सत्तालोलूप जुमालेबाजों का जनता को इंडिया गठबंधन की लोकप्रियता से भटकाने का एक और शिगुफा

1/9/2023 :- ‘एक देश-एक चुनाव’ व्यवस्था भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक होगी, इससे देश तानाशाही की ओर चला जायेगा। इसमें एक निरंकुश सरकार बनेगी जिससे सवाल पूछने वाला कोई नही होगा। और सरकार अपनी मनमर्जी के फैसले जनता पर थोपेगी। राज्यों में अलग से चुनाव कराकर सरकार की निरंकुशता पर लगाम लगाया जा सकता है। कम से कम ये चुनावी डर सिलिंडर का दाम 200 तक कम तो कर देता है।’ उक्त बातें हरियाणा कांग्रेस सोशल मीडिया की स्टेट कॉर्डिनेट सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि भारत एक विवधतापूर्ण देश है यहां राज्य का मौसम, भाषा, संस्कृति और प्राकृतिक परिपेक्ष्य अलग-अलग है, फिर कैसे एक चुनाव को सभी राज्यों पर थोपा जा सकता है। मोदी सरकार की ये असंवैधानिक सोच देश के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करेगी।

गौरतलब है कि देश को मिली आजादी के बाद, पहली बार 1952 में आम चुनाव हुए। इन आम चुनावों के बाद 1957 में ये आम चुनाव हुए लेकिन अलग अलग चुनावों की व्यवस्था देश में 1970 में हुए आम चुनावों के बाद बनी जब सदन के भंग होने के बाद मध्यावधि चुनावों की नौबत आई। तब से आज तक चुनाव अलग अलग ही होते आ रहे हैं। लेकिन आज वर्षों बाद प्रधानमंत्री के ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ मुद्दे पर पूरे देश में छिड़ी बहस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए महिला कांग्रेस नेत्री सुनीता वर्मा ने कहा कि बीजेपी ने सदा जनता का मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने की राजनीति की है, जब जब मोदी बड़ी उलझनों में फंसते हैं तब तब वो बड़े शिगूफे छोड़ कर आम जनता को उसमें उलझा कर साफ बच निकलते हैं। अब भी वो इंडिया गठबंधन की लोकप्रियता और उसकी एकजुटता से डरे हुए ही ये शिगुफा छोड़ रहे हैं ताकि जनता भ्रमित होकर मोदी मकड़जाल में उलझी रहे।

उन्होंने कहा कि बड़ा सवाल ये है कि 28 राज्यो और केंद्र में एक साथ चुनाव होने और सरकार बनने के बाद कौन गारंटी लेगा की सारी सरकारे अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा ही करेंगी? और अगर किसी प्रदेश की सरकार अपने कार्यकाल के बीच में गिर गई तो क्या वो प्रदेश अपने शेष बचे समय तक अगले आम चुनावों का इंतजार करेगा, कब किस राज्य की सरकार गिर जाए या केंद्र में भी कब किसके नीचे से कुर्सी खिसक जाए पता नही। आज भी वही स्थिति है। तो ये सब होगा कैसे? इसके साथ ही विधायकों की खरीद फरोख्त के बाद जब बीजेपी सरकार गिराएगी या बनाएगी या असेंबली भंग हो जाएगी तब उस स्थिति में क्या होगा? अगर बहुमत नही आया तो क्या अल्पमत की सरकार शासन करेगी, इन सबके बारे में भी जनता को बताया जाना चाहिए?

वर्मा ने कहा की रही खर्चा बचाने की बात तो ये बहुत ही हास्यास्पद है, क्योंकि खर्च बचाने की बात वो लोग कर रहे हैं जो अपने भव्य खर्चीले चुनावी आयोजन करते हैं, खरबों जनप्रतिनिधियों की खरीद फरोख्त में लगाते हैं। जिन्होंने राष्ट्रीय संपत्तियां बेच डाली और जो लोकतंत्र का चीरहरण करते हैं? उन्होंने कहा की क्या ‘वन नेशन – वन इलेक्शन’ में ज्यादा संसाधन नही जुटाने पड़ेंगे?

महिला कांग्रेस नेत्री ने केंद्र सरकार पर हार के डर से शिगूफा छोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि आखिर वन नेशन, वन इलेक्शन का विजन क्या है? इससे तो राज्यों की स्वतंत्रता ही छीन जाएगी। इससे लोकतंत्र और ज्यादा कमजोर होगा यह देश को एक तरह से हाईजैक करने जैसा होगा जो पार्टी एक बार सत्ता में आ गई उसका जाना नामुमकिन हो जाएगा और ऐसा भी हो सकता है आने वाले समय में चुनाव को ही बंद कर दिया जाए किसी एक पार्टी के हाथ में इतनी बड़ी ताकत सौंपना बिल्कुल गलत होगा। बीजेपी जैसे पार्टियों पर कोई जवाबदेही नही होगी। उन्होंने कहा की ये वैसे भी किसी भी हालत में संभव नहीं है क्योंकि वर्तमान नियुक्त विधानसभा को डील्यूट करना कठिन होगा। हर प्रदेश की स्थितियां अलग अलग हैं, स्थानीय मुद्दों की उपेक्षा होगी, क्योंकि केंद्र के चुनाव में मुद्दे अलग होते हैं और राज्यों के चुनाव में अलग। इससे क्षेत्रीय दलों का धीरे धीरे सफाया हो जायेगा, केन्द्रीय पार्टियां और मजबूत होंगी। क्योंकि पूरे देश में एक लहर पर चुनाव होगा, जनता एकपक्षीय वोट करेगी।

लेकिन इन सबसे पहले क्या इस मुद्दे पर जनता की रायशुमारी हुई? खैर आप मसौदे को सदन में लाइए हम सकारात्मक चर्चा के लिए तैयार हैं।

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