बिगड़ी कानून व्यवस्था से दक्षिण हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्रों के श्रमिकों में बढ़ी असुरक्षा की भावना
गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह, पलवल सहित रेवाड़ी, नारनौल में प्रवासियों के पलायन संबंधी आंकड़ें कांग्रेस नेतृत्व को उपलब्ध कराएंगे विधायक नीरज शर्मा

चंडीगढ़/ फरीदाबाद। नूंह में हुई हिंसा के बाद दक्षिण हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्रों से श्रमिकों के पलायन के मुद्दे को कांग्रेस ने गंभीरता से लिया है। प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व इस मुद्दे पर विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा करेगी। कोरोना काल के बाद दक्षिण हरियाणा से प्रवासी मजदूरों का यह दूसरा बड़ा पलायन है। इसके चलते उद्योग जगत की चिंता भी बढ़ी है। प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने एनआईटी क्षेत्र के विधायक नीरज शर्मा से प्रवासी मजदूरों के पलायन संंबंधी का अांकड़ों का विस्तृत विवरण मांगा है। शर्मा इस मुद्दे को नूंह हिंसा के बाद उठा चुके हैं।

शर्मा का कहना है कि गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह, पलवल, रेवाड़ी और नारनौल के औ्रद्योगिक एवं व्यापारिक क्षेत्र से प्रवासी श्रमिक फिलहाल अपने पैतृक गांव पलायन कर गए हैं। प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार प्रवासी श्रमिकों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने में नाकामयाब रही है। शर्मा ने कहा कि दंगों के फैलने के डर से दिहाड़ी मजदूर, फैक्ट्री श्रमिक, फल सब्जी विक्रेता और मोटर मैकेनिक इत्यादि पलायन कर रहे हैं। इससे न केवल कारोबार प्रभावित हो रहे हैं बल्कि श्रमिकों के पलायन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था का भी नुकसान हो रहा है। शर्मा ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के पलायन और इससे हो रहे नुकसान का विस्तृत विवरण वे शीघ्र ही प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया सहित कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेशाध्यक्ष उदयभान सहित राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा को सौंप देंगे।

उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक अब तक करीब पांच हजार से ज्यादा लोग दूसरे शहरों में चले गए हैं। फरीदाबाद में भी 500 से अधिक परिवारों ने दूसरे शहरों का रुख किया। कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि नूंह में हुए दंगो के कारण लोगों में डर का माहौल बना हुआ है जिससे वह दूसरे शहरों में जा रहे हैं।

विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि कानून व्यवस्था गड़बड़ाने का असर अब दिखने लगा है। अभी मजदूर पलायन कर रहे हैं। आने वाले दिनों में निवेश पर भी इसका असर दिखेगा। क्योंकि कारोबारी हमेशा वहीं निवेश करना पसंद करते हैं जहां कानून व्यवस्था बेहतर हो। लेकिन खट्टर सरकार इस मामले में बार-बार नाकाम साबित हुई है। खुद केंद्र सरकार का सामाजिक प्रगति सूचकांक बताता है कि हरियाणा देश का सबसे असुरक्षित राज्य है।

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