*आरोपी अधिकारियों पर कार्यवाही किए बगैर पुनः शुरू की गई स्वामित्व योजना,
*फिर निकला हरियाणा शहरी निकाय मुख्यमंत्री स्वामित्व योजना का भूत,
*परोपकारी सरकार पात्र लोगों को उनका मालिकाना हक बगैर भेदभाव निशुल्क प्रदान करती ?
*सौ से अधिक रजिस्ट्रेशनों में धांधलियां खुद एमसीजी विजिलेंस टीम पकड़ चुकी है,
*स्टेट विजिलेंस द्वारा जांच नहीं कराकर भृस्टाचारियों को बचाने का प्रयास हुआ है,
*दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन भृस्ट अधिकारीयों को जेल में होना था वह अपने पदों है : माईकल सैनी (आप)

गुरुग्राम 25/8/2023 – दशकों से सरकार को किराया भरने वाले दुकानदारों को उनका मालिकाना हक दिलाने हेतु ‘मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना लेकर आए परन्तु इस योजना की आड़ में भी जमकर खेला कर गए भृस्ट अधिकारी जिसपर सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं की कृपा और उसकी संलिप्तता भी चर्चाओं में रही और शायद इसी वजह से जांच स्टेट विजिलेंस, एसआईटी से नहीं कराकर नगर निगम विजिलेंस टीम से कराकर मामले पर लीपापोती की गई अर्थात नेताओं व अधिकारियों को बचाने की कवायद कहा जा सकता है इसे , यह संदेह इसलिए भी उतपन्न होता है क्योंकि एमसीजी विजिलेंस जांच टीम प्रमुख आरएस कंसल स्वम् डेपुटेशन पर थे, अब सवाल उठता है कि क्या एक रिटायर्ड अधिकारी सीट पर बैठे अधिकारी की निष्पक्ष जांच कर सकता है ?

माईकल सैनी जिला मीडिया प्रभारी(आप) ने बताया कि उन्होंने महामहिम राज्यपाल महोदय के नाम ज्ञापन मार्फ़त डीसी ऑफिस की ओर से सिटी सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपकर इस तथाकथित भृस्टाचार के मामले की निष्पक्ष जांच हेतु निवेदन किया था परन्तु मीडिया में भी खूब हो-हल्ला होने उपरांत निगम कमिश्नर ने टीवी चैनलों पर मामले की जांच दो हफ्तों में कराने की बात कही ऒर एमसीजी विजिलेंस से जांच कराई गई !

अखबारों में प्रकाशित जांच कर रहे आरएस कंसल की डेढ़ माह तक चली जांच रिपोर्ट प्रकाशित हुई जिसमें उन्होंने सौ से अधिक दुकानों के रजिस्ट्रेशन में बरती गई अनियमितताओं बाबत जाँच पूरी कर रिपोर्ट निगम कमिश्नर को आगामी कानूनी कार्यवाही के लिए भेजने की बात कही , मगर ताज्जुब की बात तो यह है कि जेल जाने की बजाय भृस्टाचारी अधिकारी आज भी अपनी सीटों पर मलाई काट रहे हैं जब्कि पहली बार है कि नाम लेकर कहा गया कि इस इस अधिकारी कर्मचारी ने सरकार की योजना को विफल बनाया है महज धनार्जन करने वास्ते !

माईकल सैनी कहते हैं कि खट्टर सरकार द्वारा लायी गई स्वामित्व योजना केवल धन वसूली योजना लगती है तभी शायद ताज़ा समीक्षा बैठक हुई वरना शासन प्रशासन को पूर्व में हुए तथाकथित भृस्टाचार के मामले पर स्पष्टीकरण देना चाहिए था कि उन्होंने किन लोगों पर कानूनी कार्यवाही की और कितना धन उनसे बरामद किया और किनकी संलिप्तता रही इस पूरे प्रकरण में ?

माईकल सैनी कहते हैं कि सजा दिलाए बगैर स्वामित्व योजना का शुरू किया जाना पुनः घपले घोटाले के मार्ग प्रसस्त करने जैसा है तथा भृस्टाचार की मलाई चाटने वाली दौड़ में पीछे छूट चुके भृस्टाचारियों को भी अवसर देने जैसा है, रही मालिकाना हक पाने वाले आवेदनकर्ताओं की बात तो उनके लिए यह घबराने जैसी स्तिथियाँ अधिक लगती हैं , सरकार का स्टेट विजिलेंस से जांच नहीं कराना उसके गैरजिम्मेदाराना रवैये को दर्शाता है साथ ही मौजूदा सरकार पर सवालिया निशान भी लगाता है ।

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