चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को भी हथियाना चाहते हैं प्रधानमंत्री मोदी जी : डॉ. सुशील गुप्ता प्रधानमंत्री ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के नियमों में सुप्रीम कोर्ट के फ़ेसले के विरुद्ध परिवर्तन किया : डॉ. सुशील गुप्ता भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रहार करना चाहते हैं पीएम मोदी: डॉ. सुशील गुप्ता सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि निष्पक्ष होना चाहिए भारत का चुनाव आयुक्त: डॉ. सुशील गुप्ता चंडीगढ़, 11 अगस्त -आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता ने संसद में केंद्रीय चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में बदलाव संबंधी बिल को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने शुक्रवार को बयान जारी कर इसे लोकतंत्र पर प्रहार बताते हुए कहा है कि राज्यसभा में चुनाव आयुक्त को लेकर बिल पेश होने पर ये बिल हिंदुस्तान में लोकतंत्र की हत्या और निष्पक्ष चुनाव को खत्म कर देगा। सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा था कि भारत का चुनाव आयुक्त निष्पक्ष होना चाहिए। उसकी नियुक्ति के लिए जो बनाए गए पैनल में देश के प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश शामिल थे, ताकि निष्पक्ष नियुक्ति हो सके। परंतु प्रधानमंत्री ने जो राज्यसभा में बिल पेश करवाया है, उससे चुपचाप तरीके से इस कानून को बदल दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए बनाए गए पैनल प्रधानमंत्री और एक उनके मंत्री होंगे, यानी कि भाजपा के दो मंत्री होंगे और एक विपक्ष का नेता होगा। दो तिहाई बहुमत से भाजपा उनके ही व्यक्ति को नियुक्त करेगी। इसका मतलब यदि मुख्य चुनाव आयुक्त भाजपा का होगा तो वो भाजपा को ही जिताएगा और इससे देश में निष्पक्ष चुनाव का मतलब खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था चाहे वो दिल्ली सेवा अधिनियम बिल हो या चुनाव आयुक्त का बिल हो प्रधानमंत्री मोदी देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि 2012 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह से चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए 5 सदस्यीय कमेटी बनाने की सिफारिश की थी जिसमें, प्रधानमन्त्री, चीफ जस्टिस, कानून मंत्री, लोक सभा और राज्यसभा के विपक्ष के नेताओं को शामिल करने की मांग थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसे पलट कर तानाशाही व्यवस्था बनाने का काम किया है। कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को शामिल करके एक कमेटी बनाने का निर्णय सुनाया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नये बिल से पलट दिया और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को निकालकर अपने एक मंत्री को रख दिया और बिल को राज्यसभा में विपक्ष के विरोध के बावजूद बिना चर्चा के शोर-शराबे के बीच पास करवा दिया गया। Post navigation नूंह में हुई हिंसा के बाद पलायन कर रहे श्रमिकों का मुद्दा उठाएगी कांग्रेस शिक्षण संस्थान भविष्य के नीति निर्माता : राम नाथ कोविन्द