The Union Minister for Defence, Shri Rajnath Singh along with the Minister of State for AYUSH (Independent Charge) and Defence, Shri Shripad Yesso Naik, the Chief of Defence Staff & Secretary Department of Military Affairs, General Bipin Rawat, the Chief of the Army Staff, General M.M. Naravane, the Chief of Naval Staff, Admiral Karambir Singh and the Chief of the Air Staff, Air Chief Marshal R.K.S. Bhadauria paying homage to the fallen heroes at the National War Memorial, on the occasion of the 21st anniversary of Kargil Vijay Diwas, in New Delhi on July 26, 2020.
सोचिये क्या हमारे देश के नायकों को बेशर्म इंस्टाग्राम प्रभावकों, राजनेताओं, अभिनेता और अभिनेत्री की तुलना में सम्मानित किया गया और पर्याप्त धन दिया गया? यह मत भूलो कि हमारे देश की रक्षा के लिए कारगिल युद्ध में भाग लेने वाला एक जवान उसी देश में अपनी पत्नी की रक्षा करने में सक्षम नहीं हो सका। इसके लिए देश को  को जवाबदेह होना चाहिए? सबसे पहले हम अग्निवीर लाकर सशस्त्र बलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसमें किसी भी चीज की कोई गारंटी नहीं है, आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि कोई देश के लिए मर जाएगा? जब आप सशस्त्र बलों में एक साधारण नौकरी की सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते। वास्तव में आप इन शहीद परिवारों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो इस अभियान के दौरान आप सैनिक परिवारों और भविष्य के सैनिकों के मन की बात सुनकर एक योजना बनाइये और साथ ही देश की सभी महत्वपूर्ण और प्रमुख सड़कों का नाम हमारे बहादुरों के नाम पर रखा जाना चाहिए, हवाई अड्डों, स्कूलों, ट्रेनों के नाम भी।

– प्रियंका सौरभ …………….. रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

जैसे-जैसे स्वतंत्रता दिवस नजदीक आ रहा है, भारत भव्य समारोहों की तैयारी कर रहा है। देश ‘मेरी माटी मेरा देश’ नाम से एक अभियान शुरू करने के लिए तैयार हैं। भारत के शहीद बहादुरों के सम्मान में ‘मेरी माटी मेरा देश’  के तहत दिल्ली के नेशनल वॉर मेमोरियल के पास अमृत वाटिका (उद्यान) भी बनाई जाएगी। अमृत वाटिका के लिए देश के कोने-कोने से 7500 कलशों में मिट्टी और पौधे ‘अमृत कलश यात्रा’ के तहत दिल्ली पहुंचेंगे। इसके अलावा देश की लाखों ग्राम पंचायतों में विशेष शिलालेख भी लगाए जाएंगे। देश में बीते एक साल से आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है। इसी बहाने देशभर में ‘मेरी माटी, मेरा देश’ कार्यक्रम की शुरुआत भी की गई है।  इस साल, यह कार्यक्रम 9 अगस्त से 15 अगस्त तक मनाया जाना है। देश के लिए ये गर्व की बात है। लेकिन क्या हमने इस कार्यक्रम के दौरान देश के सैनिकों की वास्तिक स्थिति का जायजा लेकर उनकी समस्याओं का निराकरण करने की योजना भी बनाई है?

सैनिक चाहे किसी भी देश के क्यों न हों, उनकी जिंदगी हमेशा कठिनाईयों से भरी होती है। सैनिक हमारे देश के प्रहरी होते है, जब तक वे सीमा पर तैनात हैं, तब तक हम भी चैन की सांस  ले पाते हैं, अन्यथा हमारा जीवन भी कब का समाप्त हो चुका होता। राष्ट्र की सुरक्षा, अखण्डता व एकता को बनाये रखने में भारतीय सशस्त्र  सेनाओं का योगदान किसी से छुपा नहीं है। देश की रक्षा के लिये हमेशा तत्पर रहने वाले सैनिक अपने  परिवार से दूर रहते है। देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेंसी, सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि हमारे देश के सैनिकों को घटिया खाना परोसा जाता है। सीएजी के मुताबिक, सेना द्वारा खुद कराए गए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि 68 प्रतिशत जवान उनकों परोसे जा रहे खाने को संतोषजनक या फिर निम्न-स्तर का मानते हैं।सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि सैनिकों को निम्न-गुणवता का मांस और सब्जी खाने को दी जाती है। इसके अलावा, राशन की मात्रा भी कम दी जाती है और जो राशन दिया जाता है वो स्वाद अनुसार भी नहीं होता है।

हम हमारे सैनिकों की जीवन स्थितियों में सुधार क्यों नहीं करते?  ये प्रश्न आज देश किसी एक व्यक्ति से नहीं हर हिंदुस्तानी से पूछ रहा है? क्या ये आंदोलन सिर्फ हमारे सैनिकों की वीरता और बलिदान का उपयोग करके एक और राजनीतिक नाटक तो नहीं हैं। क्या देश ने पुलवामा घटना पर पर्दा डाला है। हम मणिपुर के बारे में कुछ क्यों नहीं कहते, इससे बहुत दुख होता है, मेरे आंसू निकल आते हैं। अगर हम वास्तव में मेरी माटी मेरा देश को मन से चाहते है तो सबसे पहले हमारे सैनिकों को समलैंगिक अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की बकवास से अधिक प्राथमिकता दें, उनके साथ बुरा व्यवहार क्यों किया जाता है और कम वेतन क्यों दिया जाता है ? जो देश के लिए अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार है उसे ऐसा करना चाहिए।

 सोचिये क्या हमारे देश के नायकों को बेशर्म इंस्टाग्राम प्रभावकों, राजनेताओं, अभिनेता और अभिनेत्री की तुलना में सम्मानित किया गया और पर्याप्त धन दिया गया? यह मत भूलो कि हमारे देश की रक्षा के लिए कारगिल युद्ध में भाग लेने वाला एक जवान उसी देश में अपनी पत्नी की रक्षा करने में सक्षम नहीं हो सका। इसके लिए देश को  को जवाबदेह होना चाहिए? सबसे पहले हम अग्निवीर लाकर सशस्त्र बलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसमें किसी भी चीज की कोई गारंटी नहीं है, आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि कोई देश के लिए मर जाएगा? जब आप सशस्त्र बलों में एक साधारण नौकरी की सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते। आज देश को आज़ादी के पुराने आंदोलन चलाने की बजाय वर्तमान समस्याओं से निजात पाने की जरूरत है और हम उलटे उन चीज़ों को एक अलग माहौल बनाकर दबाने की कोशिश में लगे है। ऐसा देश के हित में नहीं है। आप आंदोलन चलाइये, जो मर्ज़ी है कीजिये। मगर इन सबके साथ मूलभूत दुविधाओं को भी तो दूर कीजिये तभी आपका ये प्रयास सर्वोत्तम और सार्थक होगा।

जवानों की पेंशन में कटौती , हमारे नायकों के वेतन, लाभ और बजट में कटौती और फिर आप ऐसा प्रचार शुरू करते हैं।  हमारे किसान के बच्चे सेना में जाते हैं, देश के राजनेताओं के नहीं। अग्निपथ योजना ला के वो भी खत्म कर दिया। ।।वास्तव में आप इन शहीद परिवारों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो तो इस अभियान के दौरान आप सैनिक परिवारों और भविष्य के सैनिकों की मन की बात सुनकर एक योजना बनाइये और और साथ ही देश की सभी महत्वपूर्ण और प्रमुख सड़कों का नाम हमारे बहादुरों के नाम पर रखा जाना चाहिए, हवाई अड्डों, स्कूलों, ट्रेनों के नाम भी। अगर आप देश के सच्चे नागरिक है तो कभी मत भूलिए-

सीमा पर जवान जब, जागे सारी रात। सो पाते हम चैन से, रह अपनों के साथ।।  

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