवाल के जवाब में कहा कि इंडिया का नाम बदलकर भारत किया जा सकता है।

गौरतलब है कि इंडिया का नाम बदलकर भारत करने का मुद्दा उस वक्त उठा जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से जी 20 समिट के लिए रात्रि भोजन का निमंत्रण भेजा गया था।

इस आमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा था। विपक्ष ने नरेंद्र मोदी सरकार पर योजना बनाने का आरोप लगाया था। इंडिया को छोड़ें और देश के नाम के रूप में केवल भारत ही रखें।

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर बुधवार को अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से भारत मुद्दे पर राजनीतिक विवाद से बचने के लिए कहा, यह देखते हुए कि यह देश का प्राचीन नाम रहा है।

मोदी ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद के साथ अपनी बातचीत के दौरान इन मुद्दों पर बात की, जिसमें उन्होंने आगामी जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान क्या करें और क्या न करें के बारे में बताया।

उन्होंने उनसे मेगा अभ्यास के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में रहने और उन्हें सौंपे गए किसी भी कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए कहा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आने वाले गणमान्य व्यक्तियों को कोई असुविधा न हो।

अखिलेश ने बीजेपी को दी पार्टी का नाम बदलने की सलाह

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने ऑफिशियल एक्स (ट्विटर) अकाउंट से पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘वैसे तो भाषाओं का मिलन और परस्पर प्रयोग बड़ी सोच के लोगों के बीच मानवता और सौहार्द के विकास का प्रतीक माना जाता है। फिर भी अगर संकीर्ण सोचवाली भाजपा और उसके संगी-साथी किसी भाषा के शब्द को गुलामी का प्रतीक मानकर बदलना ही चाहते हैं तब तो सबसे पहले भाजपा को भी अपना एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए और अपने नाम में से अंग्रेज़ी का शब्द ‘पार्टी’ हटाकर स्वदेशी परंपरा का शब्द ‘दल’ लगाकर अपना नाम भाजपा से भाजद कर देना चाहिए।’

देश का नाम बदलने को लेकर मचा घमासान

इस पोस्ट के साथ ही अखिलेश यादव ने हैशटैग करते हुए ‘नहीं चाहिए भाजद’ लिखा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में विपक्ष के नेता हैं और अक्सर बीजेपी का विरोध करते नजर आते हैं । फिलहाल इन दिनों देश का नाम ‘इंडिया’ से बदलकर ‘भारत’ किए जाने की संभावना के बीच राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। जिसे लेकर विपक्षी पार्टियां बीजेपी का विरोध करती नजर आ रही हैं। देश का नाम India से बदलकर भारत किए जाने की संभावना के बीच सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था कि देश का नाम बदलने की सोच संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर का विरोध करने के बराबर है।

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि टीका लगाकर घूमने वालों ने भारत को गुलाम बनाया। इसके साथ ही उन्होंने कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद और राम मनोहर लोहिया का उदाहरण भी दे डाला। जगदानंद सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत गुलाम किसके समय में हुआ? क्या उस समय कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद यादव थे, राम मनोहर लोहिया थे?

उन्होंने कहा कि हिंदू- मुसलमान में भारत को बांटने से काम नहीं चलेगा। बना लो मंदिर और तोड़ दो मस्जिद, इससे भारत नहीं चलेगा। जगदानंद सिंह ने 2020 के विधानसभा चुनाव को याद करते हुए कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी को राज मिल गया था। जनता ने बता दिया था कि बिहार में वहीं राज करेंगे।

हालांकि हो सकता है कि ‘तकनीकी’ कारणों से या ‘बेइमानी’ से बात नहीं बन पाई। जगदानंद ने कहा कि तेजस्वी के फैसले को और मजबूती से आगे ले जाना है। मुल्क की समस्या और अपनी समस्या में ज्यादा फर्क नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वो सनातन, जिसमें भेदभाव किया जाता है, अगड़े-पिछड़े की बात की जाती है, लोगों को बांटा जाता है तो, हां मैं फिर मैं वो सनातनी नहीं हूं।

राजद कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कई लोगों ने राजद की सदस्यता ग्रहण की। पत्रकार नलिन वर्मा लिखित लालू प्रसाद की जीवनी मिलन समारोह में पहुंचे कार्यकर्ताओं के बीच वितरित की गई। कहा जा रहा है कि इस किताब की एक लाख प्रतियां राजद ने मंगवाई है।

इस किताब को वितरित करने का मकसद यह कि लालू यादव के बचपन से लेकर छात्र जीवन और उसके बाद राजनीति में संघर्ष के साथ ही उनके विचार को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके। काफी संख्या में महिलाओं ने भी राजद की सदस्यता ग्रहण की। जगदानंद सिंह और रणविजय साहु ने सदस्यता रसीद देकर सबको सदस्यता ग्रहण करवाई।

उधर, जगदानंद के बयान पर भाजपा ने पलटवार करते हुए इतिहास पढ़ने की नसीहत दी है। राकेश कुमार ने कहा कि जगदा बाबू को देश का इतिहास पढ़ लेना चाहिए। 1857 के विद्रोह के नायक मंगल पांडेय ही थे, जो टीका लगाने वाले समुदाय से थे। रानी लक्ष्मीबाई, चन्द्रशेखर आजाद भी इसी समाज से आते थे। जगदानंद बाबू समाज में ऊंच-नीच का भेदभाव पैदा कर वोट नहीं लिया जा सकता है।

हालांकि जगदानंद सिंह के बयान से जेडीयू ने किनारा कर लिया है। जेडीयू कोटे के मंत्री जमा खान ने गुरुवार (7 सितंबर) को कहा कि हमारे नेता नीतीश कुमार और हमारी पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है।

‘सभी धर्मों को अपने-अपने हिसाब से चलने का अधिकार

जगदानंद सिंह के बयान को लेकर जमा खान ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए । जेडीयू की ओर से इस तरह की टिप्पणी आज तक नहीं की गई । देश को जोड़कर रखना है. सबको साथ लेकर चलना है ।सभी समुदाय के लोगों में आपस में प्रेम रहे, देश में भाईचारा रहे । सभी धर्मों को अपने-अपने नियम के हिसाब से चलने का अधिकार है।

जगदानंद सिंह बोले- मैं अपने बयान पर कायम

दरअसल जगदानंद सिंह ने कहा है कि जो लोग तिलक लगाकर घूमते हैं उन्हीं लोगों ने भारत को गुलाम बनाया है। इस पूरे मामले पर आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने गुरुवार को फिर कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि आरजेडी के कार्यक्रम में यह बात मैंने अपने साथियों से कहा था, जो कहा सबको पता है। उसको दोबारा दोहराने की जरूरत नहीं है । उन्होंने कहा कि जहां भेदभाव हो वह कोई धर्म नहीं। वैसे धर्म का मैं विरोध करता हूं।

जगदानंद सिंह ने कहा कि जो समाज को दिशा दिखाए वही धर्म है। बीजेपी का धर्म समाज को बांटना है। हिंदू-मुस्लिम को लड़ाना है. मोहन भागवत ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में कहा था कि आरक्षण की समीक्षा होगी। आज वह कहे जब तक समाज में भेदभाव है तब तक आरक्षण रहना चाहिए। 2015 में आरक्षण पर बयान के कारण बीजेपी बुरी तरह हारी थी। बीजेपी और आरएसएस आरक्षण, सनातन धर्म का मुद्दा लगातार उठाती है।हर समय अलग-अलग बयान उन लोगों का आता है । इन लोगों का फिर सफाया होगा।

अखंड भारत पर क्या बोले भागवत?

मोहन भागवत ने कहा कि मैं नहीं जानता कि अखंड भारत कब तक बनेगा, उसके लिए मुझे ग्रह ज्योतिष देखना पड़ेगा। मैं तो असल में जानवरों का डॉक्टर हूं। लेकिन अगर आपने मन में ठान लिया है कि अखंड भारत बनाना है तो जब तक आप बूढ़ें होंगे, वो सपना भी जरूर पूरा हो जाएगा। भागवत ने इस बात पर भी जोर दिया कि अब जमीन पर एक बार फिर स्थितियां बदली हैं, जो देश अलग हुए हैं, उन्हें अपनी गलती का अहसास होने लगा है। सरसंघचालक ने कहा, ” लेकिन यदि आप इस दिशा में काम करते रहेंगे तो आप बुजुर्ग होने से पहले इसे साकार होते हुए देखेंगे। चूंकि स्थितियां ऐसी बन रही हैं कि जो लोग भारत से अलग हुए, वे महसूस करते हैं कि उन्होंने गलती की। वे महसूस करते हैं कि हमें एक बार फिर भारत बन जाना चाहिए (उसका हिस्सा हो जाना चाहिए)। वे सोचते हैं कि भारत का हिस्सा बनने के लिए उन्हें मानचित्र पर खींची गयी रेखा मिटाने की जरूरत है। भारत बनना (भारत का हिस्सा होना) भारत का स्वभाव हासिल करना है।”

जब उनसे इस दावे के बारे में पूछा गया कि आरएसएस ने 1950 से 2002 तक यहां महाल इलाके में अपने मुख्यालय में राष्ट्रध्वज नहीं फहराया तो भावगत ने कहा, ” हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को हम जहां भी होते हैं, हम राष्ट्रध्वज फहराते हैं। नागपुर में महाल और रेशमीबाग हमारे दोनों ही परिसरों में ध्वजारोहण होता है। लोगों को हमसे यह प्रश्न नहीं करना चाहिए।”

उसके बाद उन्होंने एक घटना को याद करते हुए कहा कि 1933 में जलगांव के पास कांग्रेस के तेजपुर सम्मेलन के दौरान जब पंडित जवाहरलाल नेहरू 80 फुट ऊंचे खंभे पर ध्वजारोहण कर रहे थे तब झंडा बीच में फंस गया था, उस दौरान करीब 10000 की भीड़ से एक युवक आगे आया और खंभे पर चढ़कर उसने झंडे को निकाला।

भागवत के अनुसार नेहरू ने उस युवक को अगले दिन अभिनंदन के लिए सम्मेलन में आने को कहा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया क्योंकि कुछ लोगों ने नेहरू को बताया कि वह युवा आरएसएस की शाखा में जाता है।

सरसंघचालक ने दावा किया कि सघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को जब इसके बारे में पता चला तो वह युवक के घर गये और उन्होंने उसकी प्रशंसा की और उस युवक का नाम किशन सिंह राजपूत था।

भागवत ने कहा, ” जब राष्ट्रध्वज के सामने पहली बार समस्या आयी तब से ही आरएसएस उसके सम्मान के साथ जुड़ा रहा है। हम इन दोनों दिन (15 अगस्त और 26 जनवरी को) राष्ट्रध्वज भी फहराते हैं….. भले ही इसे फहराया जाये या नहीं लेकिन जब राष्ट्रध्वज के सम्मान की बात आती है तो हमारे स्वयंसेवक सबसे आगे रहते हैं और अपना बलिदान भी देने को तैयार रहते हैं।”

संघ प्रमुख ने एक और बड़ा बयान देते कहा कि जिसने भी भारत का स्वभाव ही स्वीकार नहीं किया, वहीं अलग होता चला गया। यानी कि वे मानते हैं कि जो भी भारत से अलग हुआ, असल में उन्होंने कभी भी इस देश के स्वरूप को ठीक तरह से समझा ही नहीं। अब अखंड भारत पर तो मोहन भागवत ने विस्तार से बात की ही, उनकी तरफ से आरक्षण भी विचार रखे गए।

आरक्षण पर क्या बोले भागवत?

उन्होंने कहा कि ये हमारे ही समाज की गलती रही कि हमने एक तबके को पीछे रखा, उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा। दो हजार सालों तक जिन पर अत्याचार हुआ, उन्हें समान अधिकार देने के लिए आरक्षण लाया गया। अब जब तक भेदभाव रहेगा, आरक्षण भी रहेगा। संघ हमेशा से ही संविधान द्वारा दिए गए आरक्षण का समर्थन करता है। वैसे संघ को लेकर एक ये भी धारणा रही कि उसने आजादी के बाद कुछ समय तक ध्वजारोहण नहीं किया। उसने तिरंगे का सम्मान नहीं किया। इस पर मोहन भागवत ने दो टूक कहा है कि संघ तिरंगे के लिए प्राण भी दे सकता है। लोगों को एक घटना याद है, लेकिन उसके बाद से 15 अगस्त हो, 26 जनवरी हो, जहां भी कोई क्यों ना हो, तिरंगा जरूर फहराया जाता है।

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