आश्चर्य तो यह है कि इस कटु सत्य को प्रदेश का हर नागरिक जानता है, फिर भी मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर छाती तानकर अपने सरकारी विज्ञापन में झूठा बखान कर रहे है कि पीपीपी योजना ने दफ्तर, दस्तावेज व दरखास्त से जनता को निजात दिला दी है जबकि जमीनी सच्चाई ठीक इसके विपरित है : विद्रोही

7 सितम्बर 2023 –   स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने जारी एक बयान में आरोप लगाया कि एक ओर हरियाणा भाजपा-जजपा खट्टर सरकार परिवार परिवान पहचान पत्र योजना के संदर्भ में आंकडों की बाजीगरी करके मीडिया में विज्ञापन देकर अपने मुंह मिया मिठ्ठू तो बन रही है, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि परिवार पहचान पत्र हरियाणावासियों के लिए जी का जंजाल बन चुका है। शायद ही ऐसा कोई परिवार या नागरिक हो जो परिवार पहचान पत्र से सम्बन्धित डाटा अपडेट करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों व सीएससी सैंटरों के धक्के नही खा रहा हो। विद्रोही ने कहा कि आश्चर्य तो यह है कि इस कटु सत्य को प्रदेश का हर नागरिक जानता है, फिर भी मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर छाती तानकर अपने सरकारी विज्ञापन में झूठा बखान कर रहे है कि पीपीपी योजना ने दफ्तर, दस्तावेज व दरखास्त से जनता को निजात दिला दी है जबकि जमीनी सच्चाई ठीक इसके विपरित है।          

विद्रोही ने कहा कि आज प्रदेश के आम नागरिकों को परिवार पहचान पत्र से सम्बन्धित डाटा अपडेट करवाने के लिए जितने चक्कर सरकारी दफ्तरों व सीएससी सैंटरों के काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है, शायद ही कभी किसी अन्य कार्य के लिए काटे हो। यहां तक पीपीपी में डाटा अपडेट नही होने के कारण युवाओं को सरकारी नौैकरी के आवेदन फार्म भरने, बच्चों को स्कूल में दाखिला लेने, बढ़ापा, विकलांग व विधवा पैंशन बनवाने सहित लगभग सभी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जा रहा है। किसी को परिवार में सदस्य जुड़वाने के लिए, किसी को इनकम ठीक करवाने के लिए, किसी को फैमिली आईडी अलग करवाने के लिए धक्के खाने पड़ रहे है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि पीपीपी योजना प्रदेश के नागरिकों के लिए जी का जंजाल बन चुकी है तो वहीं दूसरी ओर यही योजना लूट का जरिया भी बनी हुई है। सीएससी सैंटरों पर पीपीपी अपडेट करवाने के नाम पर मनमानी फीस वसूली जा रही है, तो वही पीपीपी से जुडी समस्याओं का निदान करवाने के नाम पर बीजेपी अपने बेरोजगार बैठे नेताओं को रोजगार दे रही है जो अपनी राजनीतिक दुकान चलाने में जुटे हुए है।          

विद्रोही ने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री खट्टर दावा कर रहे है कि पीपीपी के जरिये 35 लाख बीपीएल कार्ड बनाये गए है, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसे आंकडे गले नही उतरते है। सच्चाई तो यह है कि पीपीपी में दर्ज इनकम का सहारा लेकर प्रदेश में पात्र गरीब व्यक्तियों के बीपीएल कार्ड काट दिये गए जबकि ऐसे गरीब परिवार आज भी अपनी इनकम ठीक करवाने के लिए दफ्तरों व सीएससी सैंटरों के धक्के खा रहे है। वही जिन नये बीपीएल कार्डधारकों का मुख्यमंत्री बखान करके अपनी पीठ थपथपा रहे है, यदि उनकी भी गहराई से पड़ताल की जाये तो बहुत से ऐसे परिवार मिलेंगे जिन्होंने न तो बीपीएल कार्ड बनवाने के लिए कोई अप्लाई किया और न ही वे इस श्रेणी में आते है। सरकार ने बड़ी चतुराई से जिन पात्र गरीब लोगों की इनकम अधिक दर्ज हो गई थी, उसे आधार मानकर उनका बीपीएल कार्ड एक झटके में काट दिया और जिन सम्पन्न परिवार की इनकम कम दर्ज थी, उन्हे बीपीएल कार्ड जारी कर दिया। इसका भाजपा खट्टर सरकार को सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि पात्र गरीब परिवार के बीपीएल कार्ड भी काट दिये गए जो अब अपनी इनकम ठीक करवाने केे लिए धक्के खा रहे है जबकि दूसरी ओर आंकडों की बाजीगरी दिखाने के लिए अपने आप ही सम्पन्न परिवारों की कम इनकम को आधार मानकर बीपीएल कार्ड बना दिये गए। इस प्रकार जिन लोगों को वास्तविक रूप से बीपीएल योजना का लाभ मिल रहा था अथवा मिलना चाहिए था, उन्हे बड़ी चालाकी से बाहर कर दिया और आंकडों के लिए ऐसे लोगों के बीपीएल कार्ड बना दिये गए जिन्हे बीपीएल राशन कार्ड से मिलने वाले राशन से कोई लेना-देना ही नही है। विद्रोही ने कहा कि असल में पीपीपी योजना ऐसा जंजाल बन चुका है जिस कारण प्रदेश का हर नागरिक अपने दस्तावेज पूरे करवाने की माथापच्ची में धक्के खाने को मजबूर है। जमीनी धरातल पर वास्तव में परिवार पहचान पत्र हरियाणावासियों के लिए परमानेंट परेशान पत्र बन चुका है।

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