दुबे की साधना अनुकरणीय-पवन जिंदल

गुरुग्राम-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक पवन जिंदल का कहना है कि प्राचीन समय से ही भारत देश त्याग-तपस्या और साधना की स्थली रही है। साधना से ही मनुष्य परमवैभव को प्राप्त कर सकता है। श्री जिंदल हिन्द हित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रवण दुबे द्वारा किए गए 40 दिवसीय निराहार व्रत के उद्यापन अवसर पर बोल रहे थे। उनके अनुसार साधना से मनुष्य का न केवल चरित्र सँवरता है बल्कि सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।इस अवसर पर सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया।

हिन्द हित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रवण दुबे ने 40 दिन का निराहार व्रत निर्जला एकादसी 31 मई से शुरू किया था। जिसका उद्यापन 9 जुलाई को पूर्ण हुआ। इस उपलक्ष्य में हिन्द हित सेना ने व्रत उद्यापन कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसकी अध्यक्षता महेंद्रगढ़ बुचावास स्तिथ महंत लक्ष्मण गिरी विकलांग गौशाला के संचालक महंत विट्ठल गिरी जी महाराज ने की।
श्रंगेरी आश्रम के आचार्य राघवेंद्र भट्ट ने श्रवण दुबे को संकल्प सिद्ध  भूषण से सम्मानित किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पवन जिंदल ने कहा कि भारत में वसुधैवकुटंकम की अवधारणा की मान्यता है। सारा विश्व एक परिवार है।यह भाव ऋषियों की साधना से साकार हुआ है। त्याग साधना व परोपकार की भावना से ही भारत विश्वगुरु रहा है। एक फिर भारत पुनः विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर हो रहा है। 2045 तक भारतमाता विश्वगुरु के आसन पर आरूढ़  होगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान में आज विश्व के अग्रणी देश रेड कार्पेट बिछा रहे हैं।अमेरिका जैसा देश भी अब भारत के लिए सारे प्रोटोकॉल तोड़कर नरेंद्र मोदी का स्वागत कर रहे हैं। यह केवल नरेंद्र मोदी का सम्मान नही बल्कि देश के 143 करोड़ नागरिकों का सम्मान है। उन्हेंने कहा कि आरएसएस की स्थापना भी ऐसे संस्कारवान, निष्ठावान व राष्ट्रहित साधना करने वाले स्वयंसेवको के निर्माण के लिए की गई थी। आज  हजारों स्वयंसेवक समर्पण भाव से राष्ट्रहित का कार्य कर रहे हैं। उनके अनुसार 1857 में आजादी की पहली चिनगारी शुरू हुई थी लेकिन कुछ कमियों के कारण आजादी मिलने में 90 वर्ष लग गए। भारत विश्व गुरु बनने में हम सब अपनी अपनी भूमिका निभाएं ताकि कोई कमी न रहे।

कार्यक्रम के मुख्यवक्ता व भारतीय हाकी टीम के हाई परफॉर्मेंस निदेशक पीयूष दुबे ने कहा कि संस्कार से ही साधना होती है। साधना करने से मनुष्य का जीवन साकार होता है। उनके अनुसार आज वह जिस स्थान पर उसके पीछे श्रवण दुबे की प्रेरणा ही कार्य कर रही है। उनका जीवन साधक का जीवन रहा है। वह पहले भी नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के लिए 52 दिवसीय साधना की थी।

इस इस अवसर पर बोलते हए श्रवण दुबे ने कहा कि निष्ठा से किया गया कार्य सर्वदा पूर्ण होता है। उन्होंने अपनी इस साधना का सारा पुण्य राष्ट्र सेवा को समर्पित करते हुए कहा की साधना से मन के विकार दूर होते हैं। हमारा जीवन अपने लिए ही नहीं बदली परहित के लिए होता है।  

इस अवसर पर शिक्षाविद डॉ अशोक दिवाकर, आरएसएस महानगर संघचालक जगदीश ग्रोवर, शीतला माता श्राइन बोर्ड के सदस्य ब्रह्म प्रकाश कौशिक,  राम सजन सिंह, प्रदीप शर्मा सिधेश्वर स्कूल के चेयरमैन राम अवतार बिट्टू, संस्कृत विश्विद्यालय के उपकुलपति रहे श्रयन्स द्विवेदी, विश्व हिंदू परिषद के प्रान्त मीडिया प्रमुख महावीर भारद्वाज, प्रसिद्ध उद्योगपति विनोद शर्मा, उदयबिर सिंग, तीन बार मिस्टर इंडिया रहे विजय कुमार, एस एच ओ जितेंद्र यादव,राजेश जी, जे पी मिश्रा, सेक्टर 3-5 आर डब्लू ए के अध्यक्ष दिनेश वशिष्ठ, नवरत्न एन जी ओ की चैयरपर्सन ऋतु चौधरी, विनोद वशिष्ट आदि विशेषरूप से मौजूद थे।

error: Content is protected !!