– भारत देश की संस्कृति बलिदान और त्याग से मिलकर बनी है : पवन जिंदल-
राष्ट्रीय एकता शिविर का शुभारंभ, 17 प्रदेशों के 200 स्वयंसेवक ले रहे हैं भाग

19 जुलाई, हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय सभागार में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आज सात दिवसीय राष्ट्रीय एकता शिविर का शुभारंभ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी पवन जिंदल रहे, जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, राष्ट्रीय सेवा योजना, नई दिल्ली से देशराज व राज्य एनएसएस अधिकारी, हरियाणा डॉ. दिनेश कुमार भी उपस्थित रहे।

मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी पवन जिंदल ने अपने संबोधन में कहा कि भारत देश ऋषि-मुनियों का देश है, जिसकी संस्कृति बलिदान और त्याग से मिलकर बनी है। ऋषि-मुनि व संत जो भगवा रंग के वस्त्र पहनते हैं वह लाल और पीले रंग से मिलकर बना है, जो बलिदान व त्याग के परिचायक है। महान विचारक स्वामी दयानंद जैसे महान विभूतियों ने मानवता का पालन कर समाज को सुधारने का काम किया अर्थात इस राष्ट्रीय एकता शिविर के माध्यम से स्वयंसेवकों को समाज और स्वयं में सुधार लाने की जरूरत है ताकि हम समाज के प्रति अपने दायित्वों को, वसुधैव कुटुंबकम की भावना को व्यापकता तरीके से समझकर समाज के उत्थान में अपना सहयोग दे सकेंगे। उन्होंने बताया कि आज के युवाओं को नि:स्वार्थ भाव से सेवा करने, समाज में भाईचारा कायम करने व एक-दूसरे की संस्कृति का सम्मान करने का भाव पैदा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत देश को फिर से विश्व गुरु बनाने की जरूरत है।

निस्वार्थ भाव, भाईचारा व एक-दूसरे की संस्कृति का सम्मान करने से बनेगा मजबूत भारत : प्रो. बी.आर. काम्बोज कुलपति बी.आर काम्बोज ने कहा कि आत्म निर्भर भारत विषय पर आयोजित राष्ट्रीय एकता शिविर भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना का मुख्य उद्देश्य समाज और स्वयं में सुधार लाना है। स्वयंसेवक समाज के प्रति अपने दायित्वों को, वसुधैव कुटुंबकम की भावना को व्यापकता में समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश को जानने के लिए व अनेकता में एकता के सूत्र को समझने में इस शिविर का अहम योगदान होगा। इस शिविर से विद्यार्थियों में नि:स्वार्थ भाव से सेवा करने, समाज में भाईचारा कायम करने व एक-दूसरे की संस्कृति का सम्मान करने का भाव पैदा करती है।

युवा अधिकारी देशराज ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि हकृवि की एनएसएस इकाई द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर किए गए बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं और आत्मनिर्भर भारत में योगदान के लिए सराहना की। उन्होंने बताया कि अलग-अलग राज्यों से आए स्वयंसेवकों के पास राष्ट्रीय एकता शिविर वह मंच है, जिसमें वे खेलकूद सहित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपने राज्यों की पारंपरिक वेशभूषा से लेकर संस्कृति से जुड़ेंगे।

डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय एकता शिविर एक ऐसा मंच है, जिससे स्वयंसेवकों को सकारत्मक ऊर्जा मिलती है। अगर समाज में परिवर्तन व सुधार लाना चाहते हैं तो पहले स्वयं में बदलाव लाना होगा। उन्होंने युवाओं को अपनी ऊर्जा का सही दिशा में प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया।

छात्र कल्याण निदेशक डॉ. अतुल ढींगड़ा ने सात दिवसीय राष्ट्रीय एकता शिविर में आयोजित होने वाली भाषण, कविता, वाद-विवाद, सोलो डांस, स्लोग्न राईटिंग, ग्रुप डांस, रंगोली आदि प्रतियोगिताओं की रूपरेखा की विस्तृत जानकारी दी। मंच का संचालन स्वयंसेवक अंकित ने किया। इससे पूर्व कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस के पाहूजा ने सभी का स्वागत किया, जबकि डॉ. चंद्रशेखर डागर ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया। इस दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना अवार्डी डॉ. भगत सिंह सहित अन्य अधिकारीगण, कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यातिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया, जिसके बाद स्वयंसेवकों ने राष्ट्रीय सेवा योजना का गीत गाया।

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