हरियाणा सरकार ने विश्वविद्यालयों को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर ग्रांट न देने का फैसला वापिस लेकर पूर्व की भांति सरकारी ग्रांट जारी रखने का फैसला फिर कर लिया है : विद्रोही
भाजपा सरकार लोकतांत्रिक प्रणाली की अवधारण के विपरित चलकर शिक्षा का व्यवसायीकरण करके गरीब व कमजोर तबके के छात्रों को उच्च शिक्षा लेने के रास्ते में रोड़े अटका रही है : विद्रोही
28 जून 2023 – भाजपा-जजपा खट्टर सरकार द्वारा प्रदेश के 14 सरकारी विश्वविद्यालयों को आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने स्त्रोत स्वयं अर्जित करने के फैसले को कांग्रेस, जनता व छात्र संगठनों के विरोध के बाद वापिस लेने के बाद भी इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय मीरपुर रेवाडी के इस शिक्षा सत्र से बढाई फीस वृद्धि को वापिस न लेने की स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कठोर आलोचना करते हुए इसे गरीब व कमजोर तबके के छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के रास्ते में रोड़ा अटकाने वाला कदम बताया। विद्रोही ने सवाल किया कि जब हरियाणा सरकार ने विश्वविद्यालयों को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर ग्रांट न देने का फैसला वापिस लेकर पूर्व की भांति सरकारी ग्रांट जारी रखने का फैसला फिर कर लिया है तब इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय मीरपुर के प्रशासन ने इस शिक्षा सत्र से विभिन्न कोर्सो व मदों में बढाई गई फीस वृद्धि को वापिस न लेकर छात्र व शिक्षा विरोधी फैसला क्यों जारी रखा हुआ है? आईजीयू द्वारा इस शिक्षा सत्र से विभिन्न कोर्सो व मदों में फीस बढोतरी करने से प्रोविजनल सर्टिफिकेट फीस 300 से 500 रूपये, डुप्लीकेट डिग्री फीस 500 से एक हजार रूपये हो गई। कालेज द्वारा फार्म देरी से जमा कराने की फीस 5 हजार से बढ़ाकर 7 हजार रूपये, किसी कालेज की प्रमाणित कापी लेने की फीस 200 से बढाकर 500 रूपये, प्रोजेक्ट टेऊनिंग रिपोर्ट फीस 300 से बढ़ाकर 500 रूपये, एमटेक डिजरेटशन फीस 2500 से बढ़ाकर 3500 रूपये, एमएड डिजरेटशन फीस 300 से 500 रूपये कर दी गई।
विद्रोही ने कहा कि इसी तरह विभिन्न कोर्सो, होस्टल आदि अन्य मदों की फीस बढा दी गई जो सुलभ व सस्ती शिक्षा देने की लोकतांत्रिक प्रणाली अवधारणा के खिलाफ है। लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत नागरिक ढांचा, आमजनों को सस्ती से सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाना, कमजोर तबके को सामाजिक सुरक्षा देना उसका संवैद्यानिक कर्तव्य है। लेकिन भाजपा सरकार लोकतांत्रिक प्रणाली की अवधारण के विपरित चलकर शिक्षा का व्यवसायीकरण करके गरीब व कमजोर तबके के छात्रों को उच्च शिक्षा लेने के रास्ते में रोड़े अटका रही है जो किसी भी हालत में स्वीकार्य नही है।