मुख्यमंत्री खट्टर जी उच्च स्वर्ण वर्ग के अधिकारियों को जिस तरह नौकरियोंं से रिटायर होने के बाद रिटायरमैंट देने की बजाय उन्हे तुरंत सरकारी रोजगार दे रहे है, वह सत्ता दुरूपयोग की पराकाष्ठा है : विद्रोही
रिटायर्ड अधिकारियों को ही अन्य कार्यरत अधिकारियों पर थोपकर उनका बोस बनाये रखेगी, तब क्या ऐसे अधिकारियों के मन में रोष उत्पन्न नही होगा? विद्रोही

2 सितम्बर 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि एक ओर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर व भाजपा-जजपा सरकार के मंत्री-संतरी पिछडे, दलित वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लम्बे-चौड़े दमगज्जे मारते है, वहीं सरकारी पोस्टिंग, तबादलों में महत्वपूर्ण पदों की नियुक्तियोंं में पिछडे व दलित वर्ग के अधिकारियों की उपेक्षा करके हर बडा पद केवल उच्च स्वर्ण वर्ग के अधिकारियों के लिए अघोषित रूप से आरक्षित रखते है। विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर जी उच्च स्वर्ण वर्ग के अधिकारियों को जिस तरह नौकरियोंं से रिटायर होने के बाद रिटायरमैंट देने की बजाय उन्हे तुरंत सरकारी रोजगार दे रहे है, वह सत्ता दुरूपयोग की पराकाष्ठा है। वहीं महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि जिस तरह उच्च स्वर्ण वर्ग के अधिकारियों को रिटायर होते ही भाजपा सरकार में पुर्नरोजगार मिल रहा है, वैसा ही रोजगार रिटायर होने के बाद पिछडे, दलित वर्ग के अधिकारियों को क्यों नही मिल रहा? मुख्यमंत्री खट्टर जी की नजरों में केवल उच्च स्वर्ण वर्ग के अधिकारी ही योग्य क्यों है? क्या हरियाणा में कार्यरत पिछडे, दलित वर्ग के अधिकारियों में कोई विशेष योग्यता नही होती?  

वहीं विद्रोही ने सवाल किया कि जब सरकार रिटायर होने पर भी अपने चहेते अफसरों को रिटायर ही नही होने देगी और उल्टा रिटायर्ड अधिकारियों को ही अन्य कार्यरत अधिकारियों पर थोपकर उनका बोस बनाये रखेगी, तब क्या ऐसे अधिकारियों के मन में रोष उत्पन्न नही होगा? उन्हे आगे बढने का अवसर न देना क्या अन्याय नही है? जब सरकार रिटायर अधिकारियों को इसी तरह रोजगार देगी, तब स्वभाविक है कि वे सेवाकाल में कानून, नियमानुसार कार्यवाही करने की बजाय मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए हर गैरकानूनी काम करेंगे ताकि उन्हे भी रिटायर होने के बाद तुरन्त रोजगार मिल सके। विद्रोही ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के इस रवैये से प्रदेश में भ्रष्टाचार भी बढ़ रहा है और उच्च अधिकारी संघी कठपुतली बनकर नियमों के विपरित फैसले भी कर रहे है। आज हरियाणा के अधिकारी संविधान व कानून की बजाय संघीयों के प्रति वफादार बनकर अपने संवैद्यानिक कर्तव्यों से विमुख होकर नागपुर के आदेश को ही संविधान आदेश मानकर नियमों को तांक पर रखकर काम करते है जो प्रदेश के लिए बहुत ही खतरनाक स्थिति है।   

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