शिलान्यास और संस्कृति महोत्सव का शुभारंभ करेंगे हरियाणा के राज्यपाल दूसरे दिन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और तीसरे दिन केंद्र मंत्री गडकरी और मेघवाल रहेंगे मुख्यअतिथि चंडीगढ़/गुरुग्राम, 26 जुलाई। गुरुग्राम के सेक्टर नौ में बनने वाले भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र में सरस्वती नदी पर विशेष म्यूजियम बनेगा और देश की सभी मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं पर शोध कार्य होगा। इसके अलावा यहां संस्कृति हाट का निर्माण, पुस्तकालय, अनुसंधान केन्द्र, सभागार, प्रवासी भारतीय साहित्य तथा संस्कृति शोध केंद्र व विभिन्न राज्यों का समन्वय केंद्र स्थापित होगा। केन्द्र के मुख्य संयोजक डा. अमित जैन ने गुरुग्राम के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में एक पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने केन्द्र के शिलान्यास अवसर पर 29, 30 और 31 जुलाई को होने वाले त्रिदिवसीय संस्कृति महोत्सव के बारे में बताया कि इंटरनेशनल दिव्य परिवार सोसाइटी वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से ओतप्रोत होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए विश्व के मानचित्र पर अपना विशेष स्थान रखने वाले प्राचीन एवं आधुनिक भारतीय संस्कृति एवं समृद्धि के प्रतीक,ग्लोबल सिटी ‘गुरुग्राम’ महानगर में ‘भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र’ की स्थापना कर रही हैं। यह स्थान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विभिन्न गतिविधियों का केंद्र बिंदु साबित होगा। उन्होंने बताया कि इस त्रिदिवसीय संस्कृति महोत्सव में देश विदेश के 300 से अधिक मुख्य अतिथि एवं 3000 से अधिक प्रतिभागी प्रतिभाग करेंगे। कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह के सत्र में 29 जुलाई को हरियाणा के राज्यपाल माननीय बंडारु दत्तात्रेय के कर कमलों से होगा। वही समापन केंद्रीय सड़क परिवहन राज मार्ग मंत्री नितिन गडकरी जी के मुख्य आतिथ्य में होगा। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी, गंगा प्रसाद, बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र अर्लेकर, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल लालपुरा, पूर्व रक्षा सचिव एवं राज्यसभा महासचिव डॉ योगेंद्र नारायण सहित अनेक प्रखर राजनीतिक, साहित्यकार, लेखक व आई ए एस भाग लेंगे। वहीं रात्रि में होने वाले सांस्कृतिक सत्र में प्रसिद्ध नृत्यांगना शुभदा वराडकर के साथ देश के कोने कोने से आये कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण शिला लेख पठ होगा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के मिशन में मील का पत्थर साबित होगा। डॉ जैन ने बताया कि भारत सांस्कृतिक केंद्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट से यहां 20 मिनट में पहुंचा जा सकेगा, जबकि द्वारका एक्सप्रेस-वे इस स्थान से केवल 200 मीटर की दूरी पर ही स्थित है। इसी मार्ग पर प्रस्तावित मैट्रो स्टेशन इस केंद्र से 250 मीटर तथा गुरुग्राम रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, हीरो होंडा चैक, राजीव चैक आदि प्रमुख स्थान 5 किलोमीटर की परिधि में ही आते हैं। हर किसी के लिए यहां पहुंचना बहुत आसान और सुविधाजनक होगा। गुरुग्राम का सबसे बड़ा ईएसआई हाॅस्पिटल भी इस केंद्र से केवल 400 मीटर की दूरी पर है। उन्होंने केंद्र के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यह केंद्र निम्नलिखित गतिविधियां संचालित करेगा। केंद्र भारतीय संस्कृति और कलाओं का प्रतिनिधित्व करेगा। इस केंद्र में भारतीय संस्कृति और कलाओं को संकलित, सुरक्षित, संवर्धित तथा प्रदर्शित करने के लिये अनेक कार्य किये जायेंगे। भारत की संस्कृति और इतिहास को समेटे हुए सरस्वती नदी से संबंधित म्यूजियम इस केंद्र पर स्थापित किया जायेगा। इस म्यूजियम के माध्यम से सरस्वती नदी की प्रमाणिकता, प्राचीनता तथा दिव्य स्वरूप पहली बार देखा जा सकेगा। भारतीय नृत्य, चित्रकला, नाटक एवं संगीत की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां इस केंद्र पर नियमित होती रहेंगी। इस केंद्र के माध्यम से लुप्त होती भारतीय कलाओं एवं वाद्य यंत्रों का संरक्षण किया जायेगा तथा बहरूपिया कला, कठपुतली नृत्य, कच्ची घोड़ी नृत्य, हरियाणा के बीन कलाकारों की प्रस्तुतियां, सपेरा कला, सारंगी वाद्य यंत्र आदि विधाओं से संबंधित आयोजन समय-समय पर होते रहेंगे। इस केंद्र पर विभिन्न राज्यों के हस्तशिल्पी अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगा सकेंगे। उनके प्रशिक्षण के लिये यहां पर विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन भी होगा। इस केंद्र पर संस्कृति हाट का निर्माण भी होगा। यह केंद्र मूर्ति कला, पाॅट सज्जा, बर्तनों पर नक्काशी, रंगोली बनाना आदि विषयों पर निरंतर काम करेगा। भारतीय शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय नृत्य, सुगम संगीत और अन्य विधाओं से जुड़े भारत के प्रतिष्ठित कलाकार इस केंद्र पर अपनी प्रस्तुतियां देंगे। भारत के युवाओं, विद्यार्थी वर्ग और हर उम्र के नागरिकों के लिये यह केंद्र भारतीय संस्कृति के विविध पक्षों को समझने के लिये मील का पत्थर साबित होगा। सरस्वती संग्रहालयइस केंद्र के सरस्वती म्यूजियम में सरस्वती नदी से जुड़ी अनेक विरासत और कलाकृतियों को संग्रहित किया जाएगा। साथ ही सरस्वती नदी के उद्गम से लेकर उसके लुप्त होने और वर्तमान स्वरूप से संबंधित विभिन्न दस्तावेजों को भी सरस्वती म्यूजियम में प्रमुख रुप से स्थान दिया जाएगा। इस संग्रहालय के माध्यम से जहां देश-विदेश के पर्यटक और शोधार्थी सरस्वती नदी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, वहीं भूवैज्ञानिकों, पुरातत्वविदों, इतिहासकारों आदि बुद्धिजीवियों के लिए भी यह संग्रहालय महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। पुस्तकालय एवं अनुसंधान केंद्र:केंद्र में बनने वाला पुस्तकालय एवं अनुसंधान केंद्र आधुनिक तकनीकी से लैस होगा। इसके पुस्तकालय में भारतीय संस्कृति और कलाओं से संबंधित महत्वपूर्ण पुस्तकों का संकलन किया जायेगा। साथ ही भारत में जन्में विभिन्न मत-पंथों पर अनुसंधान करने वाले शोध अध्येताओं के लिये यहाँ सभी प्रमाणिक पुस्तकों का संकलन भी होगा। यह पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र विश्व स्तर पर भारतीय संस्कृति एवं विचारों को स्थापित करने पर बल देगा। अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न ऑडिटोरियमभारतीय नृत्यों और लोक कलाओं को प्रोत्साहित करने के लिये इस केंद्र में 300 लोगों की क्षमता वाला अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न ऑडिटोरियम (सभागार) स्थापित किया जायेगा। देश-विदेश के कलाकार यहां आकर अपनी प्रस्तुतियां दे सकें, इसके लिये इस ऑडिटोरियम को विश्व स्तरीय सुविधाओं से संपन्न बनाया जायेगा। प्रवासी भारतीय साहित्य तथा संस्कृति शोध केंद्रइस केंद्र में प्रवासी भारतीय साहित्यकारों तथा संस्कृतिकर्मियों के लिए विशेष सुविधायें उपलब्ध करायी जायेंगी। भारतीय लेखकों, प्रवासी लेखकों एवं गैर भारतीय लेखकों द्वारा सृजित साहित्य के तुलनात्मक अध्ययन संबंधी आयोजन होंगे। साथ ही प्रवासी भारतीय साहित्य, संस्कृति व जीवन से जुड़े अनेक पहलुओं पर शोध, प्रशिक्षण, कार्यशालाएं तथा संगोष्ठियाँ भी आयोजित की जायेंगी। भारत के विभिन्न राज्यों का समन्वय केंद्रयहा भारत के उत्तर, पूर्वोत्तर, मध्य, दक्षिण, पश्चिम व पूर्वी भारत के सभी राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करके भारतीय संस्कृति, इतिहास, पर्यटन व विकास कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। केंद्र पर छह अलग-अलग डेस्क (सम्पर्क केन्द्रों) की व्यवस्था की जायेगी, जो भारत के छह क्षेत्रों उत्तर, पूर्वोत्तर, दक्षिण, मध्य, पश्चिम व पूर्वी भारत के राज्यों के साथ संपर्क बनाकर रखेगी। यह केंद्र भारत के सभी राज्यों के स्थापना दिवस अथवा किसी विशेष अवसर पर उनके साथ मिलकर प्रतिवर्ष उन राज्यों के कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसका एक वार्षिक कैलेंडर तैयार किया जायेगा। जनजातीय आदिवासी संस्कृति शोध संस्थान गुरुग्राम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भारत के आदिवासी समाज की संस्कृति को सुरक्षित करने के लिए अनेक प्रकार के कार्य किए जाएंगे। विभिन्न जनजाति विशेषज्ञों द्वारा इस केंद्र पर जनजातीय आदिवासी जनजीवन से जुड़े अनेक पहलुओं पर शोध कार्य किया जायेगा। साथ ही उनकी चित्रकला, मूर्ति कला, नृत्य एवं संगीत, एनिमेशन, हैंडीक्राफ्ट, जड़ी-बुटियां एवं औषधियों को संरक्षित रखने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण वर्ग और कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएगी। जनजातीय समाज की विलुप्त होती बोलियों, वेशभूषा, शिक्षा, खानपान, रोजगार आदि से संबंधित विभिन्न सुझाव भारत सरकार और विभिन्न राज्यों की सरकारों को भेजें जाएंगे। जनजातीय समाज के युवक-युवतियां प्रशासनिक सेवा में भी आगे आएं इसके लिए इस केंद्र की वार्षिक परीक्षा के आधार पर 25 विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा। इन विद्यार्थियों को निशुल्क कोचिंग, आवास, भोजन एवं छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। भारतीय भाषाओं का प्रशिक्षण केंद्रराजभाषा हिन्दी के साथ ही भारत की क्षेत्रीय भाषाओं को अपनी-अपनी लिपि में सिखाना इस केंद्र का उद्देश्य होगा। साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद को प्रोत्साहन देना, क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशन की सुविधा उपलब्ध कराना, प्रतिवर्ष क्षेत्रीय भाषाओं में उल्लेखनीय कार्य करने वाले अध्येताओं को ‘आचार्य चाणक्य सम्मान’ प्रदान करना आदि भी इस केंद्र की प्रमुख गतिविधियां होगी। भाषाओं के माध्यम से देश-विदेश के नागरिकों को जोड़ना, इसके लिये प्रशिक्षण वर्ग, सेमिनार और भाषणों का आयोजन भी यह केंद्र कराता रहेगा। भारत की विविध प्राचीन विधाओं का केंद्रभारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र में भारत की प्राचीन विधाओं का संरक्षण, संवर्धन तथा प्रदर्शन किया जायेगा। इन विधाओं में योग, पंचकर्म, ध्यान, ज्योतिष, हस्तकला, नाड़ी विज्ञान एवं आयुर्वेद की प्राचीन विधाओं को सिखाने की व्यवस्था भी रहेगी। इस केंद्र से प्रशिक्षण के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी लिया जा सकेगा। कौशल प्रशिक्षण केंद्रभारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र में भारत सरकार की योजना के अनुसार कौशल प्रशिक्षण केंद्र भी चलाया जायेगा। इस केंद्र के माध्यम से विभिन्न सांस्कृतिक व रोजगारपरक प्रशिक्षण जैसे – मूर्ति कला निर्माण, चित्र बनाना, वाद्य यंत्र बनाना, हस्तशिल्प, पेंटिंग, मिट्टी के बर्तन, बुनायी और फोटोग्राफी आदि का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण दिया जायेगा। जैन ने बताया कि इसमें सुप्रतिष्ठित कलाकार, साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी, संस्था से जुड़े विभिन्न पदाधिकारियों एवं सदस्यों का आगमन होता रहेगा। उनके लिए इस केंद्र पर अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न अतिथि गृह की व्यवस्था रहेगी,संरक्षक लक्ष्मी नारायण भाला, महावीर भारद्वाज, अरविंद सैनी आर पी तोमर, ब्रह्म प्रकाश, मुकेश मुदगल अटल मौजूद रहे। Post navigation गोपाल कांडा का बरी होना पीड़ितों का मनोबल गिरायेगा मोदी जी इंडिया से घबरा क्यों रहे हैं …….. आखिर मोदी जी को इंडिया से नफरत क्यों है ? कैप्टन अजय सिंह यादव