चंडीगढ़ में प्रदर्शन के दौरान पारुल की मौत पर परिजनों को उचित मुआवजा राशि दे सरकार। चंडीगढ़, 01 सितंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर की मांगों की अनदेखी कर रही है और पूर्व में किया गया समझौता भी अभी तक लागू नहीं किया। शायद आंगनबाड़ी सेंटरों को बंद करने की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा कि विधानसभा का घेराव को लेकर हुए प्रदर्शन में पारुल की मौत के लिए सरकार जिम्मेदार है, पारुल के परिवार को उचित मुआवजा राशि प्रदान की जाए। मीडिया के नाम जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि मानदेय सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश भर में आंगनवाडी वर्कर और हेल्पर धरना प्रदर्शन कर रहे है और सरकार है कि उनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हैं। पिछले 25 दिनों से धरना प्रदर्शन है। उन्होंने कहा कि 28 अगस्त को जब आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर विधानसभा का घेराव करने जा रहे थे तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उनकी पानी की बोतल तक छीन ली गई गर्मी के कारण यमुनानगर की पारुल की तबीयत बिगड़ गई और उसे पानी तक नहीं मिल सका बाद में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। जिसके लिए शासन-प्रशासन जिम्मेदार है। उन्होंने पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देने की मांग की है। आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर वर्ष 2018 से मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे है। उन्होंने कहा है कि सरकारी आंकड़े के अनुसार भारत में लगभग 1,320,708 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं, जिनमें से 25,152 कार्यकर्ता हरियाणा में हैं। वहीं, देशभर में कुल 1,182,263 आंगनवाड़ी सहायिकाएं हैं, जिनमें से हरियाणा में 24,485 सहायिकाएं हैं। वे मांग कर रही है कि उनका मानदेय बढ़ाया मौजूदा महंगाई को देखते हुए उन्हें मिलने वाला मानदेय बहुत कम है। आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर को जरूरी सुविधाएं भी नहीं दी जाती। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार एक साजिश के तहत इन आंगनबाड़ी सेंटरों को बंद करने की साजिश कर रही है। आंगनबाड़ी से जुड़ी ये महिलाएं वो फ्रंटलाइन वर्कर हैं, जिन्हें कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सभी जानते आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं भारत सरकार की एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) का एक हिस्सा हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बच्चों को पूरक पोषण, स्कूल जाने से पहले दी जाने वाली अनौपचारिक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और अन्य सेवाएं उपलब्ध कराती हैं। इन्हें अभी तक कर्मचारी का दर्जा भी नहीं मिला है। Post navigation मुख्यमंत्री खट्टर जी की नजरों में केवल उच्च स्वर्ण वर्ग के अधिकारी ही योग्य क्यों है ? विद्रोही रोडवेज को निजीकरण की ओर तेजी से ले जा रही गठबंधन सरकार : कुमारी सैलजा