अजीत सिंह

हिसार। जुलाई 31. – आज के वरिष्ठ नागरिकों की जवानी का वक्त साठ और सत्तर के दशक का दौर था और यही वक्त फिल्म संगीत के उभरते गायक मोहम्मद रफी के गायन के ऊरूज का था। करीब 40 साल के संगीत जीवन के बाद केवल 56 साल की उम्र में वे 31 जुलाई 1980 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। अपने पीछे वे करीबन 25 हज़ार फिल्मी गीतों का अनमोल खजाना छोड़ गए जो रहती दुनिया तक उन्हें जिंदा रखेगा।

मोहम्मद रफी के प्रशंसक हर साल उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर उन्हें उन्हीं के गीतों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। ऐसा ही एक कार्यक्रम हिसार में वरिष्ठ नागरिकों की संस्था वानप्रस्थ द्वारा सीनियर सिटीजन क्लब में आयोजित किया गया। अनेक सदस्यों ने न केवल रफी के गीत गाए बल्कि उनके जीवन से जुड़े अनेक किस्से भी सुनाए।

मुख्य प्रस्तुति प्रो रामकुमार सैनी की रही जो प्रदेश के जाने माने गायक हैं। उन्होंने कुछ फिल्मों में भी गीत गाए हैं।

प्रो सैनी ने शुरुआत “ऐ फूलों की रानी, बहारों की मलिका ….” गीत से की और फिर एक के बाद एक शानदार गीतों की प्रस्तुति कराओके आर्केस्ट्रा की धुन पर दी कि श्रोता वाह वाह ही करते रहे। गीतों की कुछ और बानगी देखिए:

*छू लेने दो नाज़ुक होठों को….
*परदेसियों से ना अँखियाँ मिलाना..

*सुहानी रात ढल चुकी, न जाने तुम….
*खुश रहे तू सदा, ये दुआ है मेरी….

*आप के पहलू में आ कर रो दिए…
*खिलौना जान कर तुम तो मेरा दिल….

*मेरी कहानी भूलने वाले,
तेरा जहाँ आबाद रहे

प्रो सैनी ने अंतिम प्रस्तुति फिल्म हकीकत के इस मर्मस्पर्शी गीत के साथ दी ,
*मैं ये सोचकर उसके घर से चला था कि वो रोक लगी, बुला लेगी मुझको…
प्रो सैनी के गीतों के बीच बीच में वानप्रस्थ के सदस्यों ने भी मोहम्मद रफ़ी के जीवन से जुड़े कई प्रसंग सुनाए व गीत पेश किए।

दूरदर्शन हिसार के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह ने बताया कि 1964-65 में जब वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र थे उन्होंने करनाल में तत्कालीन डी सी कुंवर महेंद्र सिंह बेदी द्वारा आयोजित एक विशाल कार्यक्रम में मोहम्मद रफी को लाइव सुना था। रफी ने उन्ही दिनों रिलीज हुई फिल्म लीडर का गाना गाया था,

*मुझे दुनिया वालो, शराबी न समझो,
मैं पीता नहीं हूं पिलाई गई है…

स्टेज एंकर बनी वीना अग्रवाल ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि फांसी की सजा पाए एक कैदी से उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई तो उसने कहा कि मोहम्मद रफी का गाना सुना दो और उसकी पसंद का गाना , *ओ दुनिया के रखवाले, सुन दर्द भरे मेरे नाले.. सुनाया गया। वीना अग्रवाल ने रफी की मृत्यु पर आनंद बक्षी की श्रद्धांजलि को याद करते हुए कहा,

*ना तुझ सा फनकार तेरे बाद आया, मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया,
सुरों की सुरीली वो परवाज तेरी,
बहुत खूबसूरत थी आवाज़ तेरी,
ज़माने को जिसने दीवाना बनाया,
मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया,

प्रो शामसुंदर धवन ने रफी का गीत पेश किया, *दाना पानी खिच के लियांदा, कौन किसे दा खांदा हो..
अपनी पत्नी कमल धवन के साथ मिलकर उन्होंने युगल गीत पेश किया,

*देखो रूठा ना करो, बात नजरों की सुनो….

प्रो एस के माहेश्वरी ने फिल्म प्लेटफार्म का गीत गाया,

*बस्ती बस्ती परबत परबत
गाता जाए बंजारा,
लेकर दिल का इकतारा*…

प्रो सुरजीत जैन ने लाल किला फिल्म का ये गीत पेश किया,

*ना किसी की आंख का नूर हूं..
डॉ सत्या सावंत ने रफी का गीत सुनाया,
*आने से उसके आए बहार,
जाने से उसके जाए बहार…

सभा का आलम यह था कि जो भी गायक रफी का कोई गीत गाने लगता, श्रोता भी साथ ही गाने लगते। रफी के गीतों का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा था। सभी अपनी जवानी काल में सुने व गाए गीतों पर झूम रहे थे।

समारोह में प्रो पुष्पा खरब का जन्मदिन भी मनाया गया। उन्होंने अपने पति प्रो राजपाल खरब के साथ मिलकर युगल गीत की प्रस्तुति दी,

*मुझे प्यार की जिंदगी देने वाले,
कभी ग़म ना देना खुशी देने वाले…
प्रो नरेश बंसल ने संकल्प फिल्म का भजन पेश किया,
*तू ही सागर है तू ही किनारा…

मोहम्मद रफी के गीतों पर आधारित प्रोग्राम वानप्रस्थ में पहली बार पेश किया गया और इसे खूब सराहा भी गया। संस्था के प्रधान प्रो सुदामा अग्रवाल तथा जनरल सेक्रेटरी प्रो जे के डांग ने कहा कि मुकेश, किशोर कुमार, महेंद्र कपूर, मन्ना डे, तलत महमूद व के एल सहगल जैसे अन्य अमर गायकों पर भी भविष्य में ऐसे ही कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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