भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम – गुरुग्राम नगर निगम व मानेसर नगर निगम का अनियमताओं से गहरा सबंध रहा है।यही कहना अधिक उपयुक्त होगा कि इनका चोली- दामन का रिश्ता है।करवाये जा रहे विकास कार्यो के नाम पर धांधली की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती है।विकास कार्य हमेशा विवादों में ही रहे है। बिना टेंडर के बिल पास करवाने की घटनाएं भी हमेशा से समाचार पत्रों की सुर्खियों में रही है। अभी पिछले दिनों ही नगर निगम गुरुग्राम से 21 लाख रुपए का बिल पास करवाये जाने का मामला भी जोर-शोर से उठ चुका है ।

अफसोस तो यह है कि अधिकारियों पर किसी भी प्रकार की कोई लगाम नजर ही नही आ रही । इन भ्रष्ट अधिकारियों को आखिरकार किन की शह मिल रही है , जांच का विषय हो सकता है।

आज से लगभग 15 साल पहले गुरुग्राम नगर निगम का गठन हुआ था। लोगो को उम्मीद की किरण दिखाई दी थी कि शहर के विकास कार्यो में तेजी आएगी, परंतु निगम केवल भ्रष्टा चार का अड्डा बन कर रह गया है।

नया बना मानेसर निगम भी भ्रष्टाचार की चर्चाओं से अछूता नहीं है यहां भी हर प्रकार के भ्रष्टाचार के समाचार प्राप्त हो रहे हैं चर्चा तो यह भी है कि निगम में जो कर्मचारी लगाए गए हैं उनमें भी भ्रष्टाचार नजर आ रहा है इन सब बातों की चर्चा भी मंत्री जी से की गई थी

इसी को लेकर शहर के अनेको प्रबुद्ध व जागरूक नागरिकों का एक शिष्ठ मंडल शहरी स्थानिय निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से मिला था और उनके संज्ञान में दोनों निगमो की काली करतूतों को उजागर किया था।

निकाय मंत्री ने उनकी सभी बातों पर गहन विचार कर आश्वासन दिया था कि अनियमता बरतने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को किसी भी सूरत में बख्शा नही जाएगा औऱ उनके विरुद्ध ठोस कार्यवाही की जाएगी।आशा की जानी चाहिए कि भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

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